श्री श्री रविशंकर जी! आप एक धार्मिक नेता हैं और मेरे धर्म में किसी भी धर्म के नेता या शख्सियत का सम्मान करना अनिवार्य है। मैं आप का भी तहेदिल से सम्मान करता हुए और समझता हूँ कि आप एक इमानदार धार्मिक शख्सियत होने नाते किसी एक धर्म, सम्प्रदाय या जाति के हित में नहीं, बल्कि पूरी इंसानियत के हित में काम करेंगे। धार्मिक नेता किसी भी धर्म का हो, उस पर पूरी इंसानियत दुनिया के हर मजलूम और बेबस इंसान की आवाज़ बनने और उसे इंसाफ दिलाने की ज़िम्मेदारी होती है। एक धार्मिक नेता पूजा अपने तरीका से अपने खुदा की करता है, मगर लड़ाई सब के लिए लड़ता है। इंसाफ सबको दिलाता है।
Facebook पे हमारे पेज को लाइक करने के लिए क्लिक करिये
श्री श्री मैं आप से मिल भी चूका हूँ । आप से बातचीत भी कर चूका हूँ। आपने मुझे भरोसा दिलाया था कि आप देश में शांति भाईचारा कायम करने के लिए संघर्ष करेंगे। आप हिन्दू, मुस्लिम, सिख, इसाई और एकता के लिए काम करेंगे।आपने मुझे बताया था कि किस तरह इराक़ और सीरिया में आप और आपकी संगठन मजलूमों, खासकर यज़ीदी सम्प्रदाय के लोगों के लिए काम कर रही है। हमने आप की उन कोशिशों को सराहा भी था।
श्री श्री आपकी चुप्पी!
जब आप 1992 में अयोध्या में बरबरी मस्जिद शहीद हुई, उस समय भी आम मुसलमानों से कह रहे थे कि वह बाबरी मस्जिद की जमीन हिन्दू भाइयों के भावनाओं का सम्मान करते हुए उनके हवाले कर दें, मगर जब मुस्लिम भाइयों के भावनाओं की प्रवाह किये बगैर संघ परिवार ने नाजायज़ तरीका से बाबरी मस्जिद को शहीद करके वहां जबरदस्ती एक मंदिर बना दिया तो आप खामोश रहे। उसके बाद पूरे देश में विशेषकर मुंबई में जो भयानक दंगे हुए, जिन में हजारों भारतीय मारे गये, आपने उनकी निंदा तक नहीं की, बल्कि आप ने उस नाजायज़ कार्रवाई का साथ दिया और उसे जायज़ ठहराया। श्रीमान रविशंकर जी! मैं हमेशा से बातचीत और एक सम्मानजनक समझौते के तहत बाबरी मस्जिद समस्या को हल करने के पक्ष में रहा हूँ।
शाहिद सिद्दीकी