हैदराबाद१५अगस्त : ( रास्त ) : तलबा और नौजवानों में अक्सर ख़ुद एतिमादी सेमहरूम रहते हैं। सलाहीयतों और वसाइल के बावजूद उन्हें अपने आप पर भरोसा नहीं होता इसी वजह से वो मुतज़ाद शख़्सियत बन जाते हैं।
इन ख़्यालात का इज़हार मुहतरमा नसरीनफ़ातिमा प्रिंसिपल नीओ रोज़री हाई स्कूल सालार जंग कॉलोनी ने किया। उन्हों ने कहा कि अगर तलबा के मसाइल की शनाख़्त करली जाय और उन्हें जायज़ तस्लीम करलिया जाय उन के मसाइल की हमदर्दी के साथ समाअत करनेवाली कोई शख़्सियत मिल जाय तो यहीतलबा और नौजवान अहिसास-ए-कमतरी के ख़ौल से बाहर निकल कर ख़ुद एतिमादी के साथ ज़िंदगी की मसह बिकती दौड़ में तेज़ रफ़्तारी से क़दम बढ़ा सकते हैं।
ऐसे तलबा को उन के सही हमदरद अफ़राद की ज़रूरत होती है चाहे वो उन के सरपरस्त हूँ, दोस्त अहबाब। जो एक दूसरे का सहारा बन सकें। अगर उन के साथी भी कमज़ोर ज़हनीयत केहामिल हूँ तो फिर मसाइल और बढ़ जाते हैं अदम तहफ़्फ़ुज़ का एहसास होता ही। और इस के नताइज संगीन निकलते हैं।
वो हमेशा सुहेल पसंदी से मुतबादिल तलाश करते हैं जिस से उन चाहे नताइज पैदा होते हैं। वो इन हालात में गुमराही के रास्ता पर निकल पड़ते हैं। ग़लत किस्म के दोस्तों का साथ , मुनश्शियात और जिन्सी जराइम में मुलव्वस होजाते हैं। इस का नतीजा एक उल-मनाक मुस्तक़बिल होता है ।
इन नौजवानों की कौंसलिंग के मुसबत नताइज बरामद होते हैं। एजूकेशनल कौंसलिंग स्कूल, कालजसस और यूनीवर्सिटीज़ के तलबा में एतिमाद के फ़रोग़ और उन के दाख़िली ख़लफ़िशार को दूर करने में मुआविन-ओ-मददगार साबित हुई है। कौंसलिंग की बदौलत तलबा और नौजवानों में मसह बिकतीजज़बा पैदा होता है और उन के ख़ुद सीखने की सलाहीयत पैदा होती है।
इसके इलावाकिताबें उनकी बेहतरीन रफ़ीक़ साबित होती है जो उन की ज़रूरीयात की तकमील करती है। एजूकेशनल की कौंसलिंग तलबा की रुजहान साज़ी केलिए ज़रूरी है । इस के हमेशा मुसबत नताइज बरामद होते हैं।