स्वप्नों का नतिजा बताना

हजरत मोहंमद ( स.व.) की तशरीफ़ आवरी(आने ) से पहले इल्म ताबीर(स्वपनों का नतीजा बताना) तमाम उलूम में अशर्फ़ और अर्फ़ा (उंचा) शुमार होता था। इन तमाम दलीलों के बावजूद मुल्हिदीन की एक जमात ने ये कहते हुए रोया सालीहा (पवीत्र स्वप्नों) का इंकार कि

तोता और दूकानदार की कथा

हज़रत मौलाना रुम अलैहि र्रहमा अपनी मसनवी में इस कथा का आग़ाज़ अपने इस शेर से फ़रमाते हैं
तर्जुमा: एक दूकानदार शख़्स के पास एक तोता था। वो सब्ज़ (हरे) रंग का ख़ुशआवाज़ और बातें करने वाला तोता था।

इस्लाम हर हाल में ग़ालिब होगा

इस ख़ाकदान गीती पर इंसानी वजूद के आग़ाज़ ही से दीन ए इस्लाम की इब्तेदा हुई। सदीयों की सदीयां बीत गईं, कई हज़ारे ख़त्म हो गए, हज़ारहा कोमें जन्म लेकर गोशा अदम में फ़ना हो गईं, नत नए मज़ाहिब(धर्म) ज़ाहिर हुए और उन का नाम-ओ-निशान तक मिट गया। इन बदलत

ब्यूटी पार्लर्स के ख़िलाफ़ देवबंद का फ़तवा

इस्लामी इदारा दार-उल-उलूम देवबंद ने ब्यूटी पार्लर्स के ख़िलाफ़ फ़तवा जारी करते हुए कहा है कि बिना श्रृंगार के ऐसे इदारे चलाना शरई क़वानीन के मुग़ाइर है। ये फ़तवा एक सवाल के जवाब में जारी किया गया है जिसमें दरयाफ्त किया गया था कि आया कि

इंसानी ज़िंदगी पर गुनाहों के असरात पर ख़िताब

बैत उल्ख़ेर कोम्पलेकस ( चौथी मंज़िल ) अंजुमन ग्राउंड मल्ले पली में जुमेरात(गुरूवार) 5 अप्रैल को बाद नमाज़ मग़रिब जनाब सैयद सुलतान मुही उद्दीन अमीर मुक़ामी जमात-ए-इस्लामी हिंद नामपल्ली बउनवान इंसानी ज़िंदगी पर गुनाहों के असरात ख़िताब क

शरम और पवीत्रता की एहमीयत

अल्लाह ताला ने इंसान को अशरफ़-उल-मख़लूक़ात बना कर फ़ित्री ख़ूबीयों से मालामाल किया है। इन ख़ूबीयों में से एक ख़ूबी शरम‍ ओ‍ हया है। शरई नुक़्ता-ए-नज़र(धार्मीक लीहाज) से शर‌म-ओ-हया इस सिफ़त(वीषेसता) को कहते हैं जिस की वजह से इंसान क़बीह और नापसं

438 आज़मीन हज के बैन उल-अक़वामी पासपोर्टस की इजराई

हैदराबाद पासपोर्ट ऑफ़िस ने आज आज़मीन-ए-हज्ज के 438 पासपोर्टस जारी किए । पासपोर्ट ऑफ़िस में मुनाक़िदा तक़रीब में पासपोर्ट ऑफीसर डाक्टर सरीकर रेड्डी ने 260 पासपोर्टस आज़मीन-ए-हज्ज को रास्त हवाले किए जबकि 119 पासपोर्टस पोस्ट के ज़रीया

दहेज की परंपरा नागरीक्ता के लीये एक कातील जहर‌

अल्लाह ताला ने क़ुरआन-ए-करीम में अक्ल हलाल(पाक खोराक) और सिदक़ मक़ाल(सच्ची बातों) की तालीम दी, और नारवा(अवीहीत) तरीक़ा से दौलत हासिल करने और हराम माल खाने से मना फ़रमाया है। दोर-ए-हाज़िर में लोग साईंस-ओ-टैक्नालोजी और असरी उलूम के लिहाज़ से त

