मसाइल को उलझाने के बजाय सुलझाने की ज़रूरत

हैदराबाद ।03 अप्रैल : ( रास्त ) : फ़ोलस पैराडाइज़ और बज़म फ़रोग़ उर्दू आंधरा प्रदेश-ओ-ऐवान फ़नकार की जानिब से चेन्न‌ई ( मद्रास ) से तशरीफ़ लाए शायर-ओ-अदीब रूह रवां पंजाब एसोसी उष्ण डाक्टर एजाज़ हुसैन के एज़ाज़ में घानसी बाज़ार , निज़द सिटी कॉलिज डाक्टर मक सलीम नायब सदर अंजुमन तरक़्क़ी उर्दू अज़ीम तर हैदराबाद की सदारत में तहनीती तक़रीब का इनइक़ाद अमल में आया ।

इस मौक़ा पर मेहमान शायर-ओ-अदीब ने हैदराबाद की उर्दू दोस्ती को सराहते हुए कहा कि ये शहर उर्दू है और यहां पर जिस तरह का उर्दू माहौल है और उर्दू तंज़ीमें काम कररही हैं वो काबिल-ए-सिताइश हैं । उर्दू की बक़ा के लिए ऐसा काम ज़रूरी है । मसाइल हर जगह है मगर मसला को उलझाने के बजाय सुलझाने की कोशिश करना चाहीए ।

यहां उर्दू के तईं जज़बा देख कर दिली ख़ुशी हुई । सदर इजलास डाक्टर मक सलीम ने कहा कि ये सरज़मीन की ख़ासीयत है कि यहां जो भी आया । बार बार आया या फिर यहीं का हो कर रह गया । दाग़ , अमीर , फ़ानी , जलील सफ़ी , इसी ख़ाक में पिनहां होगए । डाक्टर एजाज़ हुसैन एक अदबी शख़्सियत है ।

तमिलनाडु जैसी संगलाख़ ज़मीन पर वो उर्दू की आबयारी कर रहे हैं । एक तिब्ब के डाक्टर होते हुए अदब में दिलचस्पी रखना उर्दू अदब के लिए फ़ख़र है । वो उर्दू की ख़िदमत कररहे हैं ।

हम तहा दिल से उन का इस्तिक़बाल करते हैं । मेहमान ख़ुसूसी प्रोफ़ैसर मजीद बेदार साबिक़ सदर शोबा उर्दू जामिआ उस्मानिया ने अपने ख़िताब में कहा कि उर्दू ज़बान-ओ-अदब का रिश्ता एक ऐसा रिश्ता है जो कभी टूटता नहीं हर इलाक़ा की ज़बान में वो घुल मिल जाती है ।

प्रोफ़ैसर जावेद कमाल ने उर्दू अदब में हैदराबादी अंजुमनों और ख़सूसन उन अंजुमनों का ज़िक्र करते हुए कहा कि बगै़र किसी माली मुनफ़अत के ये अंजुमनें अदब की ख़िदमत कररही हैं । फ़रीद सह्र ने अपना मज़मून हम दाल भी खाते हैं तो यहां होते हैं बदनाम सुनाया कि दाल में काला और दाल गुलाई । डाक्टर मुईन अमर बंबू ने तआरुफ़ पेश किया ।

जनाब शफ़ी मास्टर और फ़रीद सह्र की नाअत से इजलास का आग़ाज़ हुआ । बादअज़ां यूसुफ़ उद्दीन यूसुफ़ की सदारत में संजीदा-ओ-मज़ाहीया मुशायरा का इनइक़ाद अमल में आया ।

जिस में सितार ख़ां अलीम , मास्टर शफ़ी , फ़रीद सह्र , मजीद बेदार , ख़्वाजा फ़रीद उद्दीन सादिक़ , डाक्टर मुईन अमर बंबू , क़ाबिल हैदराबादी , क़ादिर मुही उद्दीन जीलानी ने संजीदा और मज़ाहीया कलाम सुनाया ।

डाक्टर मॊईन अमर बंबू ने निज़ामत के फ़राइज़ अंजाम दि ए और फ़ैसल शिबली के शुक्रिया पर इस महफ़िल का इख़तताम अमल में आया ।।