हैदराबाद २९ नवंबर:सदर टी ऐम ऐस फ्रंट नईम अल्लाह शरीफ़ ने हुकूमत की जानिब से अक़ल्लीयती कमिशनरीयट के क़ियाम के ऐलान पर देर से सही मुसबत इक़दाम क़रार दिया। ऐसे वक़्त जबकि अक़ल्लीयती मालीयाती कारपोरेशन में स्कैंडल और ग़रीब-ओ-मुस्तहिक़ बच्चे स्कालरशिपस और कर्ज़ों के हुसूल में नाकाम, वक़्फ़ बोर्ड में रिश्वतखोरी का चलन और वक़्फ़ जायदादों पर से क़ब्ज़ों को बरख़ास्त करने में नाकाम, वक़्फ़ जायदादों किराए मार्किट के मुताबिक़ वसूल करने में नाकाम, वक़्फ़ जायदादों को तरक़्क़ी-ओ-तहफ़्फ़ुज़ देने में नाकाम, अक़द वनकाह और क़ाज़ीयों के मसाइल को हल करने में नाकाम, दरगाहों के पास ज़ाइरीन किस सहूलतें बहम पहुंचाने में नाकाम दिखाई देते हैं।
उर्दू ज़बान की तरक़्क़ी-ओ-तरवीज में उर्दू एकेडेमी की नाकामी, उर्दू को दूसरी सरकारी ज़बान क़रार देने के बावजूद अमल आवरी में नाकामी, रियासत में अक़ल्लीयती कमीशन की ग़ैरमौजूदगी से मुस्लिम अक़ल्लीयतों के बेशुमार मसाइल को हल करने में हुकूमत नाकाम है।
आए दिन फ़िर्कावाराना फ़सादाद की वजह से अक़ल्लीयतों की जानी-ओ-माली नुक़्सानात की पा बजाई में हुकूमत की तसाहली और बेक़सूर अक़ल्लीयती नौजवानों की गिरफ़्तारीयों पर रोक लगाने की ज़रूरत है। रियासत में अक़ल्लीयती तलबा-ओ-तालिबात के लिए कम अज़ कम 100हॉस्टलस की ज़रूरत है।
अक़ल्लीयती नौजवानों को ट्रेनिंग और रोज़गार के मवाक़े पैदा करने की ज़रूरत है। अक़ल्लीयती कमिशनरीयट का क़ियाम एक ख़ुश आइंद इक़दाम है और उम्मीद है कि हुकूमत अक़ल्लीयतों के मसाइल को हल करने के लिए ठोस इक़दामात करेगी। अगर अक़ल्लीयती इदारों की कारकर्दगी बेहतर होती तो कमिशनरीयट की ज़रूरत ही पेश ना आती। ईमानदार और जय्यद स्टाफ़ की ज़रूरत है जो बेहतर ख़िदमात अंजाम दें।