दरस क़ुरान मजीद बराए ख्वातीन

हैदराबाद । इस्लामिक एकेड्मी आफ़ साइंस की बज्म ख्वातीन की महफ़िल दरस क़ुरान मजीद 21 अप्रैल हफ़्ता 2-30 बजे दिन बमकान एफ डी ख़ां रूबरू होटल हाई लाईन चौराहा किंग कोठी में मुनाक़िद होगी जिस में डाक्टर हादिया सूरा अल किसस के सातवें रुकु का तर्

क़ुरान फ़हमी-ओ-क़वाइद-ओ-तज्वीद

हैदराबाद । फ्यूचर एज्युकेशन एकेड्मी के बमूजब (अनूसार) तलबा हज़रात के लिए अरबी क़वाइद तज्वीद ‍ओ‍ क़ुरान फ़हमी की क्लासों के नए ब्याच का आग़ाज़ 21 अप्रैल को शाम 7 बजे से होरहा हें ।

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मुज़ाकरा-ओ-नातिया मुशायरा

हैदराबाद । ख़ान्क़ाह संजरीया चिश्तिया इफ़्तिख़ारिया रूबरू जामा मस्जिद हज़रत वतन चिशती चमन बज्म अनवार सुख़न का माहाना मुज़ाकरा बउनवान ख़ानक़ाही तालीमी निज़ाम का इआदा आज की ज़रूरत बसदारत पीर इफ़तिख़ारी हज़रत सय्यद शाह क़ादिर मुही उद्दीन संजर

आज माहाना मज्लिस सीमा

हैदराबाद । माहाना मज्लिस हज़रत हबीब उम्र हुसैनी क़िब्ला जाँनशीन हज़रत शेख उल-इस्लाम 28 जमादी उलअव्वल को बाद नमाज़ इशा क़ियामगाह जनाब जीलानी पाशाह कादरी वाके निज़द मस्जिद शाह जहानी रहमत कॉलोनी हाशिमाबाद मुक़र्रर हें । जिस में मज्लिस स

मज्लिस हल्क़ा ज़िक्र

हैदराबाद । हफ़तावारी हल्क़ा ज़िक्र-ओ-दरूद शरीफ 21 अप्रैल को बाद नमाज़ इशा क़ियामगाह जनाब मुहम्मद जावेद कादरी वाके मुत्तसिल (नज्दीक) मस्जिद उम्र फ़ारूक़ नवाब साहब कूंटा मुक़र्रर हें ।

हिफ़्ज़ सूरा यासीन केम्प

हैदराबाद ।दरगाह दो पहाड़ शाह वली की जानिब से सय्यद ख़्वाजा नसीर उद्दीन मेमोरियल हिफ़्ज़ यासीन शरीफ सोसाइटी के ज़ेर एहतिमाम जनाब सय्यद सुलतान मुही उद्दीन परवेज़ की ज़ेर निगरानी 40 रोज़ा सूरा यासीन हिफ़्ज़ केम्प जामा मस्जिद क़ुतुब शाही मिस्

बाबर की मज्हबी रवादारी मंदिरों को ना गीराने कि हुमायूँ को बाबर की वसीयत

बाबर के मुताल्लिक़ ये भी गुमान नहीं किया जा सक्ता कि इस ने यहां आते ही मंदिरों और मूर्तियों को मिस्मार करना शुरू कर दिया, क्योंकि जिस साल ये मस्जिद (बाबरी मस्जिद) बनी हें, इसी साल इस ने हुमायूँ के लिए ये वसीयत नामा लिख कर छोड़ रखा था:

औलाद की तालीम-ओ-तर्बीयत

अल्लाह तबारक-ओ-ताला ने इस आलम-ए-आब-ओ-गुल में इंसान को बेशुमार-ओ-बेशबहा नेमतों से नवाज़ा हे, जिन को शुमार करना इंसानी ताक़त से बाहर हे और ये नेमतें इत्नी कसीर तादाद में हे, जिन की तरफ़ एक आम इंसान तो क्या एक जानकार इंसान की भी रसाई नामुमकि

