हदीस शरीफ
हज़रत अबू हुरैरा रज़ी अल्लाहो तआला अनहो से रिवायत है रसूल-ए-पाक (स०अ०व०) ने फ़रमाया अगर मुझ को अपनी उम्मत की तकलीफ़ का ख़्याल ना होता तो मैं उन को हर वुज़ू में मिस्वाक करने का हुक्म देता । (अहमद)
हज़रत अबू हुरैरा रज़ी अल्लाहो तआला अनहो से रिवायत है रसूल-ए-पाक (स०अ०व०) ने फ़रमाया अगर मुझ को अपनी उम्मत की तकलीफ़ का ख़्याल ना होता तो मैं उन को हर वुज़ू में मिस्वाक करने का हुक्म देता । (अहमद)
उम्मुल मोमेनीन हज़रत आईशा सिद्दीक़ा रज़ी अल्लाहो तआला अनहा फ़रमाती हैं कि रसूल-ए-पाक (स०अ०व०) जिस वक़्त मकान में तशरीफ़ लाते थे तो सब से पहले मिस्वाक किया करते थे । (मुस्लिम शरीफ़)
हज़रत सहल बिन साद रज़ी अल्लाहो तआला अनहो से रिवायत है रसूल-ए-पाक (स०अ०व०) ने फ़रमाया दो वक़्त ऐसे हैं जिन में किसी दुआ मांगने वाले की दुआ रद्द नहीं होती । एक मोअज्जन जब तकबीर शुरू करे और नमाज़ के लिए सफ़ें सीधी होरही होँ और दूसरे जि
हजरत अबू सईद ख़ुदरी रज़ी अल्लाहो ताआला अनहो से रिवायत है कि रसूल-ए-पाक (स०अ०व०) ने फ़रमाया अगर लोगों को ये मालूम होजाए कि अज़ां देने की फ़ज़ीलत कितनी है तो अज़ां देने के लिए आपस में तलवार चल जाए । (अहमद)
रसूल-ए-पाक (स०अ०व०) ने फ़रमाया कि मैं शयातीन इनस-(इनसान) ओ-जिन को देख रहा हूँ कि वो उमर रज़ी अल्लाहो तआला अनहो (के डर) से भाग खड़े हुए हैं । (तिरमिज़ी शरीफ़ )
हज़रत अबदुल्लाह बिन अब्बास रज़ी अल्लाहो तआला अनहो फ़रमाते हैं कि हज़रत अली रज़ी अल्लाहो तआला अनहो, हज़रत उमर रज़ी अल्लाहो तआला अनहो के लिए दुआए रहमत की और फ़रमाया आप के बाद कोई ऐसा शख़्स नहीं जो मुझे आप के बराबर महबूब हो कि वो अल्
हज़रत अबू हुरैरा रज़ी अल्लाहो तआला अनहो से रिवायत है रसूल-ए-पाक (स०अ०व०) ने फ़रमाया तुम से पहले लोगों यानी बनी इसराईल में ऐसे लोग भी हुआ करते थे जिन के साथ अल्लाह तआला की तरफ़ से कलाम फ़रमाया जाता था हालाँ कि वो नबी ना थे , अगर उन में
हज़रत साद बिन अबी वक़ास रज़ी अल्लाहो तआला अनहो से रिवायत है रसूल-ए-पाक (स०अ०व०) ने हज़रत अली रज़ी अल्लाहो तआला अनहो से फ़रमाया क्या तुम इस बात पर राज़ी नहीं कि मेरे साथ तुम्हारी वही निसबत हो जो हज़रत हारून ( अ०) को हज़रत मूसा ( अ०) से
हज़रत इब्न अब्बास रज़ी अल्लाहो तआला अनहो से रिवायत है रसूल-ए-पाक (स०अ०व०) ने जब यौम-ए- आशूरा का रोज़ा रखा और उस दिन का रोज़ा रखने का हुक्म इरशाद फ़रमाया तो सहाब-ए- केराम रज़ी अल्लाहो अनहो ने अर्ज़ किया या रसूल-ए-पाक (स०अ०व०) ये तो वो दि
