चेन्नई : भारतीय छात्रों द्वारा बनाया गया दुनिया का सबसे हल्का उपग्रह – कलामसैट – 24 जनवरी को इसरो द्वारा लॉन्च किया गया था, और इससे भी दिलचस्प बात यह है कि इसने लॉन्च के लिए एक भी रुपया नहीं लिया। यह प्रक्षेपण श्रीहरिकोटा के सतीश धवन अंतरिक्ष केंद्र में पहले लॉन्च पैड से लगभग 11:40 बजे हुआ। उपग्रह को चेन्नई में ‘Space Kidz India’ नामक संगठन के साथ काम करने वाले छात्रों द्वारा डिजाइन और निर्मित किया गया है। इसरो ने कहा कि कलामसैट-V2 दुनिया का सबसे हल्का उपग्रह है। श्रीहरिकोटा के सतीश धवन अंतरिक्ष केंद्र से लॉन्च होने के साथ ही एक अन्य मील का पत्थर भी है – यह एक भारतीय निजी इकाई और ‘Space Kidz India’ द्वारा बनाया गया पहला उपग्रह है। इसरो द्वारा लॉन्च किया गया।
स्नातक के छात्र रिफ़त सात लोगों की टीम के सबसे छोटे सदस्य हैं. 1.26 किलोग्राम का ये सैटेलाइट महज़ छह दिन में बनाया गया है. सफ़ल लॉन्च के बाद इसे बनाने वाली टीम की चारो ओर चर्चाएं हो रही हैं. सभी लोग सदस्यों की प्रतिभा की तारीफ़ें कर रहे हैं. कलाम-सैट V2 सैटेलाइट का नाम देश के पूर्व राष्ट्रपति एपीजे अब्दुल कलाम के नाम पर रखा गया है. ये सातवां सैटेलाइट है जिसे इस टीम ने डिज़ाइन किया है. रिफ़त शारूक कहते हैं, ”पिछले सैटेलाइट हमने जो भी बनाए थे उनका अनुभव हमारे काम आया. लेकिन हमारे पास कई नए आइडिया भी थे. इस सैटेलाइट के लिए इसरो के वैज्ञानिकों ने हमारी मदद की. हमें जब भी मदद की ज़रूरत होती हम उनके पास जाते.” इसरो ने इस सैटेलाइट को एक अतिरिक्त सैटेलाइट के तौर पर रॉकेट में रखा था, जिसे मुफ़्त में कक्षा में भेजा गया.
शारूक कहते हैं, ”हम इसरो के शुक्रगुज़ार हैं कि उन्होंने हमारे सैटेलाइट को मुफ़्त में भेजा. अगर हम किसी निजी कंपनी के जरिए ये सैटेलाइट भेजते तो हमें 60 हज़ार डॉलर से 80 हज़ार डॉलर तक पैसे देने होते, हम ये कीमत नहीं भर पाते.”
इस सैटेलाइट को 18 हज़ार डॉलर में बनाया गया है. इसे रेडियो सेवा चलाने वालों को अपने कार्यक्रमों के लिए तरंगों के आदान-प्रदान में मदद मिलेगी. ये दो महीने तक अंतरिक्ष में रह सकता है. शारूक बताते हैं, ”हमें इसका डिज़ाइन बनाने में दो दिन लगे और बाक़ी दिन हमें इसे बनाने में लगे.” ये टीम चेन्नई के एक फ़्लैट में बैठ कर काम करती है. इस फ़्लैट को ही इन लोगों ने एक दफ़्तर की शक्ल दे दी है.
21 साल के यज्ञ साई उम्र के मामले में इस टीम के सबसे बड़े सदस्य हैं. कुछ महीने पहले ही उन्होंने एरोस्पेस में अपनी इंजीनियरिंग की पढ़ाई ख़त्म की है. साई कहते हैं, ”नासा में मैंने अमरीका के पुराने मिशन के जरिए बहुत कुछ सीखा. वहां मैं एक अंतरिक्ष यात्री से भी मिला जिन्होंने मुझे नासा से निकाल दिया.”45 साल के व्यवसायी श्रीमति केसन स्पेस किड्स की प्रमुख हैं, अपने अंतरिक्ष के शोध के लिए उन्हें कई कॉरपोरेट फ़ंडिंग मिल रही है. इसके अलावा वे कई छोटे अंतरिक्ष से जुड़े प्रोजेक्ट को ख़ुद फ़ंड भी करती हैं.
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