मस्जिद-ए- नबवी की फ़ज़ीलत
हजरत अबु सईद अलखुदरी रज़ी अल्लाहु तआला अनहु से रिवायत है के, रसूल-ए-पाक (स०) ने फ़रमाया, मेरी मस्जिद वोह मस्जिद है,जिसकी बुनियाद तक़वा पर रखी गयी है। (मुस्लिम)
हजरत अबु सईद अलखुदरी रज़ी अल्लाहु तआला अनहु से रिवायत है के, रसूल-ए-पाक (स०) ने फ़रमाया, मेरी मस्जिद वोह मस्जिद है,जिसकी बुनियाद तक़वा पर रखी गयी है। (मुस्लिम)
हजरत अनस रज़ी अल्लाहु तआला अनहु से रिवायत है के, रसूल-ए-पाक (स०) ने फ़रमाया, मस्जिद ए अक़सा और मेरी मस्जिद, इन दोनों की नमाज़ें पचास हज़ार नमाज़ों के बराबर है, मगर मस्जिद-ए-हराम की एक नमाज़ एक लाख नमाज़ों के बराबर है। (इब्न माजा)
हजरत अब्दुल्लाह बिन अब्बास रज़ी अल्लाहु तआला अनहु से रिवायत है के, रसूल-ए-पाक (स०) फरमाया ज़म ज़म का पानी अगर कोई दुश्मन से पनाह हासिल करने के लिए पियेगा तो उसे पनाह दी जाएगी। (मुस्लिम)
हजरत अब्दुल्लाह बिन अब्बास रज़ी अल्लाहु तआला अनहु से रिवायत है के, रसूल-ए-पाक (स०) फरमाया, रूए ज़मीन के तमाम पानियों से बेहतर ज़म ज़म का पानी है, इस पानी में भूके की गज़ा और बीमार की शिफ़ा है। (इब्न हिबान)
हजरत अबू हुरैरा रज़ी अल्लाहु तआला अनहु से रिवायत है के, रसूल-ए-पाक (स०) ने हज में बाल मुंडवाने वालों और बाल क़तरवाने वालों के लिए दुआए मग़फ़िरत की है। (बुखारी शरीफ)
हजरत अबू हुरैरा रज़ी अल्लाहु तआला अनहु से रिवायत है के, रसूल-ए-पाक (स०) ने फ़रमाया,मुनाफ़िक़ की तीन अलामतें हैं, जब बात करे तो झूट बोले,जब वादा करे तो खिलाफ करे, और जब उसके पास अमानत रख्खी जाए तो खयानत करे। (बुखारी शरीफ)
हजरत मआज बिन अनस रज़ी अल्लाहु तआला अनहु से रिवायत है के रसूल-ए-पाक (स०)ने फ़रमाया, जो शख्स कुदरत रखने के बा वजूद गुस्सा पी गया, तो कयामत में अल्लाह उसे इख्तियार देगा के वो जिस हूर को चाहे पसंद करले। (अबू दाऊद)
हजरत अनस रज़ी अल्लाहु तआला अनहु से रिवायत है के, रसूल-ए-पाक (स०) ने फ़रमाया, अज़ान और अकामत के दरमियान दुआ रद नहीं होती बलके कुबूल ही होजाती है। किसी ने पूछा ऐसे मोके पर हम किया दुआ करें ?
हजरत अबू हुरैरा (रजि०) से रिवायत है कि नबी करीम (सल०) ने फरमाया कि ईमान वालों में ज्यादा कामिल ईमान वाले वह लोग है जो अख्लाक में ज्यादा अच्छे हैं। (अबू दाऊद)
हजरत अब्दुल्लाह बिन उमरअल्लाहु तआला अनहु से रिवायत है कि नबी करीम (सल०) ने इरशाद फरमाया,तुम में से सबसे अच्छे वह लोग है जिनके अख्लाक अच्छे हैं। (बुखारी व मुस्लिम)
हजरत अबू हुरैरा रज़ी अल्लाहु तआला अनहु से रिवायत है के, रसूल-ए-पाक (स०) ने फ़रमाया, सेहरी में बेहतरीन ग़िज़ा खजूर है (अबू दाऊद )
हजरत अबू हुरैरा रज़ी अल्लाहु तआला अनहु से रिवायत है के रसूल-ए-पाक (स०) ने फ़रमाया,लोगो जिहाद किया करो अल्लाह तआला गनीमत आता करेगा, रोज़े रखा करो तंदरुस्त रहोगे,सफर किया करो मालदार हो जाओगे। (तिब्रानी)
हजरत सलमान फ़ारसी रज़ी अल्लाहु तआला अनहो से रिवायत है के, रसूल-ए-पाक(स०)ने फरमाया,जो कोई इस महीने में अपने ग़लाम से काम काम ले अल्लाह ताला उसे बख्श देगा, और दोज़ख से आज़ाद करदेगा। (इब्ने खज़ीमा)
हज़रत उम्मे कुलसुम रजी अल्लाहु तआला अनहा से रिवायत है के, रसूल-ए-पाक (स०) ने फ़रमाया, अफ़ज़ल सदक़ा वो है,जो दुश्मन रिश्तेदार को दिया जाये। (तिबरानी)
हजरत अनस रज़ी अल्लाहु तआला अनहु से रिवायत है के, रसूल-ए-पाक (स०) ने फ़रमाया,वो शख्स जन्नत में नहीं जाएगा, जिसके पड़ोसी उसकी बुराई से महफूज़ न हों। (मुस्लिम )
हजरत अब्दुल्लाह बिन उमर रज़ी अल्लाहु तआला अनहु से रिवायत है, रसूल-ए-पाक (स०)से एक शख्स ने दरयाफ्त किया,
में अपने ख़ादिम की ख़ताओं को कहाँ तक माफ़ करूं?। आप स०)ने फ़रमाया “हर दिन में सत्तर बार”। (अबू दाऊद)
हजरत अब्दुल्लाह बिन अब्बास रज़ी अल्लाहु तआला अनहु से रिवायत है के, रसूल-ए-पाक (स०) फरमाया, जब कोई शख्स खाना खाए तो उसको चाहिए के रेकाबी के ऊपर से न खाए, बलके किनारे से खाए, कियोंके ऊपर के हिस्से में बरकत नाजिल होती है। (अबू दाऊद)
हजरत अब्दुल्लाह बिन मासउद रज़ी अल्लाहु तआला अनहु से रिवायत है के, रसूल-ए-पाक (स०) ने फ़रमाया, जो बन्दा अल्लाह के खौफ से रोया और उसका आंसू मुंह पर बह आया है, चाहे वो कितना ही छोटा हो ,उस पर दौज़ख की आग हराम होजाती है।(इब्ने माजा)
हजरत अब्दुल्लाह बिन अब्बास रज़ी अल्लाहु तआला अनहु से रिवायत है, रसूल-ए-पाक (स०)ने फ़रमाया,
फितना व फसाद के ज़माने में जो शख्स मेरी सुन्नत पे मजबूती से काइम रहेगा, उसको सौ शहीदों का सवाब मिलेगा। (बेहकी)
हजरत जाबिर रज़ी अल्लाहु तआला अनहु से रिवायत है के रसूल-ए-पाक (स०) ने फ़रमाया, जिसने मुहसिन की तारीफ की उसने एहसान का शुक्रिया अदा करदिया जिसने मुहसिन के एहसान को छुपाया उसने कुफराने नेमत किया । (तिरमिज़ी)