हदीस शरीफ

उम्मुल मुमेनीन हज़रत आईशा सिद्दीका रज़ी अल्लाहो तआला अनहा फ़रमाती हैं अगर ज़ुलेखा की सहेलियां रसूल-ए-पाक(स०अ०व०) के चेहरा-ए-अनवर को देख लेतीं तो हाथों के बजाय दिलों को काट देतीं । (शमाइल तिरमिज़ी)

हदीस शरीफ

हज़रत अबू सईद ख़ुदरी रज़ी अल्लाहो तआला अनहो से रिवायत है रसूल-ए-पाक (स०अ०व०) ने फ़रमाया अगर कोई शख़्स ख़िलाफ़-ए-शरीयत काम को देखे तो हाथ से उस को रोक दे , अगर इतनी ताक़त ना हो तो ज़बान से मना करदे , ये भी ना हो सके तो कम अज़ कम उस को दिल

हदीस शरीफ

हज़रत अबू ज़र रज़ी अल्लाहो तआला को रसूल-ए-पाक(स०अ०व०) ने जो नसीहतें फ़रमाई थीं उन में एक ये भी है कि अल्लाह तआला के काम में किसी मलामत करने वाले की मलामत से ना डरो और हक़ बात कभी ना छोड़ो चाहे कितनी ही तल्ख़ क्यों ना हो । (मुस्लिम शर

हदीस शरीफ

हज़रत अली करमल्लाहो वजह से रिवायत है रसूल-ए-पाक (स०अ०व०) ने इरशाद फ़रमाया अपने घर वालों को नसीहत करते रहा करो कि क़ुरआन मजीद की तिलावत करते रहें , मुझ से मोहब्बत करें और मेरे घर वालों से मोहब्बत करें । (मिशकात शरीफ़)

हदीस शरीफ

हज़रत अबदुल्लाह बिन मसऊद रज़ी अल्लाहो तआला अनहो से रिवायत है रसूल-ए-पाक (स०अ०व०) ने फ़रमाया औरत की नमाज़ बजाय मस्जिद के उस के घर में अफ़ज़ल है और जो नमाज़ औरत घर के सेहन में पढ़े इस से वो नमाज़ अफ़ज़ल है जो कोठरी में अदा की जाय । (बुख़

हदीस शरीफ

हज़रत अबदुल्लाह बिन उमर रज़ी अल्लाहो तआला अनहो से रिवायत है कि रसूल-ए-पाक (स०अ०व०) ने फ़रमाया थोड़ा सा इलम सीख लेना बहुत सी इबादत से बेहतर है । (बेहक़ी)

हदीस शरीफ

हज़रत अबदुल्लाह बिन उमर रज़ी अल्लाहो तआला अनहो से रिवायत है रसूल-ए-पाक (स०अ०व०) ने फ़रमाया हर चीज़ का एक सरदार होता है इंसान की नशिस्तों में सब से अच्छी और सब की सरदार नशिस्त ये है कि इंसान क़िबला रुख हो कर बैठा करे । (तबरानी)

हदीस शरीफ

हज़रत अबू हुरैरा रज़ी अल्लाहो तआला अनहो से रिवायत है कि रसूल-ए-पाक (स०अ०व०) ने फ़रमाया जिस ने किसी मोमिन की तकलीफ़ दूर की तो अल्लाह तआला क़यामत में उस की सख़्ती और तकलीफ़ को दूर करदेगा । (बेहक़ी)

हदीस शरीफ

हज़रत मुआवीया रज़ी अल्लाहो तआला अनहो से रिवायत है कि रसूल-ए-पाक(स०अ०व०) ने फ़रमाया , अल्लाह तआला जब किसी बंदे के साथ भलाई का इरादा करता है तो उस को दीन की समझ इनायत करदेता है ।

(बुख़ारी शरीफ़-ओ-मुस्लिम शरीफ़)

हदीस शरीफ

हज़रत अबदुल्लाह बिन अब्बास रज़ी अल्लाहो तआला अनहो से रिवायत है रसूल-ए-पाक (स०अ०व०) ने फ़रमाया लोगो तुम सफ़ेद कपड़े पहना करो , सफ़ेद कपड़ा एक अच्छी चीज़ है । इस में अपने मुर्दों को कफ़न दिया करो । (अबू दाउद)

