जब महंत दिगवविजय नाथ ने कहा था कि क़ुरान में लिखा है- ‘हिन्दू की हत्या बड़े सवाब का काम है’

यह 1950 के दशक की बात है। महंत दिगवविजय नाथ इलाहाबाद में एक एक चुनावी सभा से ख़िताब कर रहे थे। वह चीख चीखकर कह रहे थे कि कुरान में लिखा है ‘हिन्दू का हत्या बड़े सवाब का काम है’। वह ऐसा अपने हर बैठक में करते थे, इस्लाम और मुसलमानों के खिलाफ जहर उगलने में कोई कसर उठा रखना नहीं चाहते थे और उनके सभाओं में कट्टरपंथियों की खासी भीड़ होती थी।

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वह उस दिन भी अपने खास अंदाज़ और जबरदस्त लब व लहजे में हिन्दू नौजवानों की रगों में आग भड़काने के लिए अपना पसंदीदा फकरा दोहरा रहे थे। इतने में वहां शहर का एक जाना माना चेहरा प्रकट हुआ और वह भीड़ को चीरता हुआ स्टेज तक चला गया। यह इतिहास व संस्कृति के प्रसिद्ध स्कोलर और कांग्रेस के नेता डॉक्टर बिशंभर नाथ पांडे थे। वह महंत के पास गये, महंत ने उनकी ओर पलटकर देखा, वह अपने साथ कई किताबें लाये थे। वह रुके तो बीएन पांडे ने उनसे कहा कि आप अभी कह रहे थे कि कुरान में लिखा है कि हिन्दू का हत्या बड़े सवाब का काम है।

उन्होंने पुरे कुरान को कई बार पढ़ा है लेकिन उसमें एसी कोई बात कहीं नहीं पाई। वह अपने साथ कुरान पाक के कई उर्दू, हिन्दू और इंग्लिश अनुवाद लाये हैं। अगर कुरान में वाकई कहीं कोई ऐसा बयान है तो वह उसकी निशानदही कर दें। भीड़ हैरान था, हक्का बक्का उनको देख रहा था, लोग आपस में घुसुर फुसर करने लगे। महंत को सख्त रुसवाई करना पड़ा।उत्तर प्रदेश में लोकसभा के उप चुनाव के नतीजे आए और राज्य के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ और उप मुख्यमंत्री स्वामी प्रसाद मोर्य की जग हंसाई शुरू हुई और राजनीति के सेकुलर चेहरों के साथ देश और राज्य के मुसलमानों ने जीत का जश्न मनाना शुरू किया तो मुझे महंत देग्विजय नाथ याद आए। जिल्लत व रुसवाई की वह तस्वीरें जो इतिहास के पन्ने में सुरक्षित हैं एक एक करके ताज़ा हो गईं।

गोरखपुर की गोरखपीठ के महंत, अखिल भारतीय हिन्दू महासभा के राज्य संयुक्त आगरा व अवध के प्रमुख, महात्मा गाँधी की हत्या पर हिन्दू नौजवानों को भड़काने के आरोपी और बाबरी मस्जिद में राम की मूर्ति रखने के योजना के मास्टर माइंड दिग विजयनाथ। महंत दिग्विजय नाथ से योगी आदित्यनाथ तक उतार चढाव से भरी एक एसी कहानी निगाहों के सामने थी जिसका हर पन्ना अपने अंदर कई सबक रखता है।