जम्मू, कथुआ के एक स्थानीय मंदिर के प्रार्थना कक्ष के अंदर 8 साल की बच्ची को अपरहण कर लाया गया और अनुष्ठान के बाद उसे ड्रग्स दे कर उसके साथ 3 बार सामुहिक बलात्कार किया गया।
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इतना ही नहीं, सामुहिक बलात्कार करने के बाद 2 बार पत्थर से उसके सर पर मारा गया, ताकि वो मर जाये, लेकिन उसके बाद भी जब उसकी सांसे नहीं गई, तो एक पुलिस अफसर ने उसके मरने से पहले आखरी बार उसके साथ बलात्कार किया।
ये सब सिर्फ इस लिए हुए की, बच्ची बकरवाल परिवार से थी, और बलात्कारी मुसलमानों समुदाय को डरा कर उनका अपना घर छुड़वाना चाहते थे। और फिर जो हुआ, वो भारत के इतिहास में एक काला धब्बा बन कर रह जायेगा।
शरुआती जाँच में आरोपी पर आरोप साबित हुआ, उसके बाद आरोपी के पक्ष में तिरंगा यात्रा निकाला गया जय श्री राम के नारे लगाए गए, और इस यात्रा में उस पार्टी के नेता शामिल थे जो ‘बेटी बचाओ’, ‘नारी के सम्मान में बीजेपी मैदान में’ का नारा लगाते हैं, स्थानीय वकील तक बलात्कार के आरोपी के समर्थन में हड़ताल पर चले गए।
सच मे हमारा देश कहाँ से कहाँ पहुँच गया, मंदिर जैसे पवित्र स्थान को भी इन लोगों ने अपनी कुंठता और नफ़रत में अपवित्र कर दिया भगवान माने जाने वाले राम जी तक को इन दंगाइयों और वहशी लोगों ने नहीं छोड़ा, देश का वो संविधान जो हर एक नागरिक को सम्मान देता है, उसी देश के ध्वज के साथ इन दरिंदों ने महज़ 8 साल की बच्ची को हवस का शिकार बनाने वालों के समर्थन में लहरा कर जुलूस निकाला। और सबसे शर्म की बात है, देश के ज़्यादातर लोग आरोपी के समर्थन में अब भी मौन हैं।
(एनडीटीवी के सीनियर पत्रकार रवीश कुमार की वाल से)