जिसका जिक्र कुरान में किया गया है, आखिरकार वैज्ञानिकों ने खोज कर निकाल ही लिया

काहिरा: मिस्र में पुरातत्वविदों ने रामसेस द्वितीय की सिर और छाती की मूर्ति की खोज की है। सन समारोह के कुछ ही दिन बाद प्राचीन फिरौन के जन्मदिन को चिह्नित करते हुए पुरातत्वविदों ने दक्षिणी शहर असवान में सबसे प्रसिद्ध राजाओं में से एक की प्रतिमा की खोज की है।

Facebook पे हमारे पेज को लाइक करने के लिए क्लिक करिये

कौन है फिरौन आप कुरान के हवाले से जानें तो रामसेस द्वितीय ही वह फिरौन बादशाह है जो नबी हज़रत मूसा के जमाने में मिश्र में शाशन करता था, और उसकी बॉडी नील नदी में पाया गया था जैसा की बाकी रिवायत आप कुरान के हवाले से बेहतर जानते हैं। बता दें कि इस खोज में फिरौन की सिर और छाती की मूर्ति मिली है।

कुरान के हवाले से फिरौन की तो बॉडी पता लगा लिया गया है जो अभी भी मिश्र के मूजियम में रखा गया है। बता दें कि फिरौन को मिस्र की पहुंच का विस्तार करने के लिए श्रेय दिया जाता है जो आधुनिक सीरिया को पूर्वी और दक्षिणी सूडान तक पहुंचाया था। रामेसेस 14 वर्ष की उम्र में मिस्र का उत्तराधिकारी और युवराज बना।

वह अपने बचपन में ही वह मिस्र के सिंहासन पर बैठा और 66 वर्ष तक शासन करता रहा जो की अब तक का सबसे लंबा शासन काल है। अपने शासन काल की शुरुआत में उसने पहले स्मारक और मंदिर बनाने और नगर बसाने पर ध्यान दिया।

अहरम ऑनलाइन ने बताया पिछले गुरुवार अबू सिम्बेल में असवान के मंदिर में कई पर्यटक इकट्ठा हुए थे, ताकि सूरज की किरणों में मूर्तियों को उजागर करते हुए देखा जा सके, उनके बीच फिरौन का एक अलग मूर्ति भी रखा गया था।

अहरम ऑनलाइन ने बताया कि सख्त सुरक्षा उपायों के बीच मिस्र और अन्य देशों के पुरातत्व एवं राज्य के अधिकारियों ने गुरुवार को समारोह में भाग लिया। इसे ही सूर्य समारोह कहा जाता है और इस वक़्त विदेशी सैलानैयों की गेदरिंग रहती है।

बता दें की सूरज की किरणें साल में दो बार मूर्तियों पर चमकती हैं। बाकी समय मुख्य मंदिर के भीतर का पवित्र स्थान अंधेरे में रहता है। लेकिन 22 फरवरी और 22 अक्टूबर को सूर्य की रोशनी में मूर्तियों को उजागर किया जाता है। 22 फरवरी को रामसेस द्वितीय का जन्मदिन, और 22 अक्टूबर को उनका राज्याभिषेक मनाया जाता है।