पहली सलीबी जंग

970 के इबतिदा ही से नसारा ने स्पेन में मुसल्मानों के ख़िलाफ़ शदीद और मुसल्लह लडाइयों का सिल्सिला शुरू कर दिया था, जो ग्यारहवीं सदी ईसवी के आग़ाज़ में यहां से अम्वी हुकूमत के सुकूत के साथ ख़त्म हुआ। अम्वी हुकूमत के सुकूत और पाप बीनडीकट साम

लाशों पर दस्तरख़्वान बिछाने वाले खल़िफ़ा

पहली बात तो ये हे कि अब्बासी ख़िलाफ़त का आग़ाज़ ही ज़ुल्म और अंधेर नगरी से हुआ था। इस सिल्सिले में सय्यद अब उलआला मौदूदी अपनी तस्नीफ़ ख़िलाफ़त‍ ओ‍ मुलूकियत में लिखते हे कि नए मुद्दईयान ए ख़िलाफ़त (बनू अब्बास) जिस वजह से काम्याब हुए थे, वो ये

सय्यदना उमर‌ फ़ारूक़ की आइली ज़िंदगी

हज़रत सय्यदना उमर‌ फ़ारूक़ (रज़ी.) ने ज़माना-ए-जाहिलियत में तीन शादियां कीं, उन की पहली शादी सय्यदना उस्मान बिन मजउन (रज़ी.) की हम्शीरा सय्यदा ज़ैनब बिंत मजउन से हुई, जिन्हों ने इस्लाम क़बूल किया और हिज्रत की सआदत हासिल की। इन ही से हज़रत सय्य

काम का आग़ाज़ और समाजी बाइकोट

रसूल ए अकरम स.व. ने अपने काम का आग़ाज़ खु़फ़ीया तौर पर किया और सब से पहले अपने क़रीबी दोस्तों, रिश्तेदारों को तब्लीग़ की और बाद में फिर शहर के अंदर और मुज़ाफ़ात में आम लोगों को भी अल्लाह का पेग़ाम पहुंचाना शुरू कर दिया। आप स.व.

इस्लाम में पड़ोसीयों के हुक़ूक़

क़ुरान मजीद में इरशाद ए बारी हे और ख़ुदा ही की इबादत करो, इस के साथ किसी और को शरीक ना बनाओ ओर माँ बाप, क़राबत दारों, यतीमों, रिश्तेदारों, हमसाइयों, मुसाफ़िरों और क़रीब बेठने वालों और जो तुम्हारी सरपरस्ती में हों, सब के साथ एहसान यानी अच्छ

लड्कीयां ईश्वर का उप्हार हें

हज़रत अनस (रज़ी.) रिवायत करते हें कि रसूल अकरम (स.व.) ने इरशाद फ़रमाया जो शख़्स दो लड़कीयों की परवरिश करे, यहां तक कि वो बालिग़ हो जाएं तो वो और मैं क़ियामत के दिन इस तरह होंगे। आप स.व.

दीन इस्लाम, आलमी अमन का ज़ामिन

में ये तस्लीम करता हूँ कि इस्लाम और इस के रसूल के बारे में मेरे नज्रियात रिसाला इस्लामिक रिव्यू ने यकसर तब्दील कर दिए हें। चंद माह क़ब्ल मेरा ख़्याल था कि नबी करीम स.व.

ग़ैर मुस्लिम बिरादरान वतन के साथ ज़ुल्म केख़िलाफ़ जद्द-ओ-जहद करना सुन्नत ए नब्वी

1992 में मुंबई में फ़सादाद भड़काने वाली एक रजिस्टर्ड जमात थी, जिस में हज़ारों अफ़राद मारे गए थे, करोड़ों रूपियों का नुक़्सान हुआ था, लेकिन इस पर दहश्तगर्दी का कोई इल्ज़ाम नहीं लगा। 2002 में गुजरात में नरेंद्र मोदी की हुकूमत में मुसल्मानों

दुनिया से हूजुर स.व. की बेरग‌बती

हज़रत अबू उमामा (रज़ी.) कहते हें कि रसूल करीम स.व. ने फ़रमाया मेरे रब ने मेरे सामने इस बात‌ को ज़ाहिर किया कि वो मेरे लिए मक्का के संगरेज़ों को सोना बना दे, लेकिन मेंने अर्ज़ किया कि मेरे परवरदिगार!