हूतैन कि लडाइ

नूर उद्दीन महमूद और फिर इस के बाद सलाह उद्दीन अय्यूबी की पालिसीयों से ये बात वाज़िह होती है कि वो दोनों बैत-उल-मुक़द्दस को सलीबी ईसाईयों के नापाक क़बज़े से आज़ाद कराने के लिए किसी मुनासिब वक़्त का इंतेज़ार कर रहे थे। इन दोनों ने अपनी मोमि

दीन के ख़िलाफ़ फ़ितनों का जुहूर

ख़िलाफ़त बनूअब्बास के दौर में एसे एसे दीनी और फ़िक्री फ़ित्ने सर उठाते रहे कि इस से पहले कोई मिसाल देखने में नहीं आती। ख़लीफ़ा मोतमद के दौर में क़र्रामीया का ज़हूर हुवा, ये लोग ग़ुसल जनाबत को ग़ैर ज़रूरी समझते थे, शराब को जायज़ क़रार देते थे, अज़

इस्लाम वाहिद मिसाली, फ़ित्री और हक़ीक़ी धर्म‌ है

मेने मज्हब के असल मफ़हूम को समझने के लिए अपने ज़मीर और दिली जज्बात का बग़ौर जायज़ा लिया है। लिहाज़ा अब में ये कह सकता हूँ कि एक अहम नुकता जो मेरी समझ में आया, वो ये है कि दुनिया भर में ईसाई मज्हब जिस शक्ल में इस वक़्त मौजूद है, वो सरासर मुनाफ़

कामयाब उस्ताज़ की जिंदगी के रोशन पहलू

एक अच्छे उस्ताद के ज़हन की रसाई(पहोँच) तलबा के ज़हन तक ज़रूरी है, जो बज़ाहिर बहुत ही पेचीदा मालूम होती है। ये उसी वक़्त मुम्किन है, जब कि उस्ताद को अपने पेशा से इशक़ हो। एसी ही एक मुख़लिस शख़्सियत का नाम हज़रत मौलाना वली अल्लाह था, जिन की ज़िंद

किसी की ख़ानाआबादी , किसी की ख़ानाबरबादी

इस्लाम ने मर्द पर औरत की किफ़ालत(पालण पोषण) की ज़िम्मेदारी आइद की है, इसी लिए मर्द को औरत पर फ़ौक़ियत-ओ-फ़ज़ीलत (प्रधातता)हासिल है। अगरचे कि वो आज भी इस फ़ज़ीलत की मंसब(पट) से चिमटा हुआ है, लेकिन हक़ीक़त ये है कि वो इस फ़ज़ीलत के दर्जा का मुस्तहिक़(

जगा बदल्ने से स्वप्नफल भी बदल जाता है

एक इलाक़े की मिट्टी दूसरी इलाक़े की मिट्टी से मुख़्तलिफ़(जूदा) होती है। हवा, पानी और मकान(जगा) के इख़तिलाफ़(बदलाव) से भी ताबीर(स्वप्न फल) बदल जाती है। तमाम मूअब्बीरिन(स्वप्नफल बताने वालें) इलाक़े और तबीअतों के मुख़्तलिफ़ हो जाने की सूरत म

बदनज़री, कई बुराईयों की जड़

इंसान कि आँखें जब बेलगाम हो जाती हैं तो अक्सर फ़वाहिश(बूरे कामों) की बुनियाद बन जाती हैं, इसी लिए मुहक़्क़िक़ीन के नज़दीक बदनज़री उम्मुल ख़्बाइस(बूराइयों की जड) की मानिंद(समान) है। इन दो सूराखों से ही फ़ित्नों के चश्मे उबलते हैं और माहौल-ओ-

हैदराबाद के नात पढ्ने वालें शोअरा,जनाब सय्यद सईद उद्दीन हुसैनी सय्यद

रसूल अकरम स.व.से ख़ुद को वाबस्ता करने, उन के गुलामों में अपने आप को शामिल-ओ-शुमार करवाने की सई-ओ-काविश में आशीक़ान ए सरकार दो आलम स.व. ने बिसात भर कोशिश को अपना शीआर बना लिया, यूं अक़ीदत-ओ-मुहब्बत के ये जज्बात बसूरत शेर उजागर होने लगे।

