जम्मू व कश्मीर की झांकी पर ‘उर्दू’ में राज्य का नाम क्यों नहीं, सोशल मीडिया पर बहस

श्रीनगर: राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली में 26 जनवरी को देश के 69वां गणतंत्र के अवसर पर आयोजित होने वाली केंद्रीय समारोह में में पेश की गई जम्मू कश्मीर की झांकी में राज्य की आधिकारिक भाषा ‘उर्दू’ में राज्य का नाम लिखा न होने पर सोशल मिडिया खासकर फेसबुक पर इसे लेकर जबरदस्त बहस छिड़ गई है।

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सोशल मिडिया पर अधिकतर लोग झांकी पर उर्दू की गैर मौजूदगी के लिए राज्य की वर्तमान पीडीपी-भाजपा गठ्बंधित सरकार को जिम्मेदार ठहरा रहा है। जबकि अन्य लोगों ने इसे देश का एकलौता मुस्लिम बहुल राज्य को भी भगवा रंग में रंग देने की शरुआत कहा है।

खबर के अनुसार, एक वरिष्ठ कश्मीरी पत्रकार ने इस मामले को सामने लाते हुए अपनी फेसबुक पर झांकी की तस्वीर अपलोड करते हुए लिखा कि हमें हिंदी भाषा से भी मोहब्बत है। लेकिन इस वर्ष के गणतंत्र दिवस के परम्परागत परेड के लिए जम्मू कश्मीर की झांकी से उर्दू जो सरकारी भाषा है गायब क्यों है?

गणतंत्र दिवस की केंद्रीय समारोह में पेश की गई झांकी जिसमें राज्य की तहजीब, संस्कृति, पहनावा और खूबसूरती को दिखाया गया है उसमें राज्य का नाम सिर्फ हिंदी में लिखा गया था। हालांकि, आधिकारिक सूत्रों ने बताया किगणतंत्र दिवस की केंद्रीय समारोह में पेश किये गये हर एक झांकी पर राज्यों और संस्थाओं का नाम देश की राष्ट्रीय भाषा हिंदी में लिखे गये थे। हालांकि लोगों का कहना है कि जम्मू व कश्मीर की झांकी से ‘उर्दू’ को जान बुझकर गायब किया गया है।

वहीँ एक फेसबुक यूजर ने लिखा है कि महबूबा मुफ़्ती राज्य को भगवा रंग में रंगने पर तुली हुई हैं। वह सत्ता में बने रहने के लिए किसी भी हद तक समझौता कर सकती हैं।