मुगलसराय को दीनदयाल नगर जंक्शन कर क्या हासिल करना चाहती है योगी सरकार?

यूपी में हिंदुत्व के एजेंडे को धार देने के तहत अब एक और फैसले को लागू करने की तैयारी कर ली गई है। रेलवे के बड़े ट्रांजिट प्वाइंट के तौर पर मशहूर मुगलसराय स्टेशन का नाम संघ के विचार पुरुष माने जाने वाले नेता दीनदयाल उपाध्याय के नाम पर रखा जाना है। इसके लिए यूपी कैबिनेट ने रेल और गृह मंत्रालय को अपनी सिफारिशें भेजने का फैसला किया है।

यूपी सरकार ने मुगलसराय स्टेशन का नाम दीनदयाल उपाध्याय करने के पीछे किसी दिक्कत का जिक्र नहीं किया है। उसने यह नहीं बताया कि आखिरकार लोगों और सरकार को आने वाली किन दिक्कतों की वजह से मुगलसराय स्टेशन का नाम दीनदयाल उपाध्याय स्टेशन किया जा रहा है। उसने इस स्टेशन का नाम सिर्फ इसलिए दीनदयाल उपाध्याय स्टेशन करने का फैसला किया है क्योंकि यह उनका जन्मशती वर्ष है।

योगी सरकार ने तुरत-फुरत यह फैसला कर लिया। उसने लोगों से यह जानना नहीं चाहा कि लोग मुगलसराय नाम के आदी हो चुके हैं। क्या नए नाम से यात्रियों को दिक्कत नहीं होगी। सरकारी दस्तावेजों में मुगलसराय की जगह दीनदयाल नगर जंक्शन नाम का जिक्र होगा। रेलवे टाइम-टेबलों में मुगलसराय के बजाय यह नाम छपेगा। आखिर इसका खर्च कहां से आएगा। जाहिर है जनता की जेब से।

दरअसल योगी का हिंदुत्व का एजेंडा जगजाहिर है। सत्ता में आने से पहले ही वह स्मारकों और जगहों के मुगलिया या उर्दू नामों की आलोचना करते रहे हैं। गोरखपुर में उन्होंने मियां बाजार को माया बाजार कर दिया। उर्दू बाजार को हिंदी बाजार कर दिया और अली नगर को आर्या नगर। जब पत्रकारों ने इन जगहों के नाम बदलने के बारे में पूछा तो उन्होंने और नाम गिनाने शुरू कर दिए। उन्होंने कहा आपकी जानकारी अधूरी है। हमने हुमांयूपुर को हनुमानपुर और मियांपुर को मायापुर कर दिया है। उनसे जब पूछा गया कि क्या वह ताजमहल का भी नाम बदल देंगे तो उन्होंने इससे इनकार नहीं किया। उन्होंने कहा कि इस मुद्दे पर बहस होनी चाहिए। ये नाम मुगल हमलावरों के प्रतीक हैं और इन्हें हटाने में कोई दिक्कत नहीं होनी चाहिए।

यूपी में बिगड़ते कानून-व्यवस्था और सांप्रदायिक माहौल के मद्देनजर मुगलिया या उर्दू नामों का हिंदूकरण राज्य में अल्पसंख्यकों के अलगाव को और बढ़ाएगा। हाल में उन्होंने हिंदी स्वराज्य दिवस, साम्राज्योत्सव और छत्रपति शिवाजी महोत्सव जैसे आयोजनों में हिस्सा लिया। साफ है कि योगी के नेतृत्व में राज्य में विभाजनकारी नीतियो को जोर-शोर से बढ़ावा दिया जा रहा है। हिंदुत्व के एजेंडे को धार देने के जोश में यह सरकार यह नहीं देख पा रही है वह सूबे को किस खतरनाक मोड़ पर ले जा रही है।

साभार- सबरंग