ज़ात-ए-बारी ताला पर भरोसा रखू

हज़रत अमरो बिन आस रज़ी अल्लाहु तआला अनहु से रिवायत हैके रसूल क्रीम (स०अ०व०) ने फ़रमाया बिलाशुबा इंसान के दल के लिए हर जंगल में एक शाख़ और एक गोशा है (यानी इंसान के दिल और उसकी जिबलत में रिज़्क के अस्बाब-ओ-ज़राए और इस के हुसूल के ताल्लुक़ से त

फ़िक्र के घोड़े मत दौडाओ

क्या इंसान ये ख़्याल करता है कि हम हरगिज़ जमा ना करेंगे उसकी हड्डियों को। (सूरुल क़ियामा।३)
हर वो इंसान जो क़ियामत पर यक़ीन नहीं रखता, इसी किस्म के वसवसों में फंसा रहता है।

ख़ाब इग़फ़लत से बेदार हो जाव‌

हज़रत अनस रज़ी अल्लाहु तआला अनहु से रिवायत हैके नबी करीम (स०अ०व०) ने फ़रमाया ये तो इबन-ए-आदम (इंसान) है और ये उस की मौत है।

नज़र बद का मुजर्रिब नुस्ख़ा

और यूं मालूम होता हैके कुफ़्फ़ार पुसला दें गे आप को अपनी (बद) नज़रों से जब वो सुनते हैं क़ुरआन और वो कहते हैं कि ये तू मजनून है। हालाँकि वो नहीं मगर सारे जहानों के लिए वजह अज़ोशरफ़। (सूरत उल-क़लम।५१,५२)

असल राज़िक कौन?

हज़रत अनस रज़ी अल्लाहु तआला अनहु फ़रमाते हैं कि रसूल क्रीम (स०अ०व०) के ज़माने में दो भाई थे, जिन में से एक तो नबी करीम(स०अ०व०) की ख़िदमत में रहा करता था (क्यूंकि इस के अहल-ओ-अयाल नहीं थे और वो हुसूल मआश की ज़िम्मेदारीयों से बेफ़िकर होकर ता

इन्क़िलाब की ज़रूरत

अल्लाह ताआला चाहता हैके खोल कर बयान करदे (अपने अहकाम) तुम्हारे लिए और चलाए तुम को इन (कामयाब लोगों) की राहों पर जो तुम से पहले गुज़रे हैं और अपनी रहमत तवज्जा फ़रमाए तुम पर, और अल्लाह ताआला सब कुछ जानने वाला बड़ा दाना है। और अल्लाह ताआला

बुरी चीज़ को छोड़ दो

हज़रत अब्दुल्लाह बिन अमरो बिन आस रज़ी अल्लाहु तआला अनहु से रिवायत है कि (एक दिन) रसूल क्रीम स०अ०व० ने उनसे फ़रमाया कि उस वक़्त तुम क्या करोगे जब तुम अपने आप को नाकारा लोगों के ज़माने में पाव‌गे, जिन के अह्द-ओ-पैमान और जिन की अमानतें ख़लत-म

ज़ाती फ़ायदा इख़तियार ना करो

क्या तुम हुक्म करते हो (दूसरे) लोगों को नेकी का और भुला देते हो अपने आप को हालाँकि तुम पढ़ते हो किताब, क्या तुम (इतना भी) नहीं समझते। (सूरत उलबक़रा।४४)

जनाब अब्दुल हमीद सी ई ओ वक़्फ़ बोर्ड मुक़र्रर

हुकूमत ने मिस्टर अब्दुल हमीद एग्ज़ीक्यूटिव ऑफ़ीसर स्टेट हज कमेटी को चीफ़ एग्ज़ीक्यूटिव ऑफीसर वक़्फ़ बोर्ड की ज़ाइद ज़िम्मेदारी दी है। इस सिलसिले में स्पेशल सेक्रेट्री अक़लीयती बहबूद ने आज अहकामात जारी किए। मिस्टर अब्दुल हमीद साब

2 लाख 11 हज़ार नए उमरा वीज़ों का इजरा

सऊदी अरब के वज़ीरे हज ने आज कहा कि हुकूमत सऊदी अरब ने नए सीज़न के लिए 2 लाख 11 हज़ार उमरा वीज़े जारी किए हैं जबकि 12 हज़ार आजिमीन पहले ही सऊदी अरब पहुंच चुके हैं।

