हैदराबाद।२९जुलाई (सियासत न्यूज़) नाज़िर रबात निज़ाम हैदराबाद जनाब हुसैन मुहम्मद अलशरीफ़ ने आज ज़राए इबलाग़ के नुमाइंदों की मौजूदगी में हज 2012 केलिए साबिक़रियासत हैदराबाद से ताल्लुक़ रखने वाले आज़मीन-ए-हज्ज के दोनों रबात नताम में मुफ़्त रिहायश के लिए बे क़सद तरीक़ा-ए-अमल के ज़रीया क़ुरआ निकाला और दिलावर अलनिसा-ए-रबात और अफ़ज़ल अलद विला रबात दोम में क़ियाम के लिए 370 आज़मीन-ए-हज्ज का कम्प्यूटराज़इड क़ुरआ निकालते हुए उन्हें मुंतख़ब क़रार दिया। उन्हों ने बताया कि फ़िलवक़्तमज़कूरा दोनों रबातों मैं बिलतर्तीब 263 और 145 हाजियों के रिहायश की गुंजाइश-ओ-इजाज़त हासिल है।
उन्हों ने वज़ाहत की कि दूसरी रबात में क़ियाम केलिए सऊदी मुक़ामीशहरी इदारा की जानिब से हनूज़ तसरीह (क़ियाम का इजाज़तनामा) हासिल नहीं हुआताहम इस इमारत में लिफ़्ट और फ़ायर अलार्म की तंसीब के साथ माहे सियाम केइख़तताम तक ये इजाज़त हासिल हो जाएगी इसलिए दोनों रबातों में रिहायश की मजमूई गुंजाइश 408 है और 10 फ़ीसद शाही ख़ानदान, ख़ानदान सरफ़ख़ास और ऐच ई अच्दी निज़ाम ट्रस्ट के मुलाज़मीन वग़ैरा केलिए महफ़ूज़ रखते हुए 41 हाजियों की गुंजाइश कोमहफ़ूज़ रखा गया है इसतरह 367 ग़रीब हाजियों के लिए गुंजाइश रहती है।
इसलिए इसमर्तबा 370 हाजियों केलिए क़ुरआ निकाला गया है और 45 नशिस्तों को इंतिज़ार की फ़हरिस्त में रखा जाएगा। उन्हों ने बताया कि 10 फ़ीसद महफ़ूज़ गुंजाइश में जो कुछ भी बच जाय इन का भी अलाटमैंट भी कराके ज़रीया किया जाएगा। उन्हों ने चीफ़ एग्ज़िक्यूटीव ऑफीसर सैंटर्ल हज कमेटी डाक्टर शाकिर को बताया कि दूसरी रबात की तसरीह माहे सियाम के इख़तताम तक हासिल करली जाएगी चूँकि सैंटर्ल हज कमेटी ने रबात में क़ियाम के इजाज़तनामा से मुताल्लिक़ आगही के लिए /31 जुलाई तक मोहलत दी है इसलिए पेशगीतौर पर क़ुरआ निकाला जा रहा है।
उन्हों ने बतायाकि सिर्फ़ लिफ़्ट-ओ-फ़ायर अलार्म की तशरीत है इसलिए दूसरी इमारत केलिए तसरीह के हुसूल में कोई रुकावट नहीं रहेगी। उन्हों ने बताया कि हज 2012 -ए-के दौरान निज़ाम रबातों में क़ियाम केलिए साबिक़ रियासतहैदराबाद में वाक़्य इलाक़ों से जुमला 375 कोर्स (43 आज़मीन) की दरुस्त दरख़ास्तें मौसूल हुई थीं जिन में आंधरा प्रदेश में मौजूद साबिक़ हैदराबाद के इलाक़ों से 281 कोर्स (15 आज़मीन), कर्नाटक से 30 कोर्स (4 आज़मीन) और महाराष्ट्रा से 64 कोर्स (54) शामिल थी। उन्हों ने बताया कि इन दरख़ास्तों मैं रबात निज़ाम हैदराबाद को रास्त तौर पर ऑनलाइन और ऐच ई अच्दी निज़ाम ट्रस्ट को मौसूला दस्ती दरख़ास्तें शामिल हैं। उन्हों नेवज़ाहत की कि क़ुरआ अंदाज़ी दो दिन क़बल ही मुक़र्रर थी लेकिन सिफ़ारिशात बहुत ज़्यादा मौसूल होरही थीं जिन से बचने आज यहां मीडीया की मौजूदगी में किसी वे आई पी कोमदऊ किए बगै़र शफ़्फ़ाफ़ अंदाज़ में क़ुरआ अंदाज़ी की गई है ताकि हक़ीक़ी मुस्तहक़्क़ीनको रबात में क़ियाम का मौक़ा हासिल होसके और शुबा की गुंजाइश बाक़ी ना रही।
