गुजरात दंगे: PM मोदी को क्लीन चिट देने वाली SIT ने कोर्ट से कहा- मामले में अब और जांच की गुंजाइश नहीं

गुजरात दंगों के मामले में तत्कालीन मुख्यमंत्री नरेंद्र मोदी और 60 अन्य लोगों को क्लीन चिट मिल गई थी। इसे लेकर गुजरात हाईकोर्ट में सुनवाई चल रही है।

शुक्रवार को अपनी रिपोर्ट का बचाव करते हुए सुप्रीम कोर्ट की तरफ से नियुक्त विशेष जांच दल (एसआईटी) ने गुजरात हाई कोर्ट को बताया कि ऐसा किसी भी बात की गुंजाइश नहीं है कि आगे की जांच की जाए।

दरअसल गुलबर्ग सोसाइटी के नरसंहार में मारे गए पूर्व कांग्रेस सांसद अहसान जाफरी की पत्नी जकिया जाफरी ने नरेंद्र मोदी, पुलिस अधिकारियों और राजनेताओं समेत 60 लोगों को एसआईटी की तरफ से मिली क्लीन चिट को चुनौती दी है।

जकिया जाफरी का आरोप है कि मोदी और अन्य 60 लोगों ने मिलकर गुलबर्ग सोसाइटी में नरसंहार करवाया था और ये सभी एक बड़े षड्यंत्र का हिस्सा थे।

जकिया जाफरी की तरफ से पेश हुए वकील मिहिर देसाई ने कोर्ट में बहस के दौरान बताया कि एसआईटी ने केस की सही से जांच नहीं की और इससे जुड़े अहम सबूतों को छोड़ दिया।

मिहिर देसाई ने कोर्ट से कहा कि पूर्व आईपीएस संजीव भट्ट, पूर्व डीजीपी आरबी श्रीकुमार, पूर्व आईपीएस राहुल शर्मा, भाजपा नेता हरेन पांड्या (मृत) और उनके पिता विट्ठलभाई के बयानों को एसआईटी ने आवश्यक नहीं समझा गया जो कि काफी महत्वपूर्ण था।

उन्होंने अदालत से कहा कि मजिस्ट्रेट कोर्ट में एसआईटी ने अपने जिस क्लोजर रिपोर्ट को सौंपा है उसे स्वीकार नहीं किया जाना चाहिए।

बता दें कि क्लोजर रिपोर्ट के खिलाफ जकिया जाफरी ने साल 2014 में याचिका दाखिल की थी जिसे मैजिस्ट्रेटिक कोर्ट ने खारिज कर दिया था। इसी को लेकर उनके वकील देसाई ने आरोप लगाया है कि एसआईटी ने केस की सही ढंग से जांच नहीं की और जल्दबाजी में क्लोजर रिपोर्ट दाखिल कर दी गई।

गौरतलब है कि बर्खास्त संजीव भट्ट ने सुप्रीम कोर्ट में यह दावा करते हुए एक एफिडेविट दायर किया है कि साबरमती एक्सप्रेस ट्रेन काण्ड के बाद नरेंद्र मोदी के आवास पर हुई एक बैठक में वो भी शामिल थे।

उस दौरान तत्कालिन मुख्यमंत्री नरेंद्र मोदी ने सभी प्रशासनीक अधिकारियों को कहा था कि हिन्दुओं को अपना गुस्सा निकालने दें। हालांकि एसआईटी ने भट्ट के इस दावे को नजरअंदाज कर दिया था।

जाफरी के वकील ने कहा कि इस मामले में आगे की जांच में उन सभी पक्षों पर ध्यान दिए जाने की जरूरत है जिसको एसआईटी ने महत्वपूर्ण नहीं समझा। उन्होंने कोर्ट को बताया कि राज्य सरकार के रिकॉर्ड्स से दंगों से जुड़े कई महत्वपूर्ण रिकॉर्ड गायब हो रहे है जिस पर ध्यान दिए जाने की जरूरत है।