ज़माने के मुताबिक़ मआशी जद्द-ओ-जहद की ज़रूरत

हैदराबाद ०२अगस्त : ( रास्त ) : डाक्टर अब्दुह लो कील बाबा ख़ां मुसन्निफ़ ख़ुद रोज़गार और छोटी सनअतें इतवार को दफ़्तर रहबर सनअत-ओ-तिजारत कुटिल मंडी मेंमआशी तरक़्क़ी के लिए तर्जीहात के उनवान पर मुख़ातब करते हुए कहा कि रोज़गार कारास्त ताल्लुक़ इंसान की मआशी सरगर्मीयों और जद्द-ओ-जहद से होता है । अगर मआशीजद्द-ओ-जहद ज़माने के तक़ाज़ों और तर्जीहात को मद्द-ए-नज़र रख कर की जाती है तो ना सिर्फ इन्फ़िरादी फ़ायदा होगा बल्कि क़ौम-ओ-मुल़्क की मआशी तरक़्क़ी भी होगी । मआशी तरक़्क़ी क़ौमों और इस के अफ़राद को दूसरी तरक़्क़ी याफ़ता क़ौमों से मुक़ाबले के काबिल बनाती है ।

जापान एक छोटा मुलक है चूँकि मआशी तौर पर तरक़्क़ी याफ़ता और ख़ुद मुकतफ़ी है अमरीका जैसी सुपरपावर भी बैन-उल-अक़वामी मआशी बाज़ार में जापान का मुक़ाबला नहीं कर सकती । मुस्लमानों के लिए मुस्लमान पिछले पंद्रह सौ साला तारीख़ीतरक़्क़ी की क़सीदाख़वानी करने के बजाय दुबारा इस के हुसूल के लिए एक वीज़न और मिशन को तर्जीह तौर पर तै करना होगा । इस के हुसूल में फ़सादाद , जांबदारी ,फ़िर्कापरस्ती रुकावटें हाइल होंगी लेकिन हम अपनी तर्जीहात से दस्तबरदार नहीं होसकते ।

हमारी तर्जीहात में शादी ख़ानों की तैय्यारी और क़ब्रिस्तानों की आहक पाशी के इलावा इमारात , ज़राअती ज़मीन और इस से वाबस्ता रोज़गार जैसे डेरी , पोल्ट्री शिप , फ़िश फ़ार्म , कराश क्राप , मौसमी फलों की काशत और इस से वाबस्ता रोज़गार का हुसूल , सनअती इदारों का क़ियाम और इस के लिए दरकार सनअती शेड्स , रिहायशी मकानात के लिए ज़मीन , बैंक और माली इदारों का क़ियाम , आली तालीम इदारे जो मिल्लत की समाजी , मआशी-ओ-सयासी तक़ाज़ों की तकमील करते हूँ का क़ियाम , सनअती पुलिस (Pools) और पोर्टलस , ख़ारिजी तिजारत की अंजुमनें , इमदाद-ए-बाहमी बंक और अंजुमनों का क़ियाम , चैंबर आफ़ कॉमर्स , शईर वकीपटल मार्किट का क़ियाम , सनअती-ओ-ज़रई मज़दूरों काश्तकारों की अंजुमनें वग़ैरा का क़ियाम होना चाहिए ।

आख़िर में शाकिर हुसैन के मार्केटिंग और सलीम उद्दीन के ख़ारिजी तिजारत पर सवालात के जवाबात के बाद ताहिर सिद्दीक़ी के पेन बाम की तैय्यारी के अमली मुज़ाहिरे पर मीटिंग का इख़तताम हुआ ।।