मुस्लिम नौजवानों में ख़ुदकुशी के रुजहान(आकषर्ण‌) में इज़ाफ़ा(बढोतरी/तेज़ी)

हैदराबाद ।‍३० अक्टूबर: इस्लाम में ख़ुदकुशी हराम है और रियासत बिलख़सूस हैदराबाद-ओ-सिकंदराबाद के इलावा मज़ाफ़ाती इलाक़ों में ख़ुदकुशी और ख़ुद सोज़ियों के जितने भी वाक़ियात पेश आते हैं, इन में मुस्लमानों का फ़ीसद नहीं के बराबर हुआ करता ही, लेकिन ऐसा लगता है कि मुस्लमान तेज़ी से इस समाजी लानत की लपेट में आरहे हैं। अफ़सोस तो इस बात का है कि ख़ुदकुशी के हालिया जो भी वाक़ियात पेश आई, इस में मुस्लिम नौजवानों की मौत हुई ही।

कोई नौजवान सूदखोरों की धमकीयों को बर्दाश्त ना करते हुए ज़हर खा कर ख़ुदकुशी करने पर मजबूर हुआ तो किसी नौजवान ने पुलिस की ज़ुलम-ओ-बरबरीयत और नाकर्दा गुनाहों की सज़ा-ए-सहते सहते फांसी लेकर अपनी ज़िंदगी का ख़ातमा करलिया। इस तरह किसी मुस्लिम नौजवान ने अपने दोस्तों की मौत पर इस दुनिया से कूच कर जाने को तर्जीह देते हुए गले में फांसी का फंदा डाल कर अपनी ज़िंदगी ख़त्म‌ कर ली। ऐसा ही मिस्री गंज के एक शरीफ़ उल-नफ़स और अपनी बस्ती में इंतिहाई मक़बूल नौजवान शफ़ी उल्लाह बैग के साथ हुआ।

उन्हों ने आज सुबह अपने मकान के कमरा में फांसी लेकर ख़ुदकुशी करली। हैरत-ओ-ताज्जुब की बात ये हीका एक हफ़्ता क़बल ही उन के पड़ोस में रहने वाले दो सगे भाईयों 37 साला मुहम्मद मुस्तफ़ा हुसैन और 35 साला मुहम्मद रियाज़ हुसैन साकन मिस्री गंज निज़द दरगाह हज़रत अबदुल्लाह शाह साहिब ऒ का आर सी पोरम इलाक़ा में एक 35 रुकनी टोली के हाथों बीदर दाना क़तल का वाक़िया पेश आया था। ये दोनों भाई शफ़ी उल्लाह बैग के दोस्त थी। मुहल्ला वालों का कहना हीका एक हफ़्ता में एक ही गली से तीन तीन नौजवानों की मय्यतें उठाई गई हैं, जिस से सारे इलाक़ा में गुम-ओ-अंदोह की लहर फैल गई ही। दो नौजवानों के क़तल और एक नौजवान की ख़ुदकुशी पर मुख़्तलिफ़(विभिन्न‌) लोग मुख़्तलिफ़(विभिन्न‌) ख़्यालात का इज़हार कर रहे हैं।

यानी पड़ोसीयों का कहना हीका शफ़ी उल्लाह बेग अली पहलवान के फ़रज़न्दों मुहम्मद मुस्तफ़ा हुसैन और मुहम्मद रियाज़ हुसैन के हमराह आर सी पोरम में वाक़्य 1236 एकड़ अराज़ी का क़बज़ा हासिल करने केलिए जा रहे थी, इत्तिफ़ाक़ से शफ़ी अल्लाह बैक रास्ते में एक पैट्रोल पंप पर उतर गई। बाद में 35 अरकान पर मुश्तमिल एक मुसल्लह टोली ने दोनों भाईयों का क़तल करदिया। इस वाक़िया के बाद से ही शफ़ी उल्लाह बेग ख़ामोश ख़ामोश से रहने लगे थी। बताया जाता हीका उन्हें भी क़तल की धमकीयां दी जा रही थीं। मुहल्ला वालों के मुताबिक़ शफ़ी उल्लाह बेग अली पहलवान के घर में सौ गए थी। सुबह उठ कर वो अपने घर आई। दीवानख़ाना का दरवाज़ा बंद करके 10 बजे सुबह एक दुपट्टा लेकर फयान से लटक गई।

