फर्रुखाबाद की शिवानी के हौंसले को हर कोई सलाम करेगा। दोनों हाथों के बिना पैदा हुई शिवानी ने अपनी हिम्मत और हौंसले से ज़िंदगी जीने की ठानी। आज शिवानी दोनों हाथ न होने के बावजूद किसी पर मुंहसिर नहीं हैं। पढ़ाई में भी अव्वल आती है और उसका अज़्म भी यही है कि वह अपने पैरों पर खड़ी हो सके और किसी पर बोझ न बने।
शिवानी जब पैदा हुई तभी उसके दोनों हाथ नहीं थे। उसके वालिदैन काफी परेशान हुए। एक तो लड़की और वह भी दोनों हाथों से अपाहिज। लेकिन, जब पैदा हो ही गयी तो उसकी परवरिश शुरु हो गयी। धीरे-धीरे शिवानी बड़ी होने लगी। स्कूल में दाखिला दिला दिया गया।
हाथों से माज़ूर होने की वजह से शिवानी ने पैंरों से सभी काम करना शुरु कर दिया। किताब पढ़ना और पेन से लिखना भी उसने पैर से ही शुरु किया। खाना खान, चाय-पानी पीने से लेकर कंघा करने वगैरह सभी काम भी उसने पैरों से ही करना शुरु कर दिया। पढ़ाई में वह शुरु से ही टॉप आने लगी। आज शिवानी ग्यारहवीं में है और अब वह इंजीनियर बनना चाहती है। शिवानी का कहना है कि वह इंजीनियर बनना चाहती है।
शिवानी की मां सरोज ने बताया कि शिवानी ने सभी काम पैर से करना सीख लिया है। शुरु में बेटी को देखकर तकलीफ होती थी, लेकिन अब तो आदत पड़ गयी है
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