एक महीने पहले 32 टीमों के साथ शुरू हुआ फीफा विश्व कप का रोमांच अब फ्रांस और क्रोएशिया के बीच रविवार को लुज्निकी स्टेडियम में होने वाले खिताबी मुकाबले तक सिमटकर रह गया है क्रोएशिया की टीम अपने खेल इतिहास की सबसे बड़ी उपलब्धि हासिल करने की कगार पर है तो वहीं पूर्व चैंपियन फ्रांस इस महा भिड़ंत में इतिहास दोहराने के लिए तैयार है। बता दें की 32 टीमों में से सात टीमें इस्लामी देशों का प्रतिनिधित्व कर रही थीं, जिनमें से अधिकांश या उनके अधिकांश सदस्य मुसलमान थे।
फ्रांस की राष्ट्रीय टीम में आज 7 फुटबॉल खिलाड़ी हैं जो मुसलमान हैं। और आज के फाइनल मैच पर सारा दारोमदार टिका हुआ है:
इन मुस्लिम खिलाडियों में आदिल रामी , डीजेब्रिल सिडीबे, बेंजामिन मेन्डी, पॉल पोगबा, एनगोलो कोंटे, नाबिल फेकीर और ओसमैन डेम्बेले शामिल हैं। मुस्लिम खिलाड़ियों में से पॉल पोगबा पहले से ही सुर्ख़ियों में थे जब वह फीफा 2018 विश्वकप की शुरुआत से पहले उमरा करने के लिए सऊदी अरब के मक्का गए थे।
विशेषज्ञों का कहना है कि 2018 विश्वकप फाइनल में फ्रांस की सफलता की कुंजी पॉल पोगबा समेत अपने सभी स्टार खिलाड़ियों को सर्वश्रेष्ठ क्षमता में खेलना होगा। अधिक स्वतंत्रता के साथ पोगबा ने दिखाया है कि वह लेस ब्लीस का सर्वश्रेष्ठ खिलाड़ी हो सकता है।
12 साल बाद फ्रांस फीफा विश्वकप फाइनल में पहुंचा इसकी राष्ट्रीय फुटबॉल टीम में भी अतीत में मुस्लिम खिलाड़ी थे। उनमें से प्रमुख ज़िन्दिन जिदेन, करीम बेंजामा, हमत बेन अर्फा, फ्रैंक रिबेरी, समीर नासरी और कुछ अन्य थे। 1994 से 2006 तक फ्रांस के लिए खेलने वाले ज़िनेडिन ज़िडेन का करियर रिकॉर्ड सबसे अच्छा रहा था ।