मेहनत कभी रायगां नहीं जाती। कहानी एक ऐसी लड़की की है जो काम चोर आरामपसंद नौजवानों के लिए एक सबक़ है। शहर के एन टी आर नगर में एक पान की दुकान हर किसी की तवज्जे की मर्कज़ बनी रहती है और वहां ग्राहकों की कसीर तादाद मौजूद रहती है। इस पान के डिब्बे को हम इसलिए शहर का मुनफ़रिद पान शाप कह सकते हैं क्यों कि वहां एक मुस्लिम लड़की हिजाब का एहतिमाम करते हुए लोगों के लिए ना सिर्फ़ पान बनाती है, बल्कि दीगर अशिया भी फ़रोख़्त करती है।
शाहीन नामी इस बा हिजाब बा हौसला लड़की और उस की सलाहियतों को देख कर हम दंग रह गए। एल बी नगर कि रास्ते में एक होटल के पान शाप परब 15 साला शाहीन बड़ी महारत से पान बना रही थी और गाहक बना किसी बेहस-ओ-तकरार के पान सिगरेट और दीगर अशिया(ची़जें) लिए जा रहे थे।
यह शाहीन ने बताया कि उनके भाई मुहम्मद जाफ़र ने यह पानशॉप शुरू किया है। उन लोगों का ताल्लुक़ रियासत झारखंड से है और चार साल क़ब्ल इस इलाक़ा में पान शाप शुरू किया। उन्हों ने बताया कि अल्लाह के फ़ज़ल-ओ-करम से कारोबार ठीक है। जाफ़र नमाज़-ए-फ़ज्र के साथ ही पान शाप खोल देते हैं और मुसलसल दोपहर एक बजे तक काम में मसरूफ़ रहते हैं और फिर खाने और आराम के लिए घर चले जाते हैं इस के बाद एक बजे से शाम 4 बजे शाहीन पान शाप पर बैठती है।
शाहीन इन ही की तरह पान बनाने में माहिर है और सिगरेट के तमाम ब्रांड्स से भी अच्छी तरह वाक़िफ़ है सब से अहम बात ये है कि वो हिजाब में रह कर ये काम करती है। मुहम्मद जाफ़र के मुताबिक़ किसी दूसरे फ़र्द को काम पर रखने और उसे तनख़्वाह देने के वो मुतहम्मिल नहीं हैं। इस के इलावा ये पैसों का मुआमला है आजकल दूसरों पर भरोसा करना मुश्किल है ऐसे में शाहीन बड़ी मेहनत के साथ उन के ग़ियाब में पान शाप चलाती है ये लड़की शाम 4 बजे के बाद पान डिब्बा में नज़र नहीं आती क्यों कि शाम के औक़ात में कारोबार ज़्यादा होता है इस के इलावा इन औक़ात में तरह तरह के लोग आते हैं। उन के साथ बहुत ही एहतियात से निमटना पड़ता है।
वाज़िह रहे कि इस इलाक़े में मुस्लमानों की बहुत कम तादाद है और इन में भी ज़्यादा तर दीगर रियासतों और जिलों से आए लोग शामिल हैं। शाहीन के मुताबिक़ उनके वालिद किसान हैं और उनकी माली हालत अच्छी नहीं वो सात बहनें हैं और इनमें शाहीन का नंबर चौथा है। तीन बहनों की शादियां होचुकी हैं एक भाई गावं में वालिद साहिब के साथ मुक़ीम है बड़ी बहन एन टी आर नगर में रहती हैं। शाहीन ने बताया कि वो उर्दू लिखना पढ़ना जानती है और घर में क़ुरआन मजीद पढ़ती हैं। शाहीन ने ये भी बताया कि वो पान शाप पर किसी से बात नहीं करती। कस्टमर जो देने के लिए कहते हैं ख़ामोशी से दे कर पैसे ले लेती है।
शाहीन ने ये भी बताया कि आस पास के लोगों से उसे काफ़ी हौसला मिला है वो गुज़शता 8 माह से पान शाप चला रही है जब कि होटल के मालिक भी अच्छे इंसान हैं और वो हमारी भरपूर मदद करते हैं। हम ने देखा कि होटल और पान शाप अच्छे मुक़ाम पर है और कारोबार भी अच्छा चल रहा है।
एक शख़्स ने बताया कि ये लड़की चेहरा देख कर ही पान बना डालती है। उसे कौन सा पान चाहिए बताने की ज़रूरत ही नहीं पड़ती। उन्होंने मज़ीद बताया कि ऑफ़िस जाते वक़्त वो हर रोज़ 10 ता 12 पान ले जाते हैं और ये लड़की पान कत् पर तैय्यार कर के रखदीती है। सिगरेट पान दे कर पैसे लेती है और फिर अपने काम में मसरूफ़ होजाती है।
जो नौजवान आराम पसंदी का शिकार हैं माँ बाप के पैसों पर ऐश करते हैं मेहनत करें छोटे मोटे कारोबार करते हुए ख़ुशहाली और तरक़्क़ी की जानिब रवां दवां हो अपनी और अपने घर वालों की मदद करें क्यों कि अब वो दूर नहीं रहा जब एक शख़्स कमाता और सारा घर खाता था । आज घर के हर फ़र्द को कमाने की ज़रूरत है।
मुस्लिम नौजवान तिजारत की जानिब राग़िब हूँ क्यों कि तिजारत में बरकत है। किसी की ग़ुलाम से बेहतर है कि ख़ुद का ज़ाती कारोबार हो । माँ बाप की दौलत पर मौज मस्तियां करना उन के पैसों से ख़रीदी हुई मोटर गाड़ियों का इस्तिमाल करते हुए ग़रूर-ओ-तकब्बुर की बीमारी में मुबतला होना अच्छी बात नहीं। इस तरह के रुजहान से सिर्फ़ और सिर्फ़ ज़िल्लत-ओ-रुसवाई ही हाथ आती है। लिहाज़ा कर मेहनत खा नेअमत।