फ़िस्क़-ओ-फ़ुजूर की कसरत, पूरी क़ौम के लिए मूजिब हलाकत

हज़रत ज़ैनब बिन हबश रज़ी अल्लाह अनंहू से रिवायत है कि एक दिन रसूल करीम ( स०अ०व०) उनके यँहा ऐसी हालत में तशरीफ़ लाए कि जैसे बहुत घबराए हुए हैं। फिर फ़रमाने लगे कि अल्लाह के सिवा कोई इबादत के लायक़ नहीं, अफ़सोस सद अफ़सोस अरब के इस शर-ओ-फ़ित्ना प

जो कुछ तुम करते हो अल्लाह ताला इससे बख़ूबी ख़बरदार है

आख़िर तुम्हें क्या हो गया है कि तुम ख़र्च नहीं करते (अपने माल) राह ख़ुदा में, हालाँकि अल्लाह ताला ही आसमानों और ज़मीन का वारिस है। तुम में से कोई बराबरी नहीं कर सकता उनकी, जिन्होंने फ़तह मक्का से पहले (राह ख़ुदा में) माल ख़र्च किया और जंग

तख्लीक़ इंसान का मक़सद अल्लाह की इबादत

तालिबान दीन-ओ-हिदायत के लिए हज़रत ग़ौस अल आज़म दस्तगीर (र०अ०) की रशद-ओ-हिदायत के फ़ैज़ का मग़ज़न संग मील की हैसियत रखता है। जिन की अमली ज़िंदगी अम्बीया-ए-किराम की मुरातिब से लेकर औलयाए इकराम के अहवाल -ओ-मनाज़िल से मुताल्लिक़ सैर हासिल रोशनी मिल

तर्क नमाज़ और वालदैन की नाफ़रमानी पर सख़्त वईद

ग़ौस आज़म अज़ीम ख़ुसूसीयात के हामिल थे, तमाम औलिया-ए-आप की अज़मत के क़ाइल थे, आप की पूरी ज़िंदगी इस्लाम की तालीमात आम करने के लिए वक़्फ़ थी। झूट-ओ-ग़ीबत से आप को सख़्त नफ़रत थी, नमाज़ छोड़ने वाले और वालदैन की नाफ़रमानी करने वालों के लिए सख़्त वई

तहफ़्फ़ुज़ ईमान के लिए सीरत रसूल ( स०अ०व०) से वाबस्तगी ज़रूरी

अल्लाह ताला की जानिब से हज़रत इंसान को बेशुमार नेमतें अता की गईं इनमें सब से बड़ी नेमत ईमान है मौत तक उसे बचाने की फ़िक्र की ज़रूरत है। इन ख़्यालात का इज़हार मशहूर मबलग़ मुहम्मद ख़्वाजा कलवा करती ने जलसा रहमतुल आलमीन मुहल्ला इंदिरा नगर क

गैर आबाद 7 मसाजिद की आबादकारी का अमल मुकम्मल

नुमाइंदा ख़ुसूसी— हिंदूस्तान भर में जितनी ओक़ाफ़ी जायदाद मुस्लमानों के पास हैं शायद मुल्क के किसी और तबक़े के पास होँ । ये जायदाद औक़ाफ़ हिंदूस्तानी मुस्लमानों के बहुत बड़े मुआविन की हैसियत रखती हैं । अगर इन मौक़ूफ़ा जायदादो

रिया कारी से बचते हुए इबादत करने की तलक़ीन

नमाज़ की अदायगी ही इज़हार मुहब्बत की अलामत है।रसूल अकरम (स्०अ०व्०) ने फ़रमाया नमाज़ मेरी आँखों की ठंडक है और बरोज़ मह्शर सबसे पहले सवाल नमाज़ का ही होगा।

औलिया अल्लाह ने दावत व तब्लीग़ के लिए अपनी ज़िंदगी वक़्फ़ कर दी थी

जनाब अबदुर्रहमान दाउदी नाज़िम ज़िला जमात-ए-इस्लामी हिंद निज़ामाबाद ने जमात-ए-इस्लामी मर्कज़ी इजतिमा में बउनवान हयात-ओ-सीरत हज़रत-ए-शैख़ अबदुलक़ादिर जीलानी (रह०) ख़िताब करते हुए कहा कि जितने भी औलिया इकराम, मुफ़स्सिरीन मुज्तहिदीन ने इस

हज 2012 दरख़ास्त फॉर्म्स की इजराई

हज 2012 के लिए दरख़ास्त फॉर्म्स की इजराई और वसूली का मुल्क भर में यक्म मार्च से आग़ाज़ हो रहा है। रियास्ती हज कमेटी के एकज़ेकीटिव ऑफीसर प्रोफ़ैसर एसए शकूर यक्म मार्च को 11बजे दिन हज हाउज़ नामपली में हज दरख़ास्त फ़ार्म की इजराई का आग़

शहर की एक मस्जिद जिस में हेल्मट पहन कर जाना लाज़िमी

नुमाइंदा ख़ुसूसी दरबार एलाही और बारगाह ख़ुदावंदी के आदाब तो बहुत ज़्यादा हैं कि जब कोई मोमिन इस आला दरबार में दाख़िल हो तो साफ़ सुथरे और पूरे कपड़े पहन कर संजीदगी और मतानत के साथ अल्लाह के घर में हाज़िर हो और तमाम मुस्लमान उन आदा

