हैदराबाद ।०२। अगस्त : ( नुमाइंदा ख़ुसूसी ) : सरज़मीन दक्कन को औलिया-ए-अल्लाह ने अपना मस्कन बनाते हुए जो इज़्ज़त बख़शी थी इस का सिलसिला आज तक भी जारी है । जिस तरह अजमेर में दरगाह हज़रत ख़्वाजा ग़रीब नवाज़ऒ दिल्ली में हज़रतनिज़ाम उद्दीन ओलयाइऒ गुलबर्गा में हज़रत ख़्वाजा बंदानवाज़ गीसोदराज़ऒ हैदराबाद में हज़रत बाबा शरफ़ उद्दीन ऒ ,-ओ-हज़रात यवसफ़ीनऒ की दुर्गा हैं बुला लिहाज़ मज़हब-ओ-मिल्लत मरज्जा ख़लाइक़ बनी हुई हैं इसी तरह हमारे शहर के चप्पा चप्पा में आप को किसी ना किसी मुक़द्दस हस्ती की दरगाह ज़रूर नज़र आएगी जहां मुस्लमानों से कहीं ज़्यादा ग़ैर मुस्लिम अक़ीदतमंद गुलहाए अक़ीदत-ओ-एहतिराम पेश करते दिखाई देंगे ।
अल्लाह के महबूब बंदों ने शरीयत पर सख़्ती से पाबंदी करते हुए संत रसूल ई पर अमल करते हुएबंदगान ख़ुदा के दिल अपने अख़लाक़-ओ-किरदार के ज़रीया जितने में कामयाबी हासिल की जिस तरह लोग माज़ी में बुज़्रगान-ए-दीन – की मज़ा रुत पर कसीर तादाद में नज़र आते थे आज भी इस का सिलसिला जारी है ख़ासकर ग़ैर मुस्लिम बुज़्रगान-ए-दीन – से बहुतअक़ीदत रखते हैं । उन्हें ये गवारा नहीं कि कोई शरपसंद उन के और बुज़्रगान-ए-दीन – के दरमयान रुकावट बने । दरगाहों की बेहुर्मती करे और इस की अराज़ी पर क़ाबिज़ हो ।
ऐसी ही एक दरगाह और इसी तरह के कट्टर हिन्दू अक़ीदतमंद बेगम बाज़ार पुलिस ट्रांसपोर्ट क्वार्टर्स लाईन निज़द गोशा महल में है । आप को बतादें कि शाह इनायत गंज पुलिस स्टेशन के बिलकुल क़रीब हज़रत ज़िंदा शाह की दरगाह और छल्ला हज़रत महबूब सबहानीऒ है । ये दरगाह वार्ड नंबर 14 में आती है । गज़्ट में हज़रत ज़िंदा शाह की दरगाह का रिकार्ड इस तरह है । गज़्ट नंबर 20-A सीरीयल नंबर 607 । मौरर्ख़ा 17-5-1984 सफ़ा 34 गज़्ट 2006 ।
बेगम बाज़ार पुलिस ट्रांसपोर्ट क्वार्टर्स लाईन और इस के अतराफ़ वाकनाफ़ रहने वाले ग़ैर मुस्लिम हज़रात , हज़रत ज़िंदा शाहऒ से काफ़ी अक़ीदतरखते हैं और मज़ार पर हाज़िरी देते रहते हैं लेकिन अब ये ग़ैर मुस्लिम अक़ीदतमंद इस बात पर काफ़ी ब्रहम-ओ-नाराज़ हैं कि चंद शरपसंदों ने इस दरगाह को क़रीब ही में मौजूद मंदिर जिस का नाम माता की मंदिर है इस के हदूद में शामिल करलिया । साथ ही पुलिस कॉलोनी के दो रास्ते थे इन में से एक रास्ते को भी मुकम्मल तौर पर बंद करदिया और सड़क के बेचों बीच दीवारें तामीर करवादें ।
शरपसंदों ने दरगाह शरीफ़ को मंदिर के हदूद में शामिल करने का आग़ाज़ बोनाल तहवार से ही शुरू करदिया था लेकिन किसी ने इस परतवज्जा नहीं दी वक़्फ़ बोर्ड के ओहदादार तो अपनी आदत-ओ-फ़ित्रत के मुताबिक़ ग़फ़लतकी नींद में मगन थे ये वाहिद महिकमा होगा जिस के ओहदेदार सब कुछ तबाह-ओ-बर्बाद होने के बाद मुक़ाम वाक़िया पर पहूंचते हैं दूसरी जानिब पुलिस ट्रांसपोर्ट क्वार्टर लाईन मैं बरसों से मुक़ीम बुज़ुर्ग हिन्दू हज़रात और दीगर लोग शरपसंदों की इस शरपसंदी से बेचैन तो हो उठे लेकिन उन की जहालत और गुंडा गर्दी के ख़ौफ़ में भी मुबतला रहे । शरपसंदों ने ना सिर्फ दरगाह को मंदिर के हदूद में शामिल कर लिया बल्कि जो नई दीवारें तामीर किए हैं इस पर हिन्दू भगवानों की बड़ी बड़ी तसावीर भी उतार दीए । हालाँकि दरगाह हज़रत ज़िंदा शाहऒ का उर्स बड़ी पाबंदी से होता है । इस इलाक़ा में एक मुस्लमान का भी मकान नहीं है
