अपनों की बेरुख़ी का शिकार ज़ईफ़ (बूढ़े)बेघर बेसहारा अफ़राद का आराम घर
नुमाइंदा ख़ुसूसी- दुनिया का ये दस्तूर है के बच्चों की परवरिश करके बड़ा करना और काबुल बनाना माँ बाप की ज़िम्मेदारी है और फिर बच्चों का ये फ़रीज़ा है कि माँ बाप के लिए ज़ईफ़ी (बूढ़े)(में सहारा बनना लेकिन कुछ घरों में ये माहौल ख़तम होगया है।