सफर में मरना शहादत है

हजरत अब्दुल्लाह बिन अब्बास रज़ी अल्लाहु तआला अनहु से रिवायत है के, रसूल-ए-पाक (स०) फरमाया, सफर में मरना शहादत है। (इब्ने माजा)

बेहतरीन शख्स कौन है?

हजरत अबू सईद खुदरी रज़ी अल्लाहु तआला अनहु से रिवायत है रसूल-ए-पाक (स०) ने फ़रमाया, बेहतरीन शख्स वो है, जो अल्लाह से डरता है, और लोगों को अपने शर से महफूज़ रखता है। (बुखारी व मुस्लिम)

खामुशी शैतान को दफा करती है

रसूल-ए-पाक (स०) ने हजरत अबू ज़र गफ्फारी रज़ी अल्लाहु तआला अनहु से फ़रमाया, तुम खामूश रहा करो,खामुशी शैतान को दफा करती है और दीन के कामो में मदद करती है। (इब्ने हिबान, हाकिम)

नेक बीवी से बेहतर कोई शै(चीज) नहीं।

हजरत अबू उमामा रज़ी अल्लाहु तआला अनहु से रिवायत है के, रसूल-ए-पाक (स०) फरमाया, एक बन्द-ए- मोमिन के लिए तक़वा के बाद नेक बीवी से बेहतर कोई शै(चीज) नहीं। (इब्ने माजा)

अज़ानअकामत के दरमियान दुआ रद नहीं होती

हजरत अनस रज़ी अल्लाहु तआला अनहु से रिवायत है कि रसूल-ए-पाक (स०) ने फ़रमाया, अज़ानअकामत के दरमियान दुआ रद नहीं होती और बल्कि कुबूल ही होजाती है। किसी ने पूछा ऐसे मोके पर हम क्या दुआ करें ?

फितना व फसाद के ज़माने में……सौ शहीदों का सवाब ?

हजरत अब्दुल्लाह बिन अब्बास रज़ी अल्लाहु तआला अनहु से रिवायत है, रसूल-ए-पाक (स०)ने फ़रमाया,
फितना व फसाद के ज़माने में जो शख्स मेरी सुन्नत पे मजबूती से काइम रहेगा उसको सौ शहीदों का सवाब मिलेगा (बेहकी)

गरीबों के साथ बेहतर सुलूक का फायदा

हजरत अब्दुल्लाह बिन अब्बास रज़ी अल्लाहु तआला अनहु से रिवायत है के, रसूल-ए-पाक (स०) फरमाया, किसी गरीब मुसलमान को कपडा पहनाने वाले उस वक़्त तक अल्लाह के परदे में है जब तक गरीब के बदन पर उस कपडे का एक तार भी मौजूद है। (हाकिम)

सलाम के फाइदे

हजरत अबू दरदा रज़ी अल्लाहु तआला अनहु से रिवायत है के, रसूल-ए-पाक (स०)ने फरमाया, ऐ लोगो सलाम कसरत से किया करो इससे तुम दुनियां में सर बलंद हो जाओगे। (तिबरानी

कन्जूसी का नुक़्सान

हजरत अस्मा रज़ी अल्लाहु तआला अनहा से रिवायत है के, रसूल-ए-पाक (स०) फरमाया, तुम खर्च करो और गिन गिन के जमा मत करो , वर्ना अल्लाह भी तुम्हें गिन गिन के देगा, और बंद करके न रख्खो वर्ना वो भी तुम पर अपनी रहमत के दरवाज़े तुम पर बंद करदेगा। (बुख

रहमदिली का फाइदा

हजरत अब्दुल्लाह बिन उमर रज़ी अल्लाहु तआला अनहु से रिवायत है,रसूल-ए-पाक (स०)ने फ़रमाया, तुम रहम करो तुम पर रहमत की जाएगी, तुम लोगों के कुसूर माफ़ करो, तुम्हारे कुसूर माफ़ किये जाएंगे। (अबू (दाऊद)

