माहाना मज्लिस
हैदराबाद । हसब अमलदर आमद क़दीम माहाना मज्लिस मुबारक हज़रत सय्यद ख़्वाजा मूइन उद्दीन चिशती गरीब नवाज़ 6 रबीआ स्सानी को बाद नमाज़ इशा दरगाह शरीफ हज़रत ऑल मुहम्मद सय्यद मुहम्मद इफ़्तिख़ार अली शाह हुसैनी उल-हुसैनी वाके चिशती चमन मंगल हॉट ज़
हैदराबाद । हसब अमलदर आमद क़दीम माहाना मज्लिस मुबारक हज़रत सय्यद ख़्वाजा मूइन उद्दीन चिशती गरीब नवाज़ 6 रबीआ स्सानी को बाद नमाज़ इशा दरगाह शरीफ हज़रत ऑल मुहम्मद सय्यद मुहम्मद इफ़्तिख़ार अली शाह हुसैनी उल-हुसैनी वाके चिशती चमन मंगल हॉट ज़
हज़रत अबद उल्लाह बिन उमर (रज़ी.) रिवायत करते हैं कि रसूल अल्लाह स.व.
हज़रत अबद उल्लाह बिन उमर (रज़ी.) रिवायत करते हैं कि रसूल अल्लाह स.व.
पिछ्ले कई बरसों से मुल्क भर में विश्वा हिन्दू परिषद और इस की इत्तिहादी पार्टीयों की जानिब से एक ख़ौफ़नाक एहतिजाज और इश्तिआल अंगेज़ मुहिम चलाई जा रही है, जिस का महवर बाबरी मस्जिद राम जन्मभूमि झ्ग्डा है, जिस के नतीजा में मोहलिक फ़सादा
ग़ज्वा बनू मुस्तलीक़ में सय्यदना उमर (रज़ी.) का किरदार बहुत नुमायां था। हुआ यूं कि रसूल अल्लाह स.व.
ख़लीफ़ा मेहदी इब्न ए मंसूर के बारे में आम तौर पे ये लिखा जाता है कि वो बहुत सही उल-अक़ीदा और अच्छा मुसल्मान था लेकिन इंसाफ़ का ये आलम था कि एक दफ़ा एक बूढ़े शख़्स को ज़िन्दीक़ होने के इल्ज़ाम में इस के सामने लाया गया , ख़लीफ़ा ने इस के क़त्ल का
यही अय्याम थे, जब रसूल अल्लाह स.व. को मेराज का एज़ाज़ अता हुआ, कि आप स.व. आलम-ए-बाला में अल्लाह ताला से हम मज्लिस हुए और आप स.व. को आस्मानों पर बहुत से अजाइबात और अस्रार का मुशाहिदा कराया गया। वाप्सी पर आप स.व.
ज़िंदगी में हर शख़्स को चाहे अमीर हो या ग़रीब, बेशुमार इम्तेहानों और क़दम क़दम पर आज़माईशों से गुज़रना पड़ता है। माल्दारी और गरीबी भी अल्लाह ताला की जानिब से एक आज्माईश (इम्तेहान ) है, इस आज्माईश में जो लोग पूरे उतरेंगे, वही आख़िरत में काम्
वालदैन अज़मत के वो बुलंद मीनार हैं, जो कि किसी भी हाल में अपने बच्चों से नफ़रत नहीं करते और ना ही बच्चों से दूश्मनी रखते हैं। आप उन से कितनी ही नफ़रत करलो, मगर वो हमेशा अल्लाह ताला की बारगाह में दूआ गो रहते हैं। वो सिर्फ अपने बच्चों की
मिस्टर अरेंसर्ट को मिस्टर आर ई वॉकर ने इस्लाम से रोशनास कराया, जिन्हों ने १९३० में इस्लाम क़बूल किया था। मिस्टर वॉकर लिखते हैं कि ये नौजवान गुज़रे हुए ज़माने के क़िस्से कहानीयों पर मब्नी दीन से बेज़ार है, उसे अपने किरदार की तामीर क
सब हमद-ओ-सताइश अल्लाह रब उल आलमीन के लिए है। कायनात के ख़ालिक़-ओ-मालिक अल्लाह ताला के नाज़िल कर्दा दीन में जहां उखरवी मुआमलात में रुशद-ओ-हिदायत कार फ़र्मा है, वहीं इस में दुनयवी उमूर में भी इंसानों की रहनुमाई की गई है। जिस तरह दीन का मक्
सारी ज़मीन अल्लाह ताला की मिल्कियत है, वो जिस को चाहता है इस का वारिस बनाता है।
हज़रत अबू हुरैरा (रज़ी.) से रिवायत है कि रसूल करीम स.व. ने दूआ फ़रमाई : ए अल्लाह! तू आल ए मुहम्मद को बक़दर क़ुव्वत रोजी दें और एक रिवायत में (क़ुव्वत की बजाए) कफ़ाफ़ का लफ़्ज़ है। (बुख़ारी-ओ-मुस्लिम)
और बेशक हम ने आसान करदिया है क़ुरान को नसीहत पकड्ने के लिए, पस है कोई नसीहत क़बूल करने वाला। (सूरा अल क़मर।१७)
शादी के बाद जिस वक़्त रस्म जल्वा मुनाक़िद होती है और दूल्हा दुल्हन को जब रुख़्सती के फूल पहनाए जाते हैं, फूल पहनाने के बाद ख्वातीन-ओ-हज़रात में से कोई एक फ़र्द सूरा वश्शमसी वजूहाहा पढ़ कर दुल्हन के तालू पर दम करदे।
हज़रत दानयाल अलैहि स्सलाम ने फ़रमाया उस फ़रिश्ते का नाम जो सप्नों के उमूर पर मुक़र्रर है सद्दीकून है (इस की क़ुव्वत का अंदाज़ा इस से लगा सकते हैं कि) इस के कानों के लो से गर्दन तक सात सौ साल की मुसाफ़त है। वही अशीया की सूरत मसालेह ख़ैर हो या
हदीस पाक में आया है कि क़ियामत के दिन सात आदमी अर्श के साये में होंगे, जिस दिन अर्श के सिवा कोई दूसरा साया नहीं होगा।
हज़रत अनस बिन मालिक (रज़ी) को हुज़ूर रसूल करीम स.व. के ख़ादिम ख़ास होने का शरफ़ हासिल है (१०) साल की कम
हैदराबाद । तहरीक इस्लामी का हफ़तावारी मर्कज़ी इज्तेमा 26 अप्रैल को बाद नमाज़ इशा 9 ता 11 बजे शब सुनी मर्कज़ मस्जिद गुल बानो नामपली में होगा ।
हैदराबाद । अंजुमन अज़ा दारान शूक्रवार के मजालिस अज़ा का सिलसिला 26 अप्रैल शाम 7 बजे शाम से सदर अंजुमन मुहम्मद इस्हाक़ अली के मकान रूबरू इबादत्खाना हुसैनी से आग़ाज़ होगा । हुसैन बाक़िर अली जान हुसैन नगर कोलोनी सय्यद रज़ा हुसैन नक्वी नूर