अमरीका में रहने वाली एक मुस्लिम महिला फ़रीदा हमज़ा ने योग शिक्षक बनने का फ़ैसला किया और वो पिछले दो या तीन साल से योग कर रही हैं।
वह कहती हैं कि वो ये नहीं मानती कि इस्लाम पर योग का प्रभाव पड़ा है। हमज़ा का कहना है कि ये अल्लाह की मेहरबानी है कि मैं योग करती हूं। इस रूप में उन्होंने मुझ पर मेहरबानी की है।
बीबीसी के मुताबिक फ़रीदा हमज़ा कहती हैं कि हम इस्लाम में जिन शिक्षाओं का अनुकरण करते हैं, वे सभी योग में समाहित हैं। जैसे कि ग़रीबों की मदद करना, एक योगी भी ऐसा ही करता है। आपको ईमानदार होना चाहिए, अहिंसक होना चाहिए- ये सभी बातें इस्लाम में भी हैं और योग में भी।
मुस्लिम जिस तरह से नमाज़ पढ़ते हैं, हमारी हर अवस्था एक यौगिक मुद्रा है। जो मुस्लिम योग से नफ़रत करते हैं, उन्हें योग के बारे में पता नहीं है। मुस्लिम प्रार्थना के समय अपनी बीच वाली उंगली और अंगूठे को मिलाते हैं, यह योग मुद्रा की तरह है।
उन्होंने कहा कि शुरुआत में जब मैंने अपने परिवार और कुछ दोस्तों को इस बारे में बताया, तो उनकी प्रतिक्रिया सकारात्मक नहीं थी। वो काफी हैरान थे कि आख़िर मैं ये क्यों करने जा रही हूं, क्योंकि हो सकता है कि यह इस्लाम के ख़िलाफ़ हो।
उन्होंने अपने ब्लॉग में लिखा है, “मैं ख़ुद को दोषी मान रही थी, लेकिन अंत में मुझे भरोसा हो गया कि अल्लाह मेरे इरादों को समझते हैं। मैंने उन लोगों को बता दिया कि मैं किसी धार्मिक कर्मकांड में शामिल होना नहीं चाहती हूं और उन्होंने मेरी भावनाओं का पूरा सम्मान किया।
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