कोलकाता: पश्चिम बंगाल राज्य में बहुत डर के बावजूद, मुहर्रम और साथ ही दुर्गा विसर्जन रविवार को शांतिपूर्वक मनाया गया।
मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने कहा कि दशहेरा और मुहर्रम की वजह से दोनों समुदायों के बीच लड़ाई की संभावना को ध्यान में रखते हुए प्रशासन निगरानी में था।
इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के मुताबिक, इमाम हुसैन की शहीदी को याद करते हुए हजारों मुसलमान बारिश के दौरान भी मुहर्रम के जुलूस में भाग लेते हैं।
कोलकाता व अन्य जिलों में भी ताजिया और काले झंडे लेकर लोग जुलूस ले कर निकलते हैं और लोग अपने सीने पर चोट मारते हैं।
पश्चिम बंगाल सरकार ने 10 सितंबर और 1 अक्तूबर के बाद 30 सितंबर को विजयदाशमी पर दुर्गा मूर्ति विसर्जन पर प्रतिबंध लगाया था जो कि मुहर्रम के पवित्र महीने का दसवां दिन है। हालांकि, भाजपा नेताओं के विरोध प्रदर्शन के बाद कलकत्ता उच्च न्यायालय ने यह आदेश रोक दिया था।
कलकत्ता उच्च न्यायालय ने पश्चिम बंगाल पुलिस को भी दुर्गा प्रतिमाओं के विसर्जन और ताजियों के लिए अलग-अलग मार्गों को निर्दिष्ट करने के लिए कहा था और यह सुनिश्चित करना था कि ऐसे मार्ग एक-दूसरे को ओवरलैप नहीं करें।
दिलचस्प बात यह है कि उच्च न्यायालय के आदेश के बावजूद, बहुत कम आयोजन समिति ने मूर्ति विसर्जन की अनुमति मांगी, ताकि किसी भी संघर्ष के दायरे को समाप्त किया जा सके।
मुहर्रम के इस्लामी महीने में मुसलमान ज़कात देते हैं, रोज़ा रखते हैं और नमाज़ पढ़ते हैं। पैगम्बर मोहम्मद (स.ए.व.) के पोते, इमाम हुसैन, कुछ 1330 साल पहले इराक में करबला में शहीद हुए थे।