उन्हों ने बताया कि शाहाँ आसफ़जाह ने तक़रीबन एक सौ साल क़बल मक्का मुकर्रमा में हिर्म शरीफ़के अतराफ़ कई रबात ख़रीद कर हैदराबाद के हाजियों केलिए वक़्फ़ करदी थीं ताहम इन मेंबेशतर रबात हिर्म शरीफ़ की तौसीअ ख़तन होगईं और कुछ पर दूसरों का क़बज़ा होगया था। इन में से सिर्फ 7 रबातें बाक़ी थीं जिन को उनके वालिद जनाब शरीफ़ हुसैन ऐडवोकेट ने हासिल किया । इन में भी 4 रबातें ऐसी थीं जो बाक़ी नहीं रह गई थीं जो पहले ही हिर्मशरीफ़ की तौसीअ मैं आगई थीं जिन केलिए 50-60 साल क़बल ही सऊदी हुकूमत ने फ़ीरबात 2 लाख रुपय मुआवज़ा मुक़र्रर करके डिपाज़िट करदिया था।
उन्हों ने बताया कि तीन रबातें अफ़ज़ल अलद विला, हुसैन बी साहिबा और दिलावर उन्निसा बेगम के क़बज़ा हासिल किया था। उन्हों ने बताया कि इन के वालिद /13 जनवरी 1980 को बाज़ाबता इन रबातों के नाज़िर मुक़र्रर हुए थे जिन का इंतिक़ाल /13 मई 1996 को हुआ । वालिद के इंतिक़ालके बाद वो /16 जून 1996 को इन रबातों के नाज़िर वहां की सुप्रीम कोर्ट के ज़रीया मुक़र्ररहुए चूँकि प्रिंस मुकर्रम जाह की जानिब से नाज़िर के तक़र्रुर में एक माह से ज़ाइद का अर्सालग गया था। सऊदी क़वानीन के मुताबिक़ किसी ओक़ाफ़ी जायदाद का अगर एक माह के अंदर मुतवल्ली नामज़द ना किया जाय तो सऊदी हुकूमत को मुतवल्ली नामज़द करने का हक़ हासिल होता है और वो अदालत से रुजू होते हुए इन रबातों के नाज़िर मुक़र्रर किए जाने के अहकाम हासिल किए हैं।
उन्हों ने बताया कि हुसैन बी रबात ऐसे मुक़ाम पर है जहां नई तामीर नहीं की जा सकती। इसलिए सिर्फ अब दो ही रबात बच्चे हैं। वो तीसरीरबात की तामीर के लिए कोशां हैं और जब वो तामीर हो जाएगी तो यक़ीनन निज़ाम रबातों में रिहायश की गुंजाइश बढ़ जाएगी।
उन्हों ने बताया कि मातमरीन के लिए इन रबातों में क़ियाम के हुसूल के तरीक़ा-ए-कार को निहायत ही सहल बनादिया है और हाल ही में ऑनलाइन बुकिंग का आग़ाज़ किया गया जिसके हौसला अफ़ज़ा-ए-रद्द-ए-अमल हासिल हुआ है और बुकिंग में शफ़्फ़ाफ़ियत हासिल हुई है।
उन्हों ने बताया कि रबातों मैं मातमरीन की रिहायश का दानशोराना अंदाज़ में नज़म करने के बाइस 408 की गुंजाइश के बावजूद माह मई में 891 मातमरीन, माह जून में 809 और माह जुलाई में ताहाल 531 मातमरीन को ठहरने का मौक़ा फ़राहम किया जा सका। हज 2012 केलिए रबातों में क़ियाम के लिए मुंतख़ब आज़मीन-ए-हज्ज की इस फ़हरिस्त को सैंटर्ल हज कमेटी को रवाना कर दिया जाएगा।