जब हुजुर (स.अ.व) ने फ़रमाया, कोई मस्जिद की तरफ जाता है तो वो अल्लाह की किताब से दो आयतें पढ़ ले

उक़बा बिन आमिर रदी अल्लाहू अन्हु से रिवायत है की रसूल-अल्लाह सल-अल्लाहू अलैही वसल्लम हमारे पास आए और फरमाया की तुम में से कौन चाहता है की रोज़ सुबह को बूतहान या अक़ीक़ को जाए (ये दोनो मदीना के बाज़ार थे) और वहां से बगैर किसी गुनाह के और बगैर किसी रिश्तेदार की हक़ तल्फि के दो बड़े बड़े कुहान वाली ऊटनियां लाए।

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हमने अर्ज़ किया या रसूल-अल्लाह सल-अल्लाहू अलैही वसल्लम हम सब इसको चाहते हैं, तो आप सल-अल्लाहू अलैही वसल्लम ने फरमाया तुम में से जो कोई मस्जिद की तरफ जाता है तो वो अल्लाह की किताब से दो आयतें खुद पढ़ ले या सीखा दे ये उसके लिए दो ऊंटनियों से बेहतर है।

और तीन (आयतें पढ़ना या सीखाना) तीन (ऊंटनियों) से बेहतर है, और चार (आयतें पढ़ना या सिखाना ) चार से बेहतर है इस तरह आयतों की तादाद ऊंटनियों की तादाद से बेहतर है। सही मुस्लिम, जिल्द 2, 1873