महमुद ग़ज्नवी चोरों के साथ

हज़रत फ़ारूक़ आज़म (रज़ी.) की सुन्नत के मुताबिक़ आम जनता की देखभाल‌ के लिए रातों में गशत करना(फीरना) अक्सर मुसल्मान सलातीन का मामूल रहा है चुनांचे एक रात सुल्तान महमूद ग़ज्नवी सादा लिबास में अपनी रिआया(जनता) की निगरानी और ख़बरगिरी के लिए त

औलाद, माँ बाप के पास अमानत, धार्मीक संस्कार पहला कर्त‌व्य‌

औलाद अल्लाह ताला की अज़ीम(बडी) नेमत है। माँ बाप के नज्दीक माल-ओ-दौलत, इज़्ज़त-ओ-शौहरत, ओहदा-ओ-मंसब से ज़्यादा अज़ीज़(प्यारी) औलाद होती है। नौ महिनें तक माँ इस के वज़न को अपनी कोख में उठाए रखती है। विलादत तक कित‌नी मुसीबतों को झेल्ती(बर्दाशत

अपने माल को आख़िरत(परलोक) का ज़रीया बनाओं

हज़रत इब्न ए मस्ऊद (रज़ी.) कहते हैं कि (एक दिन) रसूल करीम (स.व.) ने (सहाबा किराम को मुख़ातब(संबोधीत) करके) फ़रमाया (कहा)कि तुम में वो कौन शख़्स है, जो अपने माल से ज़्यादा अपने वारिस के माल को पसंद करता हो?

दिनी समर कैंप

हैदराबाद दफ़्तर मज्लिस उल्मा हिंद पर विलायत दीनी समर कैंप 1 से 30 मई सुबह दस बजे से एक बजे दिन दफ़्तर मज्लिस उल्मा हिंद (हुसैनी मुहल्ला ) जाफ़रिया हॉस्पिटल के साम्ने, पर मुक़र्रर है ।

15 साल से कमउमर तलबा को क़बूल किया जाता है ।

याद मतहरी सेमिनार

हैदराबाद रवीवार‌ 8 बजे शाम‌ इबादतखाना हुसैनी दार उश्सीफ़ा में याद मतहरी सेमिनार का मुनाकिद होगा ।

जिस में उल्मा और दानिश्वर हज़रात ख़िताब(संबोधन) करेंगे ।।

जल्सा नागरिक्ता सुधार‌

हैदराबाद । तज्वीद उल-क़ुरआन एज्युकेशन एंड च्यारटीबल ट्रस्ट कि निगरानी में मौलवी मुहम्मद अफ़ज़ल मौलाना सय्यद क़ुतुब उद्दीन नदवी के बमूजब(अनुसार) 3 मई बाद नमाज़ ज़ुहर मस्जिद सीरात ए मुस्तक़ीम आज़ाद नगर अंबर पेट में ज़ेर सदारत अल्हाज हा

अलावह सर तौक‌ में मज्लिस -ए- अज़ा

हैदराबाद । फ़र्ज़ंद बानी आशूर ख़ाना हज़रत क़ायम जनाब सय्यद एहसान अली आब्दी के बमूजब(अनुसार) 3 मई 9-30 बजे सुबह मज्लिस अज़ा से मौलाना मौलवी सय्यद दिलदार आब्दी का ख़िताब होगा ।

जश्न बसिल्सीला विलादत जिगर गोशा रसूल फ़ातीमा अलज़हरा रजी.

हैदराबाद । सय्यद हामिद हुसैन जाफरी ने अपने प्रेस नोट में बताया कि बसिल्सीला विलादत जिगर गोशा रसूल फ़ातीमा अलज़हरा अलावह बीबी दबिरपूरा में 19 जमादी स्सानी बाद नमाज़ इशा 8 बजे रात‌ मख़सूस जश्न मुक़र्रर है ।

इदारा सियासत की जानिब से 15 मुस्लिम नाशों की तदफ़ीन

जनाब आमिर अली ख़ां न्यूज़ ऐडीटर सियासत को इन्सपेक्टर हबीब नगर के मरासले की रोशनी में 3 शाह इनायत गंज पुलिस के मरासले की रोशनी में 3 , रेलवे पुलिस नामपल्ली के 2, रेलवे पुलिस काचीगोड़ा के 2, पुलिस फ़लक नुमा की एक, पुलिस छतरी नाका की एक, प