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हज़रत उमर बिन खत्ताब रज़ी अल्लाहो तआला अनहो से रिवायत है रसूल-ए-पाक (स०अ०व०) ने फ़रमाया जो शख़्स नया कपड़ा पहने उसको चाहिये अगर सकत रखता हो तो पुराने कपड़े ख़ैरात करदे । (तिरमिज़ी शरीफ़)

हदीस शरीफ

हज़रत अबू अमामा रज़ी अल्लाहो तआला अनहो से रिवायत है रसूल-ए-पाक (स०अ०व०) ने फ़रमाया लिबास की सादगी ईमान की अलामतों में से एक अलामत है । (अबू दाउद)

हदीस शरीफ

हज़रत अनस रज़ी अल्लाहो तआला अनहो से रिवायत है कि रसूल-ए-पाक (स०अ०व०) ने फ़रमाया : जो शख़्स अपने किसी मुस्लमान भाई के पास कोई ख़ुशी की बात ले जाता है और उस बात से उस को ख़ुश करता है तो अल्लाह तआला क़ियामत के दिन उस बंदा को ख़ुश करेगा ।

हदीस शरीफ

हज़रत आईशा रज़ी अल्लाहो तआला अनहा से रिवायत है कि रसूल-ए-पाक (स०अ०व०) ने फ़रमाया जब अल्लाह तआला किसी अमीर या इमाम के साथ भलाई का इरादा करता है तो इस को अच्छा वज़ीर इनायत करता है । जब कभी ये अमीर भूलता है तो ये वज़ीर उस को याद दिलाता ह

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हज़रत अली रज़ी अल्लाहो तआला अनहो से रिवायत है के रसूल-ए-पाक (स०अ०व०) जैसा हसीन-ओ-जमील ना मैंने पहले कभी देखा और ना बाद में कभी देखा । (शमाइल तिरमिज़ी)

हदीस शरीफ

हज़रत जाबिर रज़ी अल्लाहो तआला अनहो फ़रमाते हैं , में एक मर्तबा चांदनी रात में कभी रसूल-ए-पाक (स०अ०व०) को देखता था और कभी चांद को देखता था , मैं पुकार उठा कि रसूल-ए-पाक (स०अ०व०) चांद से ज़्यादा जमील , हसीन और मुनव्वर हैं । (शमाइल तिरमिज़

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हज़रत आईशा सिद्दीका रज़ी अल्लाहो तआला अनहा फ़रमाती हैं कि रसूल-ए-पाक(स०अ०व०) अपने वुज़ू करने में जूता पहनने में दाएं को मुक़द्दम(पहले) रखते थे यानी पहले दाएं जानिब कंघा करते फिर बाएं जानिब । (शमाइल तिरमिज़ी)

हदीस शरीफ

हज़रत अनस रज़ी अल्लाहो तआला अनहो से रिवायत है कि रसूल-ए-पाक (स०अ०व०) ने फ़रमाया जिस के सामने मेरा ज़िक्र हो उसे चाहिये कि मुझ पर दरूद भेजे और जो मुझ पर एक मर्तबा दरूद भेजेगा अल्लाह तआला उस पर दस मर्तबा दरूद भेजेगा उस की दस ख़ताएं मा

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हज़रत अबू अय्यूब अनसारी रज़ी अल्लाहो तआला अनहो से रिवायत है कि रसूल-ए-पाक (स०अ०व०) ने फ़रमाया चार चीज़ें अंबेया-ए-किराम की सुन्नत हैं हया करना इतर लगाना निकाह करना मिस्वाक करना । (तिरमिज़ी)

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हज़रत जाबिर रज़ी अल्लाहो तआला अनहो से रिवायत है कि रसूल-ए-पाक (स०अ०व०) ने फ़रमाया दो रकात नमाज़ जिस के वुज़ू में मिस्वाक की गई हो ऐसी सत्तर (70) रकातों से अफ़ज़ल है जिस में मिस्वाक ना की गई हो । (अबू नईम)