मुसलमानों के खिलाफ हिंसा क्यों फैला रहे हैं बौद्ध?

नई दिल्ली: भगवान बौद्ध ने करीब 2500 साल पहले शांति और अहिंसा पर आधारित बौद्ध धर्म की शुरुआत। लंबे समय तक बौद्ध धर्म को मानने वाले हिंसा से दूर रहे। लिकन पिछले कुछ वर्षों में म्यांमार, श्रीलंका और थाईलैंड जैसे देशों में बौद्ध धर्म के लोग हिंसा फैलाने और उसे सही ठहराने में आगे रहे हैं। इन तीनों देशों में मुसलमान आम तौर पर बौद्ध धर्म के निशाने पर रहते हैं। यह एक बड़ा सवाल है कि आखिर हिंसा क्यों फैला रहे हैं बौद्ध?

श्रीलंका में हाल की हिंसा:

कैंडी में एक मुस्लिम के जरिए बौद्ध संहली की हत्या के बाद वहाँ मुसलमानों के खिलाफ हिंसा शुरू हो गया। फरवरी के अंत तक हिंसा देश के कई भागों में फैल गया। कैंडी और कई अन्य शहरों में न केवल मुसलमानों पर हमले हुए बल्कि उनके घरों, कारोबार और जायदाद को निशाना बनाया गया। नतीजा श्रीलंका में आपातकाल लागु करना पड़ा। श्रीलंका में मुसलामन आम तौर पर शांतिप्रिय लोगों के रूप में माने जाते हैं, वहां 76 फीसद जनसंख्या संहली बौद्ध की है।

हिंदू तमिलों से भी लंबा संघर्ष चला था:

श्रीलंका में इससे पहले 80 और 90 के दशक में हिंदू तमिल और सनहलयों में भारी टकराव हुआ था। युद्ध जैसे हालात बने थे। तब बौद्ध मत ने सनहलयों को भड़काने के साथ सरकार का साथ देने का काम किया था।

म्यांमार में बौद्ध आक्रमण हिमालय के चोटी पर:

म्यांमार में हाल के वर्षों में बौद्ध और रोहिंगा मुसलमानों के बीच संघर्ष की खबरें सुर्खियों में रही हैं। रोहिंग्या मुसलमानों के खिलाफ हिंसा ने अंतरराष्ट्रीय समुदाय का ध्यान भी खींचा। यहाँ बौद्ध और रोहिंग्या में टकराव के 25 साल से कहीं अधिक हो चले हैं। म्यांमार में बौद्ध आबादी को रोहिंग्या मुसलमान खटकते हैं। उन्हें बंगलादेशी कहा जाता है। देश से जाने की धमकियां दी जाती हैं 1995 से मुसलमानों के खिलाफ सुनियोजित हमले में वृद्धि हुई है। अब तक हजारों रोहिंग्या मारे जा चुके हैं जबकि लाखों पलायन कर चुके हैं ।