नामालूम मुस्लिम नाशों की तदफ़ीन

जनाब आमिर अली ख़ां न्यूज़ ऐडीटर सियासत को चादर घाट पुलिस की दरख़ास्त पर दो, शाह इनायत गंज की दरख़ास्त पर दो, अफ़ज़ल गंज की दरख़ास्त पर एक, रेलवे पुलिस काचीगोड़ा की दरख़ास्त पर एक और मंगल हॉट पुलिस की दरख़ास्त पर दो यानी एक लावारिस

अल्लामा डाक्टर ताहिर उल-क़ादरी का आज दरस-ए-हदीस शरीफ़

मौलाना हबीब अहमद उल-हुसैनी के के मोताबिक क़ुली क़ुतुब शाह स्टेडीयम मैं चहारशंबा 29 फ़रवरी को बाद नमाज़ इशा मौलाना सय्यद औलिया-ए-हुसैनी मुर्तज़ा पाशा की सरपरस्ती में दरस-ए-हदीस शरीफ़ मुनाक़िद होगा। मौलाना ख़्वाजा शरीफ़ शेख़ उल ह

गजवेल में जलसा सीरत उन्नबी(स०अ०व०.) का इनइक़ाद

मुस्तक़र गजवेल के गर्वनमैंट जूनियर कालेज ग्राउंड पर जलसा सीरत उन्नबी(स०अ०व०.) का इनइक़ाद अमल में आया । जिसमें मुहम्मद रियाज़ उद्दीन नाज़िम ज़िला मेदक और जनाब एस एम रसूल शरफ़ी और मुईन अहमद ने शिरकत की । जलसा का आग़ाज़ हाफ़िज़-ओ-आलिम मुहम

शेख़ उल-इस्लाम का दरस-ए-हदीस

मिनहाज उल-क़ुरआन इंडिया शाख़ हैदराबाद के ज़ेर-ए-एहतिमाम 29 फरवरी-ओर-यक्म मार्च चहारशंबा और जुमेरात 9 बजे शब क़ुली क़ुतुब शाह स्टेडीयम आंधरा प्रदेश हाईकोर्ट रोड पर शेख़ उल-इस्लाम डाक्टर मुहम्मद ताहिर उल-क़ादरी बानी-ओ-सरपरस्त आलमी

आमद ए रसूल (स०अ०व्०) के साथ ही बातिल का सफ़ाया और हक़ का क़ियाम

मौलाना मुहम्मद ग़ौस उद्दीन महमूद फ़ारूक़ी तुराबी ख़ादिम अहले हदीस हैदराबाद ने कहा कि आक़ाए कायनात की तशरीफ़ आवरी की ख़ुशी कायनात की तमाम ख़ुशीयों से अफ़ज़ल-ओ-आली है ।

शीरीं ब्यानी हिक्मत तदरीस का बुनियादी वस्फ़

मुआशरे की तामीर-ओ-तरक़्क़ी में ख्वातीन असातिज़ा का अहम हिस्सा होता है। तलबा के अख़लाक़-ओ-किरदार, तालीम-ओ-तर्बीयत के असातिज़ा ही ज़िम्मेदार हैं। इन ख़्यालात का इज़हार मुहतरमा नसीम सुलताना मुआविन नाज़िमा हलक़ा ख़वातीन जमात-ए-इस्लामी हिं

आज़मीन-ए-हज के लिए तरजीही बुनियाद पर पासपोर्ट की ख़ाहिश

वज़ीर-ए-अक़लीयती बहबूद जनाब मुहम्मद अहमद उल्लाह ने आज रीजनल पासपोर्ट ऑफीसर डाक्टर के सिरी कार रेड्डी से बात करते हुए उन से ख़ाहिश की कि हज 2012 के लिए अज़म हज के ख़ाहिशमंद दरख़ास्त गुज़ारों को आजिलाना पासपोर्ट जारी करने के लिए कोई

मुस्लिम लावारिस नाशों की तदफ़ीन

जनाब आमिर अली ख़ां न्यूज़ ऐडीटर सियासत को इन्सपैक्टर पुलिस कशाई गौड़ा की दरख़ास्त पर नामालूम मुस्लिम नाश गांधी हॉस्पिटल से हासिल करके क़ब्रिस्तान हज़रत अमान उल्लाह शाह मैं तदफ़ीन अमल में लाई गई।नमाज़ जनाज़ा क़ब्रिस्तान ही म

जशन-ए-विलादत हज़रत बानी जामिआ निज़ामीया, उर्दू घर मूग़लपूरा में दूसरा सालाना तरही मनक़बती मुशायरा

मौलाना मुहम्मद असलम जावेद नक़्शबंदी कादरी मोतमद मजलिस की इत्तेला के बमूजब(अनूसार) मजलिस फ़िदायान ए शेख़ उल-इस्लाम बानी जामिआ निज़ामीया के ज़ेर-ए-एहतिमाम शेख़ उल-इस्लाम इमाम अहल सून्नत हाफ़िज़ शाह मुहम्मद अनवार उल्लाह फ़ारूक़ी कादरी

हुज़ूर अकरम स.व. की मुहब्बत के बगैर मुस्लमान नहीं होसकता

हुज़ूर अकरम स.व. की मुहब्बत के बगैर इमान मुकम्मील नहीं होता । हुज़ूर की मुहब्बत जज़बा इमान है जिस के दिल में हुज़ूर की मुहब्बत नहीं वो दौलतमंद होसकता है लेकिन पक्का मोमिन-ओ-मुस्लमान नहीं होसकता , हुज़ूर अकरम स.व.