हैदराबाद ।०८ जुलाई (रास्त) दीन इस्लाम अल्लाह का पसंदीदा देन ही। इस दीन के इलावासाबिक़ा तमाम अदयान को परवरदिगार आलम ने मंसूख़ फ़र्मा दिया। अब क़ियामत तक दीन इस्लाम का सिक्का चलता रहेगा। दीन इस्लाम के अहकाम पर अमल पैरा होने के लिएउस्वा रसूल ई अपनाना ज़रूरी है।
बगै़र उस्वा रसूल ई के ना दीन पर अमल होसकेगा ना रब अलालमीन की रज़ा-ओ-ख़ुशनुदी हासिल होसकेगी। इन ख़्यालात का इज़हार कल हिंद मर्कज़ी रहमत आलम कमेटी के ज़ेर-ए-एहतिमाम मर्कज़ी जलसा शब बरात से मग़लपुरा प्ले ग्राउंड पर नेपाल से तशरीफ़ लाए ।मौलाना मुहम्मद अबदुल्लाह आरिफ़ सिद्दीक़ी कादरी ने किया। जनाब मुहम्मद शाहिद इक़बाल कादरी (सदर रहमत आलम कमेटी)-ओ-सदर इस्तिक़बालीया जनाब मुहम्मद शौकत अली सूफ़ी ने मेहमान मुक़र्ररीन का इस्तिक़बाल किया।
मौलाना ने शब बरात की एहमीयत-ओ-फ़ज़ीलत बताते हुए फ़रमाया कि ये शबबरात जो गुनाहों की मग़फ़िरत की रात ही, सब के गुनाह तो माफ़ होसकते हैं मगर वोशख़्स जो हुक़ूक़ उल-ईबाद में गिरफ़्तार है जब तक बंदा उसे माफ़ ना करे उस वक़्त तक इस के गुनाहों की मग़फ़िरत नहीं हो सकती।
हाफ़िज़ मुहम्मद साजिद कादरी की तिलावतकलाम पाक से जलसा का आग़ाज़ हुआ। मलिक मुहम्मद असमईल अली ख़ां, ख़्वाजाफ़ैज़ान उद्दीन, ख़्वाजा क़ुतुब उद्दीन ने नाअत शरीफ़ सुनाने की सआदत हासिल की। मौलाना मुर्शिद आलिम रिज़वी कादरी ने निज़ामत के फ़राइज़ अंजाम दिये। मौलाना तजम्मुल हुसैननूरानी (झारखंड) ने कहा इस्लाम एक मुकम्मल निज़ाम हयात है और क़ुरआन हकीम नौइंसानी के लिए आख़िरी पैग़ाम ही।
मेहमान ख़ुसूसी की हैसियत से जनाब मुहम्मद अहमद ख़ान और सय्यद ज़हीरउद्दीन, अमजद, मुहम्मद ज़िया अलरहमन ने शिरकत की। मौलाना मुहम्मद इक़बाल अहमद कादरी रिज़वी ने कहा आज दुनिया इंसानियत अमन-ओ-सुकून की मुतलाशी है। अगर कोई राह नजात मिल सकती है तो वो इस्लाम में मौजूद है।
मौलाना ने मुहम्मद शाहिद इक़बाल कादरी और उन के रफ़क़ा कमेटी के मैंबरस की कोशिशों को सराहते हुए फ़रमाया कि मसलक अहलसन्नत वालजमाअत की ख़िदमात जो उन के ज़रीया हो रही है वो काबिल-ए-सिताइश है। डाक्टर मुहम्मद अबदालनईम कादरी ने भी जलसा से ख़िताब किया। जलसा में मौलाना अबदुल्लाह आरिफ़ सिद्दीक़ी ने रक्त अंगेज़ दुआ की, तमाम आलम के मुस्लमानों के कारोबार और रिज़्क में बरकत, बीमारों के लिए शिफ़ा-ए-, सेहत-ओ-आफ़ियत और मुल्क में ख़ुसूसीयत के साथ शहर हैदराबाद में अमन-ओ-अमान के लिए दुआएं की गईं।
जनाब सय्यद यूनुस बरकाती, मुहम्मद हिदायत उल्लाह ख़ान अरशद, मुहम्मद अब्दुल करीम रिज़वी ने जलसा के तमाम इंतिज़ामात किए । आख़िर में सलात-ओ-सलाम और दुआ पर जलसा का इख़तताम अमल में आया।