भोपाल में तीन‌ रोज़ा आलमी तब्लीग़ी इजतिमा आज से शुरु

66 वीं तीन‌ रोज़ा आलमी तब्लीग़ी इजतिमा का आज‌ से यहां शुरु होरहा है। नमाज़-ए-फ़ज्र के बाद इजतिमा शुरू किया जाएगा जबकि 16 दिसम्बर को इजतिमाई दुआ के बाद इजतिमा इख़तताम पज़ीर होगा।

वक़ूअ क़ियामत की अलामत

हज़रत हुज़ैफ़ा रज़ी अल्लाहु तआला अनहु से रिवायत हैके हुज़ूर नबी करीम स०अ०व० ने फ़रमाया जब तुम (मुस्लमान) अपने (ख़लीफ़ा या सुलतान-ओ-हुकमरान) को क़त्ल कर देगे, तुम्हारे तलवारें आपस ही में एक दूसरे की गर्दन उड़ाईंगी और यहां तक कि तुम्हारी दुनि

बशारते ख़ुदावंदी पर कलमा-ए-शुक्र

ए मेरे परवरदिगार! क्योंकर होसकता है मेरे हाँ बच्चा? हालाँकि हाथ तक नहीं लगाया मुझे किसी इंसान ने। फ़रमाया बात यूंही है (जैसे तुम कहती हो लेकिन) अल्लाह पैदा फ़रमाता है जो चाहता है।

दुनियाए फ़ानी से दिल ना लगाओ

हज़रत अब्दुल्लाह बिन अमरो रज़ी अल्लाहु तआला अनहु कहते हैं कि (एक दिन) में और मेरी वालिदा गारे से किसी चीज़ को (यानी अपने मकान की दीवारों या छत को) लेप पोत रहे थे कि रसूल क्रीम स०अ०व० का गुज़र हमारी तरफ़ हो गया।

इताअत-ओ-इत्तिबा लाज़िम है

बेशक दीन अल्लाह ताआला के नज़दीक सिर्फ़ इस्लाम ही है और नहीं झगड़ा किया जिन को दी गई थी किताब मगर बाद इस के कि आगया था उनके पास सही इलम (और ये झगड़ा) बाहमी हसद की वजह से था और जो इनकार करता है अल्लाह की आयतों का तो बेशक अल्लाह ताआला बहुत जल्

तीन किस्म की इबादतें

खालिस बदनी:- जैसे नमाज और रोजा इसलिए कि इन दोनों इबादतों का मकसद अल्लाह तआला के लिए नफ्स का खुजूअ व खुशूअ और इसका रब के हुजूर तजल्लुल है। इन इबादतों में माल का कोई दखल नहीं है। खालिस माली जैसे जकात और सदका इसलिए कि इन दोनों इबादतों का

आख़िरत को तर्जीह दो

हज़रत अब्बू मूसा रज़ी अल्लाहु तआला अनहु कहते हैं कि रसूल करीम‌ स०अ०व० ने फ़रमाया जो शख़्स अपनी दुनिया को दोस्त रखता है (इस क़दर दोस्त रखना कि ख़ुदा की मुहब्बत पर ग़ालिब आजाए) तो वो अपनी आख़िरत को नुक़्सान पहुंचाता है (यानी आख़िरत में अपने

क़र्ज़ा-ए-हुसना

कौन है जो दे अल्लाह ताआला को क़र्ज़ हुस्न तो बढ़ा दे अल्लाह इस क़र्ज़ को इस के लिए कई गुना, और अल्लाह ताआला ही रिज़्क को तंग और फ़राख़ यानी कुशादा करता है और उसी की तरफ़ तुम लौटाए जाओगे।(सूरे बक़रा , आयत २४५)

इख़लास-ओ-अदमव इख़लास

हज़रत अनस रज़ी अल्लाहु तआला अनहु से रिवायत है कि नबी करीम स०अ०व०ने फ़रमाया जिस शख़्स की नीयत महिज़ आख़िरत की तलब हो तो अल्लाह ताआला इस के दिल को ग़नी करदेता और उस की परेशानीयों को जमा करके इत्मीनान-ए-ख़ातिर बख़्शता है।