5 हज़ार साल से जारी ‘आबे ज़मज़म’ के कुँए की कहानी…

मक्का: खाना काबा से केवल 20 मीटर दूर ज़मज़म का कुआं ग्रह पर पानी का सबसे पुराना चश्मा करार दिया जाता है जिसकी उम्र पांच हजार साल से ज़्यादा है। जैसा कि ऐतिहासिक परंपराओं में वर्णित है कि जमजम का चश्मा इब्राहीम (अ स) के पुत्र हज़रत इस्माईल (अ स) की एड़ी रगड़ने की जगह से निकला है।

Facebook पे हमारे पेज को लाइक करने के लिए क्लिक करिये

पानी का यह कुआं तीस मीटर गहरा है जिसकी पानी की सतह अधिकतम 18.5 लीटर और कम से कम 11 लीटर बताई जाती है। जब हज़रत इब्राहीम (अस) और हज़रत इस्माईल (अस) ने यहां पर अल्लाह के पहले घर की स्थापना की तो यह कुआं उस समय मौजूद था।

कुँए का किस्सा:

हरमैन अल शरीफैन विश्लेषक मोहीउद्दीन अलहाशमी कहते हैं कि आज तक की जांच से पता चलता है कि कोई फव्वारा साठ सत्तर साल से अधिक समय तक जारी नहीं रहता मगर हज़रत इब्राहीम (अ स) को आज से पांच हजार साल पहले अल्लाह से यह आदेश मिला कि वह अपनी विधवा हाजरा और बेटे इस्माइल (अ स) को मक्का की खाड़ी घाटी में छोड़ दें।

हज़रत हाजरा के पास जब खाना और पानी खत्म हो गया तो उन्होंने सफा और मरवा की पहाड़ियों के बीच पानी की तलाश में चक्कर लगाना शुरू कर दिए। इस दौरान हज़रत गेब्रियल अमीन आए और उन्होंने अल्लाह के हुक्म से हज़रत इस्माईल (अ स) की एड़ी के नीचे से पानी का एक फव्वारा जारी किया। हज़रत हाजरा ने बच्चे को उस फव्वारे से पानी पिलाया और खुद भी पी कर प्यास बुझाई।

ज़मज़म के पानी के बारे में नबी सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम की कई हदीसें भी वर्णित हैं। एक हदीस में आप अलैहिस्सलाम ने फ़रमाया कि अल्लाह इस्माइल की उम्मत पर रहमत नाज़िल करे अगर वह उन्हें कुछ देर और वहां छोड़ देती तो एक बड़ा फव्वारा निकलता ‘या आपने कहा कि’ एक निर्धारित नदी बह पड़ता।’

विश्लेषक मोहिउद्दीन हाशमी ने बताया कि जब हज़रत इब्राहीम और हज़रत इस्माईल अलैहिस्सलाम की मक्का में आगमन हुआ तो यह बरकतों वाली धरती बन गया। चारों ओर जनजातियों की संख्या यहाँ स्थानांतरित होना शुरू हो गई। जब हज़रत इब्राहीम ने यहां पर अल्लाह का पहला घर बनाया इसकी महत्व और भी बढ़ गई। मक्का मुक्रर्र्मा अरब द्वीप और सीरिया के बीच एक व्यापार केंद्र की हैसियत रखने लगा।

कुछ समय के लिए जमजम का पानी सूख गया। हज़रत मुहम्मद सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम के पूर्वज अब्दुल मुत्तलिब ने एक सपना देखा जिसमें उन्हें कुँए को फिर खुदाई का आदेश दिया गया था। उन्होंने यह कुआं पुनः खोदा और पानी फिर निकल आया। आज तक यह फव्वारा जारी है और हर साल हजयात्री और हर दिन हज उमरा करने आए शरणार्थी इससे लाभ उठाते हैं।

पानी कहां से आता है?

अल अरबिया डॉट नेट के मुताबिक़ मोहिउदीन ने बताया कि जमजम कुँए में पानी तीन स्थानों से आता है। यह पता चला है कि इस कुएं में हुजरे असवद, जबल अबू क़ैस और अलमकबरया की दिशाओं से जमा होता है।

ज़मज़ज़म कुँए की बचाव के लिए इसके चारों ओर एक इमारत बनाई गई है। यह कई मंजिला इमारत है। कुंएं की चरों ओर एक जाली भी लगाई गई है। इस कुएं की एक पुरानी डोल जिस पर 1299 हिजरी की तारीख लिखी है हरमैन शरीफ़ैन के संग्रहालय में मौजूद है।सन् 1377 हिजरी में ज़मज़म की इमारत ढा दी गई थी और उसकी जगह एक रास्ता बनाया गया था। यह रास्ता भी समाप्त कर दिया गया है।

जमजम कुँए को सन् 1400 हिजरी में स्वर्गीय शाह खालिद के आदेश पर साफ किया गया था। सन् 2010 में शाह अब्दुल्ला बिन अब्दुल अजीज ने जमजम पानी को साफ और सुरक्षित करने के लिए 700 मिलियन डॉलर के मंसूबे को मंजूरी दी। इस परियोजना के तहत मस्जिद हराम से साढ़े चार किलोमीटर दूर ज़मज़म कारखाना स्थापित किया गया।

इस कारखाने में जमजम पानी को स्टोर किया जाता है। 13 हजार 405 वर्ग मीटर पर बनाई गई इस इमारत में दैनिक दो लाख गैलन जमजम जमा किया जाता है जिसे हरम मक्की में इस्तेमाल किया जाता है।

जमजम पानी को टैंकरों की मदद से मदीना भेजा जाता है। मस्जिदे हराम में जमजम पानी को ठंडा रखने का उचित प्रबंधन है। पानी बचाएं सात हजार पॉइंट्स बनाए गए हैं।