संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद की बैठक से ठीक पहले रोहिंग्या मामले पर विश्व समुदाय बंटे हुए नजर आए। अमेरिका ने जहां रोहिंग्या मुसलमानों पर हुए म्यांमार के सैन्य कार्रवाई की निंदा की, वहीं चीन ने सैन्य कार्रवाई को उचित ठहराया।
संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद की बैठक में रोहिंग्या मुसलमानों के खिलाफ अत्याचार पर म्यांमार को विश्व आरोप से बचाने के लिए चीन ने हस्तक्षेप से काम लिया है। इसका स्पष्ट संबंध चीन के दक्षिण-पूर्व एशिया में अपने प्रभाव को बढाना है।
म्यांमार में आंग सान सूची की असैन्य सरकार के गठन के बाद इस देश के साथ चीन ने व्यापार, ऊर्जा और बुनियादी क्षेत्रों में मजबूत संबंध बनाये हैं। म्यांमार की पश्चिमी राज्य रखाइन में रोहिंग्या ‘उग्रवादी’ की ओर से 25 अगस्त को पुलिस चौकियों पर हमले के बाद सेना की ओर से इस बड़े पैमाने पर जवाबी कार्रवाई शुरू की गई, जिस में रोहिंग्या के घरों को फौजों और बुधिष्टों की ओर से जलाया गया और उन्हें अत्याचार का निशाना बनाया गया जिसके बाद भारी पैमाने पर रोहिंग्या मुस्लिम जान बचाने के लिए स्थानांतरित होने पर मजबूर हुए।
खबरों के मुताबिक अब तक 3 लाख 70 हजार रोहिंग्या मुसलमान विस्थापन हो चुके हैं, फौजी कार्रवाई की स्वतंत्र स्रोतों से पुष्टि नहीं हो सकी है क्योंकि विदेशी पत्रकारों को वहां जाने की अनुमति नहीं है।