यूपी के हजारों शिक्षकों ने किया बहिष्कार का ऐलान, योगी सरकार की मुश्किलें बढ़ीं

यूपी बोर्ड परीक्षाएं करीब आने के साथ ही सरकार की मुश्किलें बढ़ती जा रही हैं. प्रदेश भर के वित्तविहीन शिक्षकों के बाद अब अनुदानित कॉलेजों के शिक्षकों ने भी परीक्षा में ड्यूटी का बहिष्कार कर दिया है. वित्तविहीन में जहां करीब 3 लाख शिक्षकों ने परीक्षा का बहिष्कार किया है. वहीं माध्यमिक शिक्षक संघ के अनुसार उनसे जुड़े करीब 60 हजार शिक्षक परीक्षा में ड्यूटी नहीं करेंगे. यूपी बोर्ड की परीक्षाएं 6 फरवरी से शुरू होनी हैं. परीक्षा से ठीक पहले लाखों की संख्या में शिक्षकों के परीक्षा बहिष्कार करने की वजह से शिक्षा विभाग के अधिकारी परेशान हैं.

बोर्ड परीक्षाओं को लेकर सरकार कितना गंभीर है, इसका अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि खुद मुख्यमंत्री इसकी तैयारियों की समीक्षा कर रहे हैं. ऐसे मौके पर शिक्षकों की नाराजगी सरकार की नकलविहीन परीक्षा कराने की मंशा पर भारी पड़ती नजर आ रही है. वित्तविहीन शिक्षक वर्तमान सरकार की तरफ से मानदेय बंद करने, पिछले 3 साल से शिक्षकों को परीक्षा और 2 साल से मूल्यांकन का पैसा नहीं दिए जाने जैसी मांगों को लेकर विरोध में हैं.

वहीं माध्यमिक शिक्षक संघ शिक्षा विभाग में फैले भ्रष्टाचार के मुद्दे को लेकर परीक्षा बहिष्कार कर रहा है. कई वित्तविहीन स्कूलों के प्रिंसिपल ने तो अभी तक डीआईओएस कार्यालय से शिक्षकों के परिचय पत्र तक नहीं लिए हैं. मामले में विधान परिषद सदस्य और माध्यमिक वित्तविहीन शिक्षक महासभा के अध्यक्ष उमेश द्विवेदी कहते हैं कि पिछली सरकार वित्त विहीन शिक्षकों को मानदेय दे रही थी.  1 लाख 92 हजार से ज्यादा शिक्षकों के लिए उन्होंने बजट में 200 करोड़ का अलग से व्यवस्था की थी. इस सरकार ने इसे बंद कर दिया. उन्होंने कहा​ कि 87 प्रतिशत शिक्षा वित्त विहीन विद्यालयों में ही हो रही है. ऐसे में उनके साथ भेदभाव क्यों किया जा रहा है.  उन्होंने कहा कि कक्ष निरीक्षक को मात्र 36 रुपए एक पाली का मिलता है. वह भी सरकार पर पिछले तीन साल से उधार है.

मूल्यांकन का पैसा दो-दो साल से बाकी है. ऐसे परिस्थिति में हमने परीक्षा बहिष्कार का फैसला किया है. उन्होंने कहा कि सरकार द्वारा तमाम विभागों से कर्मचारियों आदि को जुटाने की खबर है. लेकिन इतना तय है कि शिक्षक इस बार परीक्षा नहीं लेंगे.

सौजन्य- न्यूज़ 18