नई दिल्ली। भारत ने साल 2015 में अपने पड़ोसी द्वीपीय देश सेशेल्स में एक नौसैनिक सैन्य अड्डा बनाने का समझौता किया था लेकिन अब भारत की इन कोशिशों को बड़ा झटका लगा है। दरअसल सेशेल्स के राष्ट्रपति ने ऐलान किया है कि अब सेशेल्स में भारत का नौसैनिक अड्डा नहीं बनेगा। भारत और सेशेल्स के बीच परियोजना पर 2015 में समझौता हुआ था।
दोनों देशों ने इसे गुप्त रखने का फैसला किया था लेकिन कुछ ही दिन पहले परियोजना की जानकारी लीक हो गई थी। इसके बाद सेशेल्स के राजनीतिक दलों ने फॉरे का विरोध शुरू कर दिया था। फॉरे इसी महीने 26 तारीख को द्विपक्षीय वार्ता के लिए भारत दौरे पर आने वाले हैं। फिलहाल भारत, सेशेल्स के राष्ट्रपति डैनी फॉरे के बयान को समझने की कोशिश कर रहा है।
एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में फॉरे ने ये भी कहा था कि वे भारत दौरे में भी शीर्ष नेतृत्व से परियोजना के बारे में चर्चा नहीं करेंगे। हालांकि,भारतीय विदेश मंत्रालय ने इस बारे में कोई टिप्पणी नहीं की है। सेशेल्स के राष्ट्रपति डैनी फॉरे 25 जून को भारत के दौरे पर आ रहे हैं, लेकिन नौसैनिक अड्डे के मुद्दे पर इस दौरान कोई बातचीत प्रस्तावित नहीं है।
सेशेल्स के साथ हुआ यह समझौता भारत की सुरक्षा के लिहाज से बेहद अहम था। इसकी वजह हिंद महासागर में चीन की बढ़ती मौजूदगी है। गौरतलब है कि सेशेल्स का असेम्पशन द्वीप, जिस पर भारत नौसैनिक अड्डा बनाना चाहता था, वह हिंद महासागर के समुद्री रुट पर स्थित है।
ऐसे में भारत सेशेल्स के असेम्पशन द्वीप पर तेजी से इंफ्रास्ट्रक्चर तैयार कर कूटनीतिक बढ़त बनाना चाहता है, लेकिन अब सेशेल्स द्वारा इस समझौते से पीछे हटने से भारत की कोशिशों को तगड़ा झटका लगा है।