मोदी सरकार में मुसलामानों पर शुरू हुए हमलों के ख़िलाफ़ लगातार बोलते रहे हैं हामिद अंसारी

उपराष्ट्रपति पद पर हामिद अंसारी का कार्यकाल पूरा हो गया लेकिन ये विदाई विवादों में आ गई। एक इंटरव्यू के बाद हामिद अंसारी को लगातार ट्रोल किया जा रहा है उनकी आलोचना की जा रही है।

दरअसल हामिद अंसारी ने एक इंटरव्यू में कहा कि देश के मुसलमानों में असुरक्षा का माहौल है। उन्होंने कहा कि देश के मुस्लिमों में बेचैनी का अहसास और असुरक्षा की भावना है। स्वीकार्यता का माहौल खतरे में है।

इसी बयान की वजह से हामिद अंसारी की आलोचना शुरू हो गई। बीजेपी समेत कई पार्टियों ने हामिद अंसारी के बयान की आलोचना की तो सोशल मीडिया पर अंसारी लगातार ट्रोल हो रहे हैं । उनके खिलाफ़ फर्जी मैसेज वायरल किए जा रहे हैं और उन्हें देशद्रोही, सांप्रदायिक साबित करने की पूरी कोशिश की जा रही है।

सोशल मीडिया पर कहा जा रहा है कि उपराष्ट्रपति पद से हटते ही हामिद अंसारी मुसलमान हो गए। इसके अलावा हामिद अंसारी के अतीत के कुछ विवादों को भी सामने रखा और अंसारी को कहा जा रहा है कि वो भारतीयता भूल गए हैं ।

लेकिन ये पहली बार हामिद अंसारी नहीं है जब हामिद अंसारी ने ऐसा कोई बयान दिया हो। इससे पहले लगातार हामिद अंसारी दलित-मुस्लिम उत्पीड़न पर बोलते रहे हैं । अंसारी केंद्र सरकार को भी कटघरे में रखते रहे हैं।

ग्रेटर नोएडा के दादरी में बीफ के शक में अखलाक की पीट-पीटकर हत्या की देश और दुनिया में आलोचना हुई तो बतौर उपराष्ट्रपति हामिद अंसारी ने भी इस घटना पर अफसोस जताया।

अक्टूबर 2016 में उन्होंने कहा ”देश के हर नागरिक को जीने का हक है और सभी की जिम्मेदारी है कि अपने पड़ोसियों की रक्षा करें। सरकार भी अधिकारों की सुरक्षा करे।”

इससे पहले सितंबर 2015 में तत्कालीन उपराष्ट्रपति हामिद अंसारी ने सीधे मोदी सरकार को टारगेट किया। उन्होंने कहा कि केंद्र सरकार को मुस्लिमों के साथ हो रहे भेदभाव को दूर करना चाहिए।

इसी दौरान उन्होंने कहा कि सरकार का ‘सबका साथ सबका विकास’ नारा काबिल-ए तारीफ है। मगर इस देश के मुसलमानों को हमेशा सवालिया निशानों से देखने से बाज आना चाहिए।

उपराष्ट्रपति रहते हुए हामिद अंसारी ने लगातार मुस्लिमों-दलितों के शोषण पर आवाज़ उठाई। इसके अलावा उन्होंने इसी साल मार्च में पंजाब यूनिवर्सिटी में कहा था कि विश्वविद्यालयों की आजादी के सामने आज चुनौती खड़ी हो गई है।

उन्होंने कहा कि हाल के समय में संकीर्ण सोच का दायरा फैल रहा है। अंसारी ने कहा था कि संविधान में असहमति और विरोध का जताने का अधिकार इसीलिए दिया गया है कि समाज में विचारों की आजादी बनी रहे।

ऐसा नहीं है कि हामिद अंसारी सिर्फ़ मोदी सरकार बनने के बाद ही मुखर हुए हों इससे पहले भी वो मुसलमानों को लेकर बयान देते रहे हैं। दिसंबर 2009 में उन्होंने पटना में कहा था कि आजकल मुसलमानों की बढ़ती आबादी को लेकर उनकी नई छवि बन रही है।

इस दौरान उन्होंने मुस्लिमों को शिक्षा की दिशा में आगे बढ़ने और महिलाओं के उत्थान की वकालत की थी।

हामिद अंसारी को ट्रोल किए जाने का सिलसिला नया नहीं है, इससे पहले हामिद अंसारी की देशभक्ति और निष्पक्षता पर सवाल उठते रहे हैं । साल 2015 में गणतंत्र दिवस के मौके पर भी हामिद अंसारी के खिलाफ़ दुष्प्रचार किया गया।

गणतंत्र दिवस समारोह के दौरान राष्ट्रगान बजने के समय राष्ट्र ध्वज को सलामी नहीं देने पर भी काफी विवाद हुआ था। हामिद अंसारी को खूब ट्रोल किया गया था।

इस मसले पर बाद में उपराष्ट्रपति के ओएसडी ने सफाई देते हुए कहा था, ”गणतंत्र दिवस परेड के दौरान भारत के राष्ट्रपति सर्वोच्च कमांडर के नाते सलामी लेते हैं।

प्रोटोकॉल के मुताबिक उपराष्ट्रपति को सावधान की मुद्रा में खड़ा होने की जरूरत होती है।” बीजेपी नेता राम माधव ने उस दौरान राज्यसभा टीवी पर प्रसारण को लेकर भी हामिद अंसारी पर सवाल उठाए थे। हालांकि पिछली बार की तरह उस बार भी बाद में राम माधव ने खेद प्रकट कर दिया था ।

21 जून 2015 को यानि पहले अंतरराष्ट्रीय योग दिवस के मौके पर पीएम नरेंद्र मोदी , राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी ने योग किया । लेकिन उपराष्ट्रपति होते हुए हामिद अंसारी योग दिवस कार्यक्रम में शामिल नहीं हुए।

तब बीजेपी के राष्ट्रीय महासचिव राम माधव ने हामिद अंसारी की आलोचना भी की। हालांकि, उन्होंने बाद में हामिद अंसारी की तबीयत खराब होने की जानकारी होने की दलील देते हुए अपना ट्वीट डिलीट कर लिया था।