इस पूरे संकट का असर विधायकों पर पड़ेगा, लेकिन केजरीवाल को इससे सहारा ही मिलेगा

कोई दिन ऐसा नहीं जाता जब आम आदमी पार्टी किसी संकट से दो चार नहीं होती। लेकिन इस बार जो संकट आया है वह संविधानिक रूप में है इसके नतीजे में आप के बीस विधायकों पर दोबारा चुनाव में जाने की तलवार लटकने लगी है।

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जहाँ तक अरविन्द केजरीवाल सरकार का सवाल है तो उसपर ऐसा कोई खतरा नहीं जिससे कि उन्हें अपनी फ़िक्र करनी पड़े। इस लिए चुनाव आयोग की ओर से राष्ट्पति को भेजी गई सिफारिश कि लाभान्वित रखने कि वजह से आप के बीसों विधायक की सदस्यता रद्द कर दी जाए।

इसके बावजूद अगले दिन अरविन्द केजरीवाल एक कार्यक्रम के बीच क्रिकेट का बल्ला हाथ में लिए दिखाई दिए। वैसे तो राजनेता इस हुनर में माहिर होते हैं जिस में जो कुछ उनके अंदर का तूफान है वह बाहर नजर नहीं आता लेकिन यहाँ सच भी है कि इस पूरे संकट का असर विधायकों पर ज़ोर पड़ेगा लेकिन अरविन्द केजरीवाल को उससे सहारा मिलेगा।

सवाल यह है कि क्या अरविन्द केजरीवाल को इस बारे में जानकारी नहीं थी कि यह जो राजनितिक सचिव वह बनाने जा रहे हैं, एक दिन उन सबका मामला खतरे में पड़ जायेगा। जो लोग यह कहते हैं कि यह लोग सरकार में नये नये आये हथे इसलिए उन्हें खबर नहीं रही होगी वह इस सच को नहीं जानते कि सरकार किसी एक शख्स की ताकत का नाम नहीं है बल्कि सरकार तो सबके मशवरों के बाद ही होती है।