सैक्रेटरिएट‌ में उर्दू अपनी ज़बूँहाली का रोना रो रही है

हैदराबाद०४जनवरी, ( सियासत न्यूज़) हुकूमत की जानिब से हाल ही में मुनाक़िदा आलमी तेलगु कान्फ़्रैंस की तर्ज़ पर आलमी उर्दू कान्फ़्रैंस के इनइक़ाद(होना) से मुताल्लिक़ चीफ़ मिनिस्टर ने तीक़न तो दिया है लेकिन हुकूमत के नज़म-ओ-नसक़ के मर्कज़ सकरीटरीट में उर्दू अपनी ज़बूँहाली(बदहाली) का रोना रो रही है। कांग्रेस के अक़ल्लीयती क़ाइदीन चीफ़ मिनिस्टर के इस तीक़न पर ख़ुश हैं कि उन्हों ने उर्दू के लिए भी कान्फ़्रैंस के इनइक़ाद(होना) का तीक़न दिया लेकिन क्या सिर्फ़ तीक़नात से उर्दू के मसाइल हल हो जाएंगी। उर्दू ज़बान उस की तरक़्क़ी-ओ-तरवीज के लिए गुज़श्ता कई बरसों से हुकूमतें ऐलानात और तीक़नात देती रही हैं लेकिन आज तक उर्दू के मौक़िफ़ में कोई तब्दीली नहीं आई।

सैकेटरिएट‌ का ही जायज़ा ले लें तो वहां दूसरी सरकारी ज़बान उर्दू आज तक अपना मसतहक़ा मुक़ाम हासिल करने में नाकाम रही है हालाँकि हुकूमत ने 15अज़ला में उर्दू को दूसरी सरकारी ज़बान का मौक़िफ़ देने का ऐलान किया है लेकिन ये मौक़िफ़ सिर्फ़ काग़ज़ात पर और दफ़्तर में फाईल में मौजूद है। उर्दू के मौक़िफ़ का जायज़ा लेने के लिए सैक्रेटरिएट‌ का दौरा करें तो पता चलेगा कि वहां बेशतर वुज़रा और आला ओहदेदारों के नामों की तख्तियां अभी तक उर्दू में नहीं लगाई गईं।

जिन वुज़रा और ओहदेदारों के नामों की तख्तियां उर्दू में मौजूद हैं इन का इमला तक दरुस्त(सही) नहीं है। उर्दू में नियम प्लेट्स की तैय्यारी के लिए सैक्रेटरिएट‌ में शायद ही कोई अलहदा शोबा मौजूद हो, होना तो ये चाहिए कि सैक्रेटरिएट‌ के हर सैक्शन और वहां के हर ओहदेदार की नेम प्लेट तेलगु के साथ साथ उर्दू ज़बान में भी मौजूद हो लेकिन ज़्यादा तर बोर्डज़ और ओहदेदारों के नियम प्लेट्स तेलगु और अंग्रेज़ी में ही नज़र आयेंगी ।

ग़लत उर्दू के साथ मौजूद नियम प्लेट्स की दरूस्तगी का कोई इंतिज़ाम नहीं है। ख़ुद चीफ़ मिनिस्टर के दफ़्तर में कोई उर्दू ऑफीसर का तक़र्रुर नहीं किया गया जिस का कि चंद्रा बाबू नायडू दौर-ए-हकूमत में वाअदा किया गया था। दिलचस्प बात तो ये है कि ख़ुद महिकमा अक़ल्लीयती बहबूद(भलाई) के सैक्रेटरी दाना किशवर का उर्दू में इमला ग़लत है हालाँकि उर्दू एकेडेमी का महिकमा उन के तहत आता है।

