सऊदी अरब ने पहले ‘न्यूक्लियर रिसर्च रिएक्टर’ की नींव रखा

सऊदी अरब के युवराज मोहम्मद बिन सलमान ने सोमवार को देश के पहले न्यूक्लियर रिसर्च रिएक्टर की नींव रखी। सऊदी सरकार का मानना है कि ऊर्जा जरूरतों को पूरा करने के लिए पारंपरित स्रोतों से हटकर नए विकल्पों पर आगे बढ़ने की जरूरत है। ये रिएक्टर उन सात प्रोजेक्ट्स में से एक है जिसका ऐलान युवराज किंग अब्दुल्ला सिटी जाने पर किया था।

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सऊदी प्रेस एजेंसी ने रिसर्च रिएक्टर या नॉन पॉवर रिएक्टर के बारे में विस्तार से जानकारी नहीं दी है। अभी ये साफ नहीं है कि रिएक्टर का इस्तेमाल रिसर्च के लिए या व्यवसायिक उत्पादन के लिए किया जाएगा।

इसके साथ ही ये भी साफ नहीं है कि रिसर्च रिएक्टर बनाने में कितनी लागत आएगी। जानकारों का कहना है कि सऊदी अरब की खासियत ये है कि उसके शासक किसी भी सौदे की कीमत या किसी प्रोजेक्ट्स के जमीन पर उतरने से पहले सुरक्षा के लिहाज से कुछ भी कहने से बचने की कोशिश करते हैं।

दुनिया के तेल उत्पादकों में सऊदी अरब की भूमिका अहम है। सऊदी अरब अपनी जरूरतों का ज्यादातर हिस्सा पेट्रोल और डीजल पर निर्भर है। इसके साथ ही अगले दो दशक में सऊदी अरब 16 परमाणु रिएक्टर बनाने की योजना पर काम कर रहा है।

सीबीएस टेलीविजन के साथ बातचीत में मोहम्मद बिन सलमान ने कहा कि ईरान के राष्ट्रपति हिटलर की तरह हैं। इसके साथ ही उन्होंने कहा कि वो चाहते हैं मध्यपूर्व में उनका खुद का प्रोजेक्ट हो।

सऊदी अरब ने 2015 में ईरान के परमाणु कार्यक्रमों को लेकर आपत्ति जता चुका है। बता दें कि ईरान के परमाणु कार्यक्रम को दुनिया के लिए खतरनाक बताते हुए कड़े प्रतिबंधों का ऐलान किया है।