मुख्य न्यायाधीश दीपक मिश्रा के खिलाफ विपक्ष के महाभियोग प्रस्ताव के नोटिस को उपराष्ट्रपति वेंकैया नायडू ने खारिज कर दिया। राज्यसभा सभापति नायडू ने कुछ संविधान विशेषज्ञों से चर्चा व सलाह मशविरा के बाद ये निर्णय लिया। अब इस फैसले पर कांग्रेस नेताओं की तरफ से कड़ी प्रतिक्रिया आ रही है। कांग्रेस ने कहा कि इस फैसले पर कानून के जानकारों से बात कर राय ली जाएगी।
एक तरफ भाजपा का आरोप है कि कांग्रेस की तरफ से दिया गया महाभियोग प्रस्ताव राजनीति से प्रेरित कदम था। जबकि दूसरी तरफ वरिष्ठ वकील प्रशांत भूषण ने भी उपराष्ट्रपति के इस फैसले को राजनीति से प्रेरित बताया।
What!! VP Naidu rejects impeachment motion against CJI signed by 64 RS MPs! On what grounds? He has no power to say that charges are not made out. That's for the inquiry committee of 3 judges. He only has to see if it's signed by >50 MPs & possibly if charges are of misbehaviour
— Prashant Bhushan (@pbhushan1) April 23, 2018
वरिष्ठ वकील प्रशांत भूषण ने कहा, ‘क्या! वीपी नायडू ने चीफ जस्टिस के खिलाफ 64 सांसदों के हस्ताक्षर होने के बाद भी महाभियोग प्रस्ताव खारिज कर दिया है! किस आधार पर? आरोपों के पीछे तथ्य नहीं हैं, ऐसा कहने उन्हें अधिकार नहीं है। यह 3 जजों की कमिटी के लिए जांच का विषय है। उन्हें सिर्फ यह देखना है कि क्या जरूरी 50 सांसदों के हस्ताक्षर हैं या नहीं।’ प्रशांत भूषण ने यह भी कहा कि यह फैसला पूरी तरह से राजनीति से प्रेरित है। भूषण ने कहा, ‘चीफ जस्टिस को बचाने के लिए मोदी सरकार दबाव में काम कर रही है।’ आपको बता दें कि प्रशांत भूषण चीफ जस्टिस दीपक मिश्रा पर भ्रष्टाचार के गंभीर आरोप लगा चुके हैं।
दूसरी तरफ भाजपा नेता और राज्यसभा सांसद सुब्रमण्यम स्वामी ने कहा है कि उपराष्ट्रपति ने यह फैसला लेने में 2 दिन का वक्त लगाया। जबकि उन्हें यह प्रस्ताव तत्काल खारिज कर देना चाहिए था। कांग्रेस ने ऐसा कर अपनी खुदकुशी कर ली है।
वहीं, एनसीपी नेता माजिद मेनन ने कहा, ‘हमें अभी इस बात की जानकारी नहीं है कि राज्यसभा सभापति ने किस आधार पर प्रस्ताव खारिज किया है। जहां तक संवैधानिक भूमिका का सवाल है उपराष्ट्रपति का काम जज पर लगे आरोप सच हैं या नहीं, इसकी जांच करना नहीं होता है। राज्यसभा सभापति को सिर्फ सांसदों की जरूरी संख्या देखनी होती है।’