उर्दू की तरक़्क़ी-ओ-तरवीज की ज़िम्मेदारी जिस ओहदेदार के तहत है ख़ुद इस का नाम सही नहीं लिखा गया है, वहां रोज़ाना उन से मुलाक़ात के लिए कई उर्दू वाले और उर्दू दां ओहदेदार पहूँचते हैं लेकिन आज तक किसी ने इस ग़लती की जानिब तवज्जा मबज़ूल नहीं करवाई। दाना किशवर का नाम दाना किशवर लिखा गया है जिस तरह कि चावल या गेहूं का दाना लिखा जाता है। अक़ल्लीयती बहबूद के बाअज़ दीगर ओहदेदारों के चैंबर्स पर नियम प्लेट्स देख कर हैरत हुई कि उन्हें नई नेम प्लेट अलॉट नहीं की गई। उन्हों ने अपने पेशरू ओहदेदारों की नियम प्लेट्स पर ही काग़ज़ पर कम्पयूटर से अपना नाम टाइप करके चिपका कर दिया है।

क्या अक़ल्लीयती बहबूद(भलाई) के ओहदेदारों के लिए अलहदा नेम प्लेट भी फ़राहम नहीं की जा सकती? उर्दू और अक़ल्लीयती ओहदेदारों के साथ ये जांबदारी नहीं तो और किया है।इस के बावजूद हुकूमत उर्दू की तरक़्क़ी और तरवीज में संजीदगी के दावे कररही है। साबिक़ में चीफ़ मिनिस्टर की पेशी में रोज़ाना सुबह तेलगु और अंग्रेज़ी अख़बारात के साथ उर्दू अख़बारात की अहम ख़बरों के तराशे और उन के इंग्लिश तर्जुमे पेश किए जाते थे लेकिन अब इस फ़हरिस्त से उर्दू अख़बारात ग़ायब हो चुके हैं।

सुबह की अव्वलीन साअतों में चीफ़ मिनिस्टर को सिर्फ़ तलगो और अंग्रेज़ी अख़बारात में शाय शूदा ख़बरों से ही वाक़िफ़ किराया जा रहा है। महिकमा इत्तिलाआत-ओ-ताअलुकात-ए-आमा में उर्दू अख़बारात की अहम ख़बरों के तर्जुमा के लिए एक ख़ुसूसी ओहदेदार को मुक़र्रर किया गया था लेकिन अब इस तरह का कोई ओहदेदार नहीं है।

फिर किस तरह उर्दू वालों और अक़ल्लीयतों की आवाज़ हुकूमत तक पहूंच पाएगी।बताया जाता है कि हुकूमत ने हाल ही में मुनाक़िदा आलमी तलगो कान्फ़्रैंस के इनइक़ाद पर जुमला 40ता5करोड़ रुपय ख़र्च किए थी। अब सवाल ये है कि आलमी उर्दू कान्फ़्रैंस के लिए किया हुकूमत उस की निस्फ़ रक़म भी ख़र्च करने तैय्यार होगी।

अगर हुकूमत ऐसा करती है तो यक़ीनन ये इस का कारनामा होगा लेकिन हक़ीक़त में ऐसा नज़र नहीं आता क्योंकि उर्दू की तरक़्क़ी और तरवीज के लिए हुकूमत की जानिब से जो बजट मुक़र्रर किया गया है वो सिर्फ़ 50लाख रुपय है जिस के तहत उर्दू एकेडेमी को 8 असकीमात पर अमल करना है।

सरकारी ज़बान तेलगु पर मूसिर अमल आवरी के लिए हुकूमत ने सरकारी ज़बान कमीशन क़ायम किया जिस में उर्दू के नुमाइंदे की शमूलीयत लाज़िमी है लेकिन आज तक उर्दू का नुमाइंदा शामिल नहीं किया गया।

तेलगु कान्फ़्रैंस में चीफ़ मिनिस्टर ने ऐलान किया कि तेलगु के इस्तिमाल को नज़म-ओ-नसक़(बंदोबस्त‌) में फ़रोग़ देने के लिए अलहदा वज़ारत तशकील दी जाएगी। इस से साफ़ ज़ाहिर है कि हुकूमत तेलगु की तरक़्क़ी और तरवीज में संजीदा है और इस के लिए इक़दामात भी कर रही है जबकि उर्दू के साथ उस की सिर्फ़ हमदर्दीयां हैं।