VIRAL VIDEO: मध्य प्रदेश के उज्जैन में ‘कपिला गौशाला’ की बदतर हालात को बताती एक महिला कांग्रेस की कार्यकर्ता!

उज्जैन: जब से केन्द्र की सत्ता में मोदी सरकार आई है, गायों के नाम पर राजनीति जोरो पर है। गायों की हिफाजत के लिए गौरक्षकों ने जो गुंडागर्दी की है, वह किसी से नहीं छुपी हुई है। हालांकि पीएम मोदी ने इन गौरक्षकों की हिंसा बर्दाश्त नहीं करने की बात जरूर की है। इस गाय के नाम पर भारत में कई लोगों की जिन्दगी चल बसी है। भीड़ द्वारा पीट पीट कर हत्या लगातार हो रहे हैं।
https://youtu.be/iTQ0a_JIelk
इसी मुद्दे को उठाकर इस महिला कांग्रेस कार्यकर्ता ने गौशाला की सच्चाई कोने उजागर किया है। इस महिला कांग्रेस कार्यकर्ता का नाम हमें नहीं मालूम, मगर इस वायरल वीडियो में महिला कांग्रेस कार्यकर्ता ने की सवाल खड़े किए हैं। गायों के नाम पर मिलने वाली राशि को लेकर इस महिला कांग्रेस की कार्यकर्ता ने सवाल उठाए हैं।

इस वीडियो के मुताबिक रत्नाखेड़ी स्थित कपिला गौशाला के दो शेड में बेमौत मरी 6 गायें 4 दिनों तक कीचड़ में सड़ती रही। ना कोई उठाने वाला ना कोई साइड में रखने वाला। अन्य गायें इन्हें कूचलती रही। ये शर्मसार करने वाली घटना हर किसी का मन करूणा से भर सकती है। लेकिन क्या करें भाजपा बोर्ड समेत पूरा निगम अमला जनआशीर्वाद सभा स्थल से कीचड़ दूर करने व आला नेताओं की खातिरदारी में व्यस्त जो था।

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क्षमता से दुगनी करीब 530 गायें गोशाला में होने से यहां के हालात बिगड़ते जा रहे हैं। शेड को छोड़ परिसर में हर कहीं कीचड़ पसरा है। कर्मचारियों ने गायों को घुटने-घुटने तक के कीचड़ में रख छोड़ा है। पत्रिका टीम ने सोमवार को गोशाला का मुआयना किया तो गोमाता की इस दुर्दशा को कैमरे में कैद किया।
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करीब 1.5 करोड़ की लागत से तैयार कपिला गोशाला चंद महीनों में ही घोर अव्यवस्था का शिकार हो गई। जिस कार्य को महापौर मीना जोनवाल अपने कार्यकाल की स्वर्णिम उपलब्धि बता रही थी अब वहीं स्थान गायों के लिए मौत का सबब बन गया। बीते तीन महीनों में यहां 30 से अधिक गायों की मौत हो चुकी है।

जब कभी इस पर सवाल होते हैं तो कह दिया जाता है, गाय बीमार अवस्था में गोशाला आई थी। पूर्व से हालत खराब होने से मर गई। कभी ये नहीं कहा जाता कि देखभाल का अभाव रहा या भूख की वजह से गय्या ने दम तोड़ा। गायों की दुर्दशा की जानकारी मिलने पर कुछ सामाजिक कार्यकर्ता गोशाला पहुंचे और आक्रोश जताया।

परिसर में बड़े शेड के पीछे कुछ दूर घास के फूले रखने का कक्ष बना है, लेकिन यहां पहुंचने तक के रास्ते में ना गाड़ी जा सकती ना कर्मचारी। लिहाजा गायोंं के रखने के शेड में ही फूले रखे जाते हैं। अधिक स्टॉक यहां नहीं हो सकता। जितना माल जब आ जाएं गायों को पेट भरने डाल दिया जाता है।

बारिश के चलते गोशाला की हालत दयनीय हो चली है। मुख्य प्रवेश मार्ग से लेकर परिसर में हर कहीं गंदगी, गोबर, कीचड़ व भूसा फैला हुआ है। यदि कभी कोई गोसेवा की भावना से यहां जाएं तो वो ठीक से प्रवेश भी नहीं कर सकता। शेड भर जाने से गायों को खुले में रखा हुआ है। बारिश आने पर वे रात-रात भर भीगती रहती हैं। इस कारण बीमारी व कमजोरी होने पर दम तोड़ जाती है।

गायों के शव क्यों नहीं उठे, जवाब मिला ठेकेदार नहीं आया उठाने
निगम ने मृत पशुओं को उठाकर ट्रेंचिंग ग्राउंड तक पहुंचाने का ठेका देखा रखा है। गोशाला से भी मृत पशु उसी के जरिए भेजे जाते हैं। गोशाला कर्मियों ने कहा बारिश के कारण ठेकेदार के कर्मी नहीं आए। अब वो फोन भी नहीं उठा रहा। संपर्क होने पर उठवाएंगे। मृत गायों के कारण अन्य गायों की भी बीमार होने के सवाल पर कर्मी ने कहा- हम क्या करें, बड़े साहब को भी बता दिया।