क़ुरान शरीफ‌

ए ईमान वालो! जब (तुम्हें) बुलाया जाए नमाज़ की तरफ़ जुमा(शुक्रवार) के दिन तो दौड़कर जाओं

हज़रत बुरैदा असलमी ओ, रसूलू ल्लाह के अलमबरदार 61 ग़ज़वात में शिरकत का एज़ाज़

रसूल उल्लाह के सहाबा ए किराम अल्लाह ताला की इनायत ख़ास और फ़ज़ल-ओ-करम यानी अपनी सहाबीय‌त की अमली शुक्रगुज़ारी इताअत हक़तआला , इत्तेबा रसूल ए अकरम‌ और राह-ए-हक़ में हर तरह की कुर्बानियों के ज़रीया किया करते। इबादात, पैरवी‍ए‍सून्नत‌, इख़

आज़मीन-ए-हज्ज की रवानगी 19 सितंबर से शुरू होगी

रियास्ती हज कमेटी के बमूजिब रोज़नामा सियासत मौरर्ख़ा 30 मार्च 2012-ए-में आज़मीन-ए-हज्ज केलिए अहम मालूमात के उनवान से एगज़ीकीटीव ऑफीसर हज कमेटी प्रोफ़ैसर एस ए शकूर का जो इंटरव्यू शाय हुआ है, इस में आज़मीन-ए-हज्ज की रवानगी की तारीखें श

हालत नशा में भी तलाक़ वाक़्य हो जाती है ,दार-उल-उलूम देवबंद का फ़तवा

इस्लामी दरसगाह दार-उल-उलूम देवबंद ने एक फ़तवा में कहा है कि हालत नशा में फ़ोन पर दी जाने वाली तलाक़ भी तलाक़ वाक़्य हो जाती है । ये फ़तवा दारुल आफ्ता ने 13 मार्च को एक सवाल के जवाब में जारी किया जो एक शख़्स ने पेश करते हुए दरयाफ़त किया था

ऐ ईमान वालो! जब (तुम्हें) बुलाया जाए नमाज़ की तरफ़ जुमा के दिन तो दौड़कर जाओ

अल्लाह के ज़िक्र की तरफ़ और (फ़ौरन) छोड़ दो ख़रीद‍ ओ‍ फ़रोख्त, ये तुम्हारे लिए बेहतर है अगर तुम (हक़ीक़त को) जानते हो। फिर जब नमाज़ मुकम्मल तो फैल जाओ ज़मीन में और तलाश करो अल्लाह के फ़ज़ल से और कसरत से अल्लाह की याद करते रहा करो ताकि तुम फ़लाह

लड़की का इन्तेकाब

आजकल रिश्तों के तै पाने में फ़रीक़ैन को कई मरहलों से गुज़रना पड़ता है। इबतदा-ए-में फ़रीक़ैन के दरमयान फ़ोटो और बायो डाटा का तबादला होता है। अगर फ़ोटो और बायो डाटा के मशमूलात फ़रीक़ैन के मयार के मताक़ हूँ तो फिर लड़की देखने का मरहला आता है। य

क्यामत की चंद अलामतें

हज़रत अनस रज़ी० कहते हैं कि मैंने रसूल व०अ०व० को ये फ़रमाते हुए सुना कि बिलाशुबा क्यामत की अलामतों में से ये है कि इल्म उठा लिया जाएगा (यानी हक़ीक़ी आलम इस दुनिया से उठ जायेंगे या ये कि उल्मा की क़दर-ओ-मंजिलत उठ जाएगी) जेहालत की ज़्यादती हो

क़ुरआन मजीद सारे इंसानों के लिए हिदायत का नूसरचश्मा

आज के इस संगीन मसरूफ़ दौर में इल्म दीन हासिल करना बहुत बड़ा काम है जो कोई इल्म दीन के हुसूल में मसरूफ़ रहता है अल्लाह ताला इस के रिज़्क की