। बेगम बाज़ार पुलिस ट्रांसपोर्ट क्वार्टर्स लाईन और क़रीब में रहने वाले हिन्दू दरगाह परहाज़िर देते रहते हैं कई लोग तो ऐसे हैं जो गुज़शता 70 साल से इस दरगाह पर हाज़िरी देते आ रहे हैं । अगरचे वक़्फ़ बोर्ड को इस वाक़िया की कोई इत्तिला नहीं या मारे ख़ौफ़ के इस के ओहदेदारों ने चुप साध ली होगी लेकिन वो मुक़ामी ग़ैर मुस्लिम भाईयों का हमें शुक्रिया अदा करना चाहीए जिन्हों ने रोज़नामा सियासत को फ़ोन करते हुए शरपसंदों की नापाक हरकतों से वाक़िफ़ करवाया और दरख़ास्त की कि बराए मेहरबानी इस दरगाह कीहिफ़ाज़त को यक़ीनी बनाए वर्ना फ़िकरॊपरस्त अनासिर इस का वजूद ही मिटा देंगे । पुलिस क्वार्टर में रहने वाले 62 साला प्रमोद ने जो इस वाक़िया पर काफ़ी ब्रहम-ओ-बेचैन थे कहा कि इन की पैदाइश भी इसी इलाक़ा में हुई । उन्हों ने बताया कि इन के बाप दादा भी इस दरगाह पर हाज़िरी दिया करते थे ।
उन्हों ने बताया कि मुट्ठी भर अमन के दुश्मनों ने दरगाह और रास्ते को बंद करदिया है । नुमाइंदा सियासत के दरगाह पहूंचने पर मुक़ामी हिन्दुओ ने ग़ैरमामूली बेचैनी का इज़हार किया और कहा कि वक़्फ़ बोर्ड को फ़ौरी इस मुआमला में कार्रवाई करनी चाहीए वर्ना इस इलाक़ा में मौजूद दीगर दरगाहों का भी यही हाल होगा । बाअज़ अफ़राद ने अपना नाम ज़ाहिर ना करने की शर्त पर बताया कि सिर्फ चंद शरपसंदों के बाइस-ओ-दरगाह शरीफ़ की ज़यारत नहीं कर पारहे हैं ।
फ़िकऱ्ापरस्त दरअसल दरगाह की अराज़ी हड़पने की कोशिशों में हैं । पंद्रह दिन तक कुछ और ही नक़्शा था और आज कुछ और है । वक़्फ़ बोर्ड में दरगाह हज़रत ज़िंदा शाहऒ का मुकम्मल रिकार्ड मौजूद है । हर साल बाज़ाबता उर्स होता है । चंद ग़ैर मुस्लिम भाईयों ने वक़्फ़ बोर्ड की बेहिसी और बे अमली पर अफ़सोस का इज़हार किया और बताया कि वक़्फ़ बोर्ड कीग़फ़लत से बेगम बाज़ार धूल पेट वग़ैरा में कई दरगाहों और मसाजिद को शरपसंदों ने निशाना बनाया कई मौक़ूफ़ा आराज़ीयात और दरगाहों-ओ-क़ब्रिस्तानों का वजूद तक मिटा दिया गया और वक़्फ़ बोर्ड बड़ी बेशरमी से ये तबाही देखता रहा ।
ये तो रही वक़्फ़ बोर्ड की बात पुलिस ओहदेदारों को भी चाहीए कि वो फ़ौरी हरकत में आएं वैसे भी आजकल शहर की पुलिस में इंतिहाई तालीम-ए-याफ़ता समझदार और इंसानियत का एहसास रखने वाले ओहदादारों की कोई कमी नहीं है । अगर ये ओहदेदार संजीदगी का मुज़ाहरा करते हुए कार्रवाई करते हैं तो फिर शरपसंदों के अज़ाइम नाकामी से दो-चार हो जाएंगे ।
अब रही गोशा महलऐम एलए मुकेश गौड़ की बात तो उन का ये फ़र्ज़ बनता है कि अपने हलक़ा में एक दरगाह के वजूद को मिटाने की कोशिश करने वाले शरपसंदों के ख़िलाफ़ कमर बस्ता हो जाएं । दरगाह का मुआइना करें और इस के तहफ़्फ़ुज़ को यक़ीनी बनाए ।।