खौफे खुदा

हजरत अब्दुल्लाह बिन मसउद रज़ी अल्लाहु तआला अनहु से रिवायत है के, रसूल-ए-पाक (स०) ने फ़रमाया, जो बन्दा अल्लाह के खौफ से रोया और उसका आंसू मुंह पर बह आया है,चाहे वो कितना ही छोटा हो, उस पर दोज़ख की आग हराम हो जाती है। (इब्ने माज)

मैं अपने बन्दे के गुमान के साथ साथ हूँ

हजरत अबू हुरैरा रज़ी अल्लाहु तआला अनहु से रिवायत है के, रसूल-ए-पाक (स०) ने फ़रमाया, अल्लाह तआला का इरशाद है के, मैं अपने बन्दे के गुमान के साथ साथ हूँ उसे इख्तियार है, मेरे साथ जैसा चाहे गुमान क़ायम करे।

इलम सिखाना एक सदक़ा है

हजरत अबू हुरैरा रज़ी अल्लाहु तआला अनहु से रिवायत है के, रसूल-ए-पाक (स०) ने फ़रमाया, मुसलमान का सब से अच्छा सदक़ा ये हैके खुद इल्म सीखे, और अपने मुसलमान भाई को सिखाए। (इब्न माजा)

हुस्ने सुलूक

हजरत अबू हुरैरा रज़ी अल्लाहु तआला अनहु से रिवायत है रसूल-ए-पाक (स०) ने फ़रमाया, एक शख्स ने पियासे कुत्ते को जो कीचड चाट रहा था , पानी पिला दिया, उसके इस अमल के बदले उसे जन्नत अता कर दी गई। (बुखारी शरीफ)

कौनसा सदक़ा बेहतर

हजरत अबू सईद रज़ी अल्लाहु तआला अनहु से रिवायत है के, रसूल-ए-पाक (स०)ने फ़रमाया, आदमी अपनी ज़िन्दगी में एक दिरहम सदका करे, उसके लिए उससे बेहतर है के मौत के वक़्त सौ दिरहम सदका करे। (अबू दाऊद)

सौ शहीदों का सवाब

हजरत अब्दुल्लाह बिन अब्बास रज़ी अल्लाहु तआला अनहु से रिवायत है, रसूल-ए-पाक (स०)ने फ़रमाया,
फितना व फसाद के ज़माने में जो शख्स मेरी सुन्नत पे मजबूती से काइम रहेगा, उसको सौ शहीदों का सवाब मिलेगा। (बेहकी)

फितना व फसाद से बचने का फाइदा

हजरत अब्दुल्लाह बिन अब्बास रज़ी अल्लाहु तआला अनहु से रिवायत है, रसूल-ए-पाक (स०)ने फ़रमाया,
फितना व फसाद के ज़माने में जो शख्स मेरी सुन्नत पे मजबूती से काइम रहेगा, उसको सौ शहीदों का सवाब मिलेगा। (बेहकी)

मुसलमान भाइ की मदद

हजरत अब्दुल्लाह बिन अब्बास रज़ी अल्लाहु तआला अनहु से रिवायत है, रसूल-ए-पाक (स०) ने फरमाया, अल्लाह तआला हमेशा अपने बन्दों के काम आता है जब तक ये बनदा दुसरे मुसलमान के काम में लगा रहता है । (तिबरानी)

खामुशी का फाइदा

रसूल-ए-पाक (स०) ने हजरत अबू ज़र गफ्फारी रज़ी अल्लाहु तआला अनहु से फ़रमाया, तुम खामूश रहा करो,खामुशी शैतान को दफा करती है और दीन के कामो में मदद करती है। (इब्ने हिबान, हाकिम)

दावत क़ुबूल ना करना अल्लाह व रसूल कि नाफ़रमानी

हजरत अबू हुरैरा रज़ी अल्लाहु तआला अनहु से रिवायत है के,रसूल-ए-पाक(स०)ने फ़रमाया,
जो दावत क़ुबूल ना करे, उसने अल्लाह और उसके रसूल (स० कि ना फ़रमानी की। (बुखारी शरीफ)