आज सुबह मुझे एक दोस्त ने वाट्सएप पर एक हैरान करने वाला मैसेज किया, उसमें लिखा था कि मस्जिदे अक्सा को अगर इजरायली कब्जे से आज़ादी मिल गई तो आधी दुनियां के जाहिल मुसलमान उसको फिर से अपना किबला बनाकर उसकी तरफ रुख कर के नमाज़ पढने लगेंगे।
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इस मैसेज में कहा गया है कि यह अल्लाह की मर्जी है कि मस्जिदे अक्सा आजाद होने न पाए हालाँकि इससे पहले दो द्बार अल्लाह ने उस मस्जिद को आज़ाद करवाया, लेकिन अल्लाह की नजर में मुसलमानों की भलाई उसी में है कि मजिस्दे अक्सा मुसलमानों के कब्जे में न आए। इस चालाक और मक्कार पैगाम में बहुत मासूमियत के साथ यह भी कहा गया है कि मस्जिदे अक्सा में जो मुसलमान नमाज़ पढ़ते हैं वह अगर मस्जिदे अक्सा की तरफ ही रुख करके नमाज़ पढ़ते हैं तो बिलकुल गलत है।
ज़ाहिर है कि जाहिल से जाहिल मुसलमान इस बात से वाकिफ है कि एक बार किबला बदलने के बॉस किसी मुसलमान ने मस्जिदे अक्सा की ओर रुख करके नमाज़ नहीं पढ़ी और जो लोग मस्जिदे अक्सा में भी चौदह सौ साल से नमाज़ पढ़ते आ रहे हैं वह सब काबे की ओर रुख करके ही नमाज़ पढ़ते हैं, मस्जिदे अक्सा पर जब ईसाईयों ने कब्जा कर लिया था उस समय भी मुसलामानों ने उसकी ओर रुख नहीं किया और जब दोबारा सुल्तान सलाहुद्दीन अय्यूबी (रह) ने मस्जिद पर वापस इस्लाम का झंडा लहराया तब भी किसी मुसलमान ने मस्जिदे अक्सा की ओर रुख नहीं किया, तो फिर सोचिये कि महज़ 70 साल का इजरायली कब्जा खत्म होने के बाद कोई मुसलमान पाना किबला बदल देगा?
ऐसा गुमराह करने वाले बेमानी के मैसेज भेजे जाने की असल वजह यह है कि ट्रम्प की ओर से यरूशलेम को इजराइल की राजधानी स्वीकार कर लिए जाने के बाद मुसलमानों ने जिस प्रतिक्रिया का विश्व स्तर पे प्रदर्शन किया है इससे यहूदी सल्तनत घबराई हुई है, इजराइल के एजेंटों को लगता है कि कहीं मुसलमान मस्जिदे अक्सा के नाम पर दुनियां भर में एकजुट न हो जाएँ।
गौरतलब है कि एक गहरी साजिश के तहत इजराइल के स्थापना से लेकर अबतक इजराइल और उसके समर्थक दो तरह की बातें कहते रहे हैं, जब इजराइल बना तो उन्होंने ने दुनियां के तमाम मुसलमानों को मामले से अलग रखने के लिए यह कहा कि यह अरब-इजराइल विवाद है, लेकिन जब ईरान ने फिलिस्तियों के समर्थन में आवाज़ उठाई और जब लेबनान की शिया संगठन हिजबुल्लाह ने इजराइल को धूल चटाई तो उसके बाद इजराइल ने यह प्रोपेगंडा शुरू कर दिया कि इजराइल के खिलाफ सिर्फ शिया समुदाय सकिर्य है बाक़ी तमाम फिरकों के मुसलमानों को इजराइल से कोई शिकायत नहीं है।
यहूदी लाबी ने अपने प्रोपगंडे को सच साबित करने के लिए यह भी कहा कि फिलिस्तीनी मुसलमानों की संगठन हमास को भी ईरान भड़काता है, मगर यह यहूदियों की बदकिस्मती थी कि ट्रम्प ने एक ऐसा ऐलान कर दिया जिसने दुनियां के तमाम मुसलमानों को एक ही आवाज़ में बोलने पर मजबूर कर दिया। यरूशलेम को इजराइल की राजधानी स्वीकार किए जाने के एक ही ऐलान ने दुनियां के 57 मुस्लिम देशों को एक ही प्लेटफार्म पर ला खड़ा किया।
दुनियां भर में ऐसे बड़े बड़े प्रदर्शन मुसलमानों ने करने शुरू कर दिए कि इजराइल को दिन में तारे नजर आने लगे, इसी वजह से उसने अब एक ऐसा अभियान शुरू किया है कि जिससे मुसलमानों की आवाजों को कमजोर किया जाये। मुसलमानों को यह बताया जा रहा है कि मस्जिदे अक्सा पर इजराइल का कब्जा अल्लाह की मर्जी से है और अगर मुसलमानों यह दोबारा हासिल हो गई तो कुछ जाहिल मुसलमान फिर से उसको अपना किबला बना लेंगे।
शकील शम्सी