जाकिर नाईक अब मलेशिया में ,डेप्युटी पीएम ने कहा- हमारे पास गिरफ्तार करने की कोई वजह नहीं

कुआलालंपुर : विवादित इस्लामिक उपदेशक जाकिर नाईक काफी समय बाद पिछले महीने मलयेशिया की एक प्रमुख मस्जिद में सामने आए। प्रशंसकों ने उनके साथ जमकर तस्वीरें लीं। ये सब कुछ ऐसे समय हो रहा है जब इस भारतीय मुस्लिम उपदेशक के खिलाफ उसके अपने देश में आपराधिक जांच चल रही है। हाल ही में मनी लॉन्ड्रिंग और टेरर फंडिंग मामले में एनआईए ने विशेष अदालत में नाईक के खिलाफ चार्जशीट दाखिल की है।

गौरतलब है कि यूके सरकार ने नाईक पर बैन लगा रखा है। जबकि मलयेशिया में उन्हें स्थायी ठिकाना मिल चुका है। यहां के टॉप सरकारी अधिकारी भी उन्हें काफी तवज्जो देते हैं। आलोचकों का कहना है कि मलयेशिया में नाईक का होना इस बात का संकेत है कि देश में कट्टर इस्लाम को उच्च स्तर पर समर्थन मिल रहा है। देश में ईसाई, हिंदू और बौद्ध अल्पसंख्यक हैं और देश की उदार इस्लामिक छवि रही है। सत्तारूढ़ पार्टी कंजरवेटिव जातीय मलय-मुस्लिम बेस को बढ़ाने के लिए तुष्टीकरण करने की कोशिश कर रही है। ऐसे में चुनावों से पहले धर्म एक नया जंग का मैदान बन गया है। मलयेशिया में 2018 के मध्य में चुनाव होने वाले हैं।

जाकिर नाईक पर मुस्लिम युवाओं को कट्टरपंथ की तरफ ले जाने के लिए भड़काऊ प्रवचन देने का आरोप है। नाईक के एनजीओ इस्लामिक रिसर्च फाउंडेशन (आईआरएफ) पर भारत सरकार ने रोक लगा रखी है। वह पिछले साल गिरफ्तारी से बचने के लिए भारत छोड़कर चले गए थे, जब ढाका आतंकवादी हमले के कुछ हमलावरों ने दावा किया था कि वे नाईक से प्रेरित थे। बांग्लादेश में पीस टीवी चैनल पर बैन है, जिस पर उनके विवादित प्रवचन प्रसारित होते रहते हैं।

सिंगापुर के एस. राजारत्नम स्कूल ऑफ इंटरनैशनल स्टडीज के विश्लेषक राशद अली ने कहा कि मलयेशिया सरकार नाईक को तवज्जो देती है क्योंकि वह मलय लोगों के बीच काफी लोकप्रिय हैं। उन्होंने कहा, ‘अगर सरकार नाईक को देश से बाहर निकाल देती तो जनता की नजर में वह अपनी धार्मिक विश्वसनीयता खो सकती थी।’

बताते चलें कि मलेशियाई मानवाधिकार कार्यकर्ताओं के एक समूह ने मलेशिया में विवादास्पद इस्लामी उपदेशक जाकिर नाइक की स्थायी निवास परमिट को रद्द करने के लिए क्वालालंपुर उच्च न्यायालय में मामला दायर किया है।

इन कार्यकर्ताओं ने अदालत को सूचित किया है कि भारतीय कानून प्रवर्तन एजेंसियों ने नाईक के खिलाफ मामला दायर किया है और वह भारत सरकार द्वारा वांछित अपराधी हैं। कार्यकर्ताओं ने भी अदालत से कहा है कि इस्लामी उपदेशक मलेशिया की राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए खतरा है। इन कार्यकर्ताओं के अनुसार, यदि नाईक की मलेशियाई निवास परमिट रद्द नहीं की गई है, तो यह मलेशिया और अन्य देशों के बीच के संबंध खराब होगा।

इस बीच मलयेशिया के डेप्युटी पीएम अहमद जाहिद हमीदी ने संसद को जानकारी दी है कि नाईक को 5 साल पहले पर्मानेंट रेजिडेंसी दी गई थी। उन्होंने आगे कहा कि नाईक को विशेष सुविधा नहीं दी गई है। जाहिद ने आगे तर्क रखा, ‘देश में समय बिताने के दौरान नाईक ने किसी कानून को नहीं तोड़ा। ऐसे में कानून की नजर में उन्हें हिरासत या गिरफ्तार करने की कोई वजह नहीं है।’ उन्होंने यह भी बताया कि आतंकवाद के मामलों में उनके शामिल होने को लेकर भारत की ओर से मलयेशिया की सरकार को कोई आधिकारिक अनुरोध भी नहीं मिला है।