समाज के दूसरे लोगों को भी पत्रकारों की समस्याओं पर आगे आना चाहिए: रवीश कुमार

नई दिल्ली: पिछले दिनों जेएनयू छात्रों के प्रदर्शन को कवर करने वाली महिला फोटोग्राफर से पुलिस के ज़रिए की जाने वाली बदसुलूकी के खलाफ पत्रकार समुदाय का गुस्सा समाप्त होने का नाम ही नहीं ले रहा है।पत्रकारों की मांग है कि दो महिला पुलिस को निलंबित करके पुलिस अधिकारी अपना दामन बचाने की कोशिश कर रहे हैं जबकि वहां जो कुछ भी हुआ वह एडिशनल डीसीपी मोनिका भरद्वाज और स्थानीय एसएचओ के इशारे पर हुआ इसलिए उनके खिलाफ नामित रिपोर्ट से नीचे कोई बात बर्दाश्त नहीं की जाएगी, जिसके बाद एसएच विद्याधर सिंह के खिलाफ शिकायत दर्ज कर ली गई है।

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इसी तरह के अन्य संस्थाओं में काम करने वाले प्रिंट और इलेक्ट्रॉनिक मीडिया के सैंकड़ों पत्रकारों ने प्रेस क्लब में धरना दिया और गृहमंत्री के ऑफिस तक शांति मार्च भी किया। प्रेस क्लब से गृहमंत्री के ऑफिस तक पहुंचे सीनियर टीवी एंकर और पत्रकार रवीश कुमार ने पत्रकारों पर होने वाली पुलिस की बदसुलूकी पर चिंता व्यक्त किया।

उन्होंने कहा कि यह जो कुछ भी हो रहा है वह हक की आवाज़ को दबाए जाने की गर्ज़ से किया जा रहा है। चूँकि पत्रकारों में महिला पत्रकारों की गतिविधियां पिछले दिनों बहुत जबरदस्त और सराहनीय माना जा रहा है जोकि किसी भी बात से बेखोफ अपना काम अंजाम देती हैं, इसलिए सरकार उनको डराने के लिए एक ही नहीं बल्कि दो संस्थाओं की महिला फोटोग्राफरों को धमकाने का नया तरीका ढूँढा है ताकि वह हक की आवाज़ को सामने न ला सकें।

इस मौके पर रवीश कुमार ने समाज के अन्य वर्गों से संबंध रखने वाले गैर राजनीतिक लोगों को बभी सामने आने की अपील की और कहा कि जब समाज पर कोई बुरा समय आता है तो पत्रकार समुदाय लोगों की बातों को सामने रखकर उनकी आवाज़ उठाती है। जबकि आज पत्रकारों को ही निशाना बनाया जा रहा है तो जरूरी है कि समाज के अन्य वर्गों को मीडियाकर्मियों के साथ आना चाहिए, और उनकी हक की आवाज़ उठाना चाहिए।