हज़रत अबदुल्लाह बिन उमर रज़ी अल्लाहो तआला अनहो से किसी ने हालत-ए-एहराम में मक्खी मारने के बारे में पूछा था , हज़रत इब्न उमर रज़ी अल्लाहो तआला अनहो ने फ़रमाया कि अहल-ए-इराक़ मक्खी मारने का हुक्म पूछते हैं और उन्हों ने रसूल-ए-पाक (स०अ
हज़रत इबन उमर रज़ी अल्लाहो तआला अनहो का ब्यान है कि हज़रत अबू बकर सिद्दीक़ रज़ी अल्लाहो तआला अनहो ने फ़रमाया रसूल-ए-पाक (स०अ०व०) की ख़ुशनुदी आप के अहल-ए-बैत की मोहब्बत में है । (बुख़ारी शरीफ़)
हज़रत अनस रज़ी अल्लाहो तआला अनहो से रिवायत है रसूल-ए-पाक (स०अ०व०) ने फ़रमाया क़ियामत में जब अहल-ए-मह्शर से हिसाब-ओ-किताब लिया जा रहा होगा तो लोगों का एक ज़म्म-ए-ग़फ़ीर (भीड़) तलवारें कंधों पर रखे हुए जन्नत के दरवाज़े पर पहूंचेगा उन
हज़रत जाबिर रज़ी अल्लाहो तआला अनहो से रिवायत है रसूल-ए-पाक (स०अ०व०) ने फ़रमाया जिस शख़्स ने कोई कुँआं खुदवाया और उस कुँवें से किसी प्यासे ने प्यास बुझाई तो ये कुँआं खुदवाने वाला बहुत बड़े अज्र का मुस्तहिक़ है और जिस ने कोई मस्जिद ब
हज़रत अबू हुरैरा रज़ी अल्लाहो तआला अनहो से रिवायत है अल्लाह् के रसूल (स०अ०व०)ने फ़रमाया मस्जिद में जमाअत के लिए जाने वाले का हर क़दम एक नेकी को जाइद करता है और एक गुनाह को मिटाता है । (इबन हबान)
हज़रत अबू सईद बिन मुअल्ला रज़ी अल्लाहो तआला अनहो से रिवायत है रसूल ल्लाहो सल्लाहो अलैहि वसल्लम ने एक सहाबी से फ़रमाया मैं तुम्हें एक सूरत सिखाता हूँ जो सवाब में तमाम सूरतों से बड़ी है फिर आप ने सूरा फ़ातिहा की तालीम की । (बुख़ारी
हज़रत सय्यदना अली रजि अल्लाहो तआला अनहो से रिवायत है रसूल ल्लाहो सल्लाहो अलैहि वसल्लम ने फ़रमाया हर नमाज़ के बाद आयतुल-कुर्सी पढ़ने वाला अगर दूसरी नमाज़ के वक़्त से पहले मर जाए तो जन्नत में जाएगा । (बेहक़ी)
हज़रत अनस रज़ी अल्लाहो तआला अनहो से रिवायत है रसूल ल्लाहो सल्लाहो अलैहि वसल्लम ने फ़रमाया घर में नमाज़ पढ़ कर घरों को भी फ़ज़ीलत दो । (इबन ख़ुज़ैमा)
हज़रत उबइ बिन काब रज़ी अल्लाहो तआला अनहो से रिवायत है रसूल ल्लाहो सल्लाहो अलैहि वसल्लम ने फ़रमाया अल्लाह की क़सम सूरा फ़ातिहा के मिसल ना कोई सूरत तौरेत में नाज़िल हुई ना ज़बूर और इंजील में और ना क़ुरआन में कोई दूसरी सूरत उस की मि
हज़रत अबू हुरैरा रज़ी अल्लाहो तआला अनहो से रिवायत है रसूल ल्लाहो सल्लाहो अलैहि वसल्लम ने फ़रमाया हर चीज़ की एक बुलंदी होती है क़ुरआन की बुलंदी सूरा बक़्र है गोया ये क़ुरआन का कोहान है , इस में एक आयत तो तमाम आयतों की सरदार है (इस
हज़रत अबू हुरैरा रज़ी अल्लाहो तआला अनहो से रिवायत है रसूल ल्लाहो सल्लाहो अलैहि वसल्लम ने फ़रमाया लोगो अपने घरों को मक़बरा ना बनाओ देखो जिस घर में सूरा बक़्र पढ़ी जाती है उस घर से शैतान भाग जाता है । (मुस्लिम शरीफ़)