इस तरह फांसी लेकर उन्हों ने ख़ुदकुशी कर ली। मुतवफ़्फ़ी नौजवान के छोटे भाई मसीह उल्लाह बैग के मुताबिक़ वो लोग यही समझ रहे थे कि इन के भाई कमरा बंद करके दाढ़ी बना रहे हैं। ताहम काफ़ी देर तक आवाज़ ना आने पर दरवाज़ा तोड़ा गया, जहां शफ़ी उल्लाह बैग की नाश पंखे से लटक रही थी। वो तीन भाईयों में बड़े थी। इस नौजवान की मौत पर सारे इलाक़ा में सोग की लहर ही। बताया जाता है कि शफ़ी उल्लाह बैग के वालिद महिकमा पुलिस में मुलाज़िम(सेवक‌) थे जो इंतिक़ाल कर गई, जिस मकान में शफ़ी उल्लाह बेग ने ख़ुदकुशी की इस मकान के मालिक मुहम्मद अहमद का कहना हीका 22 बरस से ये लोग उन के किराएदार हैं। निहायत शरीफ़ लोग हैं। उन्हें अब भी यक़ीन नहीं आ रहा है कि शफ़ी उल्लाह बेग जैसा शरीफ़ उल-नफ़स मिलनसार हँसमुख नौजवान ख़ुदकुशी करसकता ही। मुहल्ला के लोगों ने बताया कि शफ़ी उल्लाह बेग इलाक़ा में काफ़ी मक़बूल थी। वो हर किसी के काम आती, मदद केलिए सब से पहले दौड़ पड़ते लेकिन कुछ दिनों से बहुत ख़ामोश ख़ामोश रहने लगे थी।

बाअज़ लोगों के ख़्याल में मुहम्मद मुस्तफ़ा हुसैन और उन के भाई मुहम्मद रियाज़ हुसैन के दोहरे क़तल और शफ़ी उल्लाह बैग की ख़ुदकुशी में कहीं ना कहीं ताल्लुक़(संबंध‌) ज़रूर है वर्ना दूसरों की मदद करने वाला और दोस्ती निभाने वाला नौजवान शफ़ी उल्लाह बेग ये इंतिहाई इक़दाम नहीं कर सकता।

बहरहाल पुलिस काला पत्थर मसरूफ़ तहक़ीक़ात ही। इन्सपैक्टर मुहम्मद अबदुलमजीद इस केस की मुख़्तलिफ़(विभिन्न‌) ज़ावियों से तहक़ीक़ात कररहे हैं। वाज़िह रहे कि आर सी पोरम पुलिस ने मुहम्मद मुस्तफ़ा हुसैन और मुहम्मद रियाज़ हुसैन के क़तल के इल्ज़ाम में जुमला छब्बीस लोगों को गिरफ़्तार किया है। इन तमाम अफ़राद का ताल्लुक़ मौज़ा एलापोर और मल्लिका जिगरी से बताया जाता है।

ये भी बताया जाता है कि चाक़ोऒ से हमला करने के इलावा मुल्ज़िमीन ने दोनों भाईयों पर फायरिंग भी की थी। दोहरे क़त्ल का वाक़िया (घटना)एलापोर में वाक़्य 1231 एकड़ अराज़ी पर पैदा शूदा तनाज़ा(झगडा) के बाइस(कारण‌) पेश आया। 18 अक्टूबर को आंधरा प्रदेश हाइकोर्ट ने हुसैन बिरादरान के हक़ में फ़ैसला सुनाया और उन लोगों ने अराज़ी का क़बज़ा भी हासिल करलिया था, जिन 26 अफ़राद (व्यक्ति)को गिरफ़्तार किया गया इन में एम ए मुक़ीम, एम ए अज़ीम, मुहम्मद कलीम, लक्ष्मी बढ़मीम और दीगर शामिल हैं। बहरहाल अराज़ी के तनाज़ा ने दो नौजवानों की जानें ले लें और तीसरा नौजवान हो सकता है कि इसी तनाज़ा(झगडा) का शिकार हो गया।