9 मार्च को शुरू हुआ मामला
नेपालियों द्वारा अवैध पुलिया निर्माण का प्रयास किया गया। जहां भारतीयों द्वारा रोकने पर नेपाल की भीड़ ने विवाद और पथराव कर भारतीयों को भगाया दिया। विवाद शांत करने के प्रयास में गए जिलाधिकारी और पुलिस अधीक्षक पर भी पथराव किया गया, इस दौरान कई स्थानीय लोगों सहित कई जवान भी घायल हुए। उस दिन पूरे दिन पथराव चलता रहा। इसके बाद नेपालियों ने भारत सीमा में घुसकर नेपाल का झंडा गाड़ा। जहां भारतीयों द्वारा नेपालियों से बातचीत का प्रयास किया गया।
10 मार्च को बढ़ा मामला
सुबह होते ही नेपाल की तरफ से फिर पथराव शुरू किया। नेपाल की तरफ से उग्र भीड़ ने एसएसबी की टीम पर हमला बोल दिया और डीएम, एसपी पर दोबारा पथराव किया गया। यहाँ आईजी और एसएसबी भी मौके पर पहुंचे थे। इस दौरान उग्र भीड़ को शांत करने के लिए आसू गैस के गोले का इस्तेमाल किया गया। नेपाल के कंचनपुर जिलाधिकारी से बातचीत करने का प्रयास किया गया। जहां उन्होंने भारतीय अधिकारियों की कोई बात नहीं मानी और सभी ने बॉर्डर पर ही डेरा डाल दिया।
11 मार्च को उग्र भीड़ ने शुरू किया प्रदर्शन
नेपाल राष्ट्र से बॉर्डर पर फिर इकट्ठा होकर भारतीय कार्यवाही में एक नेपाली युवक के मरने का आरोप लगाते हुए उग्र भीड़ ने पथराव और प्रदर्शन किया। उग्र भीड़ ने बॉर्डर के पास की भारत सीमा की दुकानों, बसों में तोड़फोड़ कर दी और बस के ड्राइवर को भी पीटा।
12 मार्च को सीज कर दी गई सीमा
इन सबके बाद रविवार को सारा मामला संभालने के लिए एसएसबी ने बॉर्डर सीज कर दिया, लेकिन इसके बाद भी नेपाली नागरिकों का प्रदर्शन नहीं थमा। उन्होंने नेपाल सीमा के अंतर्गत रह रहे भारतीयों के खिलाफ प्रदर्शन किया। नेपाल के नागरिकों ने भारतीयों की दुकानें तोड़ डालीं और भारत विरोधी नारे लगाए।