पत्रकार जमाल ख़ाशुक़जी की हत्या से पहले आखरी शब्द थे… मेरा…?

तुर्की के दैनिक अख़बार सबाह के संपादक ने कहा है “मेरा दम घुट रहा है।” सऊदी अरब के आलोचक पत्रकार जमाल ख़ाशुक़जी के अंतिम शब्द थे जिन्हें 2 अक्तूबर को इस्तांबूल शहर में सऊदी अरब के वाणिज्य दूतावास में जान से मार दिया गया।

सबाह के संपादक ने उस गुप्त ऑडियो टेप से इस जुमले की बिट का पर्दाफ़ाश किया जो ऑडियो टेप रिपोर्ट के अनुसार, जमाल ख़ाशुक़जी की हत्या के समय रेकॉर्ड हुआ था। सबाह के संपादक नज़ीफ़ करामान ने कहा कि सऊदी पत्रकार, हत्यारों के हाथों मरने से पहले जान की भीख मांग रहे थे।

नज़ीफ़ करामान ने जो दैनिक सबाह में इन्वेस्टिगेटिव जर्नलिज़्म विभाग के प्रमुख हैं, शनिवार को कहा कि ख़ाशुक़जी के हत्यारों ने उनका गला घूंटने के लिए उनके सिर पर बैग रखा था।

नज़ीफ़ करामान ने क़तर के टीवी चैनल अलजज़ीरा से इस सूचना को साझा करते हुए कहाः “मेरा दम घुट रहा है, यह बैग हटाओ, मुझे क्लैस्ट्रफ़ोबिया से डर लगता है।” ख़ाशुक़जी के अंतिम जुमले थे।

करामान ने इस नृशंस हत्या से संबंधित अपने बयान का आधार उस ऑडियो टेप को बनाया है, जिसके बारे तुर्क सरकार का कहना है कि इससे पता चलता है कि 2 अक्तूबर को सऊदी वाणिज्य दूतावास में ख़ाशुक़जी की हत्या पूर्वनियोजित थी।

तुर्क राष्ट्रपति रजब तय्यब अर्दोग़ान ने शनिवार को कहा कि अंकारा ने इस ऑडियो को सऊदी अधिकारियों और 4 पश्चिमी देशों की गुप्तचर सेवाओं से साझा किया है।

साभार- ‘parstoday.com’