हाईकोर्ट के सेवानिवृत जज को मस्जिद में नमाज पढ़ने से रोका, चार के खिलाफ मुकदमा

उत्तर प्रदेश के पीलीभीत जिले में हाईकोर्ट के एक रिटायर्ड जज को नमाज पढ़ने से रोके जाने का मामला सामने आया है। नगर की जामा मस्जिद में नमाज पढ़ने से रोक दिए जाने के बाद जज ने कोतवाली में जामा मस्जिद के सदर इमाम, शहरकाजी सहित चार लोगों के खिलाफ मुकदमा दर्ज कराया है।

रिटायर्ड जज का आरोप है कि उनको देवबंदी बताकर नमाज पढ़ने से रोक दिया गया था। रिटायर्ड जज ने पूर्व कैबिनेट मंत्री हाजी रियाज अहमद पर भी आरोप लगाया है। पुलिस ने मुकदमा दर्ज कर मामले की जांच शुरू कर दी है।

मुसफ्फे अहमद द्वारा मस्जिद में नमाज पढ़ने से रोकने का कारण पूछे जाने पर इमाम ने बताया कि वह देवबंदी संप्रदाय को मानने वाले हैं, इस संप्रदाय के लोग यहां नमाज पढ़ने नहीं आ सकते।

जब रिटायर्ड जज ने पुलिस को इस मामले से अवगत कराया तो पुलिस ने बिना रिपोर्ट दर्ज किए तहरीर पर जांच की बात कहकर उन्हें टरका दिया, जिसके बाद उन्होंने कोर्ट में शिकायत पत्र देकर कार्रवाई की मांग की।

कोर्ट ने मामले को गंभीरता से लेते हुए कोतवाली पुलिस को कार्रवाई के निर्देश दिए हैं। कोर्ट के आदेश पर कोतवाली पुलिस ने 11 महीने बाद आस्तान-ए-हशमतिया के सज्जादानशीं मौलाना जरताब रजा खां, जामा मस्जिद के सदर इमाम इजहार अहमद बरकती समेत चार के खिलाफ केस दर्ज कर लिया है।

रिटायर्ड जज ने तहरीर में एसपी सरकार में कैबिनेट मंत्री रहे पूर्व विधायक हाजी रियाज अहमद के संरक्षण में इस पूरे प्रकरण को अंजाम दिए जाने की बात भी कही है।

पीलीभीत के एसपी बालेंदु भूषण सिंह ने बताया कि कोर्ट के आदेश पर रिटायर्ड जज की ओर से एफआईआर दर्ज की गई है। इस पूरे मामले की गहनता से जांच करने के बाद निष्पक्ष